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चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफ़ा दिया, अब मोदी तय करेंगे-चुनाव आयुक्त कौन होगा, चुनाव कैसे होगा? क्या लोकतंत्र अपने अंतिम दौर में है?

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है.

उनका इस्तीफ़ा ऐसे समय पर आया है जब आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियां चल रही हैं और माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तारीख़ों की घोषणा हो सकती है.

शनिवार को जारी गजट में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) अधिनियम 2023 की धारा 11 के खंड (1) के तहत 9 मार्च 2024 से अरुण गोयल, निर्वाचन आयुक्त की ओर से दिये गए त्यागपत्र को राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है.

अरुण गोयल ने भारत के चुनाव आयुक्त के तौर पर 21 नवंबर 2022 को ज़िम्मेदारी संभाली थी.

1985 बैच के पंजाब कैडर प्रशासनिक सेवा अधिकारी गोयल ने भारत सरकार में 37 सालों तक सेवाएं दी हैं. उन्होंने भारी उद्योग मंत्रालय में सेक्रेटरी के रूप में काम किया है.

भारत सरकार में उन्होंने संस्कृति मंत्रालय में सेक्रेटरी, डीडीए के वाइस चेयरमैन, श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी और वित्त सलाहकार, वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में ज्वाइंट सेक्रेटरी के रूप में भी काम किया है.

1995 से 2000 के बीच वो लुधियाना ज़िले और 1993 से 1994 के बीच बठिंडा ज़िले के ज़िला चुनाव अधिकारी रह चुके हैं.

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने दिया इस्तीफ़ा, राष्ट्रपति ने स्वीकार किया

गोयल की नियुक्ति पर हुआ था विवाद

नवंबर 2022 में जब अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बनाया गया तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था.

दरअसल अरुण गोयल उसी साल 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले थे, लेकिन उन्होंने 18 नवंबर को ही वीआरएस ले लिया. इसके दूसरे दिन यानी 19 नवंबर को उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया और 21 नवंबर को उन्होंने चुनाव आयुक्त का पदभार ग्रहण कर लिया.

सुप्रीम कोर्ट ने अरुण गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाया.

अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि गोयल ने एक ही दिन में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली, एक ही दिन में क़ानून मंत्रालय ने उनकी फ़ाइल को मंज़ूरी दे दी, चार नामों की सूची प्रधानमंत्री के समक्ष पेश की गई और गोयल के नाम को 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति से मंज़ूरी भी मिल गई.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस पूरे मामले में नियुक्ति प्रक्रिया की धारा छह का उल्लंघन किया गया है.

 

Alka Lamba 🇮🇳
@LambaAlka
जिस देश में चुनाव आयोग में पहले ही एक चुनाव आयुक्त का पद खाली था, और अब दूसरे आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा वो भी ठीक लोकसभा चुनावों के पहले कोई आम बात नही है,

मतलब अब मोदी जी खुद तय करेंगे कि चुनाव आयुक्त कौन होगा, चुनाव कैसे होगा..?

क्या लोकतंत्र अपने अंतिम दौर में है?

ravish kumar
@ravishndtv
अरुण गोयल ने चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफ़ा दिया है। जब इतना साहस किया ही है तो उन्हें प्रेस कांफ्रेंस करनी चाहिए और कारण बताना चाहिए। क्या उन पर किसी का दबाव था? दबाव किस बात को लेकर था? विपक्ष के राज्यों को लेकर रहा होगा या तारीख़ को लेकर हुआ होगा? क्या वे किसी चीज़ की अति से परेशान थे? क्या उनका ईमान गवाही नहीं दे रहा था कि इसके आगे नहीं हो सकता? चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफ़ा हुआ है। फ़क़ीर का इस्तीफ़ा नहीं है कि झोला लेकर पहाड़ पर चल दिए।

अगर अरुण गोयल ख़ुद नहीं बताएँगे तो लोग तरह- तरह से सवाल करेंगे। कृपया यह न बताएँ कि निजी और पारिवारिक कारणों से इस्तीफ़ा दिया है।

Aafrin
@Aafrin7866
चुनाव आयोग में गहरा संकट है”
संविधान की रक्षा करना अब सुप्रीम कोर्ट की सबसे अहम ज़िम्मेदारी है।”
चुनाव आयुक्त अरूण गोयल ने इस्तीफा दे दिया है।
इसके पहले मोदी सरकार अपने चहेते अफसरों को चुनाव आयोग में बिठा दे सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप कर पुरानी व्यवस्था फिर से लागू करनी चाहिए।

Ajit Anjum
@ajitanjum
चुनाव आयुक्त अरूण गोयल का इस्तीफा. 2027 तक था गोयल का कार्यकाल .
एक चुनाव आयुक्त अनुप पांडेय फरवरी में रिटायर कर चुके हैं .
तीन सदस्यों वाले चुनाव आयोग में अब सिर्फ CEC राजीव कुमार बच गए.
एक सप्ताह के भीतर लोकसभा चुनाव का ऐलान होना है . ऐसे में अब सिंगल मेंबर वाला आयोग पर बड़ी जिम्मेदारी है .
इस्तीफे की वजह क्या हो सकती है ?