विशेष

तलवारें-बन्दूकें लहराती, डीजे बजाती, धमकी भरे एलान करती हिंसक भीड़….

Kavita Krishnapallavi
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दंगाई राजनीति का बहिष्कार करो !
फ़ासिस्ट षड्यन्त्र को नाकाम करो !
नूंह, मेवात, गुड़गाँव में शान्ति-सौहार्द को सुलगाने वाले असल दोषियों मोनू, बिट्टू, चण्टू, मण्टू को बचाकर संघी होने का कर्ज़ उतार रहे हरियाणा के मुख्यन्त्री मनोहर लाल खट्टर और गृहमन्त्री अनिल विज!

बेगुनाह नौजवानों का हत्यारोपी और अपराधी मोनू मानेसर, जिसके ख़िलाफ़ मेवातियों में भयंकर गुस्सा है, क्या शान्तिदूत बनकर “शोभायात्रा” में शामिल होने का एलान कर रहा था ?!

क्या अब भी कोई शक है कि अपराधी मोनू मानेसर और उसके गुण्डा गिरोह को बचाने के लिए शासन-प्रशासन पर किसका दबाव काम कर रहा है ?
बिट्टू बजरंगी नामक घृणित अपराधी लम्पट का मेवातियों से “जीजा की तरह सम्मान किये जाने की माँग” खट्टर और विज के लिए उकसाऊ-भड़काऊ और आपराधिक कृत्य क्यों नहीं है ?!

तलवारें-बन्दूकें लहराती, डीजे बजाती, धमकी भरे एलान करती हिंसक भीड़ क्या मेवाती जनता से ‘भरत-मिलाप’ की अपीलें कर रही थी और इतना होने पर भी पुलिस प्रशासन को माहौल बिगड़ने का अनुमान क्यों नहीं हुआ ?!

“शोभायात्रा” की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे राज्य हरियाणा के उप मुख्यमन्त्री दुष्यन्त चौटाला और भाजपा के केन्द्रीय मन्त्री राव इन्द्रजीत सिंह क्या झूठ बोल रहे हैं ?!
आरएसएस, भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और इनके तमाम लम्पट गिरोहों को चुनाव के समय दंगों की बलि चढ़ाने के लिए ही हिन्दू नौजवानों की ज़रूरत क्यों पड़ती है ?

तमाम संघी गिरोह और भाजपा सरकारें यदि इतनी ही हिन्दू हितों की रक्षक होती तो इन्हें हिन्दू जनता के रोज़गार, शिक्षा, चिकित्सा, आवास की चिन्ता नहीं होती ?
ज़ाहिर है : केन्द्र की मोदी और हरियाणा की खट्टर सरकारों के 10 साल के कुशासन और नाकामी को ढँकने तथा हरियाणा विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र वोटों के साम्प्रदायिक बँटवारे के लिए फैलाये जा रहे हैं दंगे!

दोस्तो! इस षड्यन्त्र में मत फँसो! अपनी जुझारू जनएकजुटता बनाकर रखो! महँगाई और बेरोज़गारी देने वाली व्यवस्था और सरकार के ख़िलाफ़ लड़ो, आपस में नहीं!!

धर्म-जाति के झगड़े छोड़ो,
सही लड़ाई से नाता जोड़ो!

– भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI)

Kavita Krishnapallavi
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ताज्जुब नहीं कि इस बात पर भी मॉब लिंचिंग हो जाये!
“बहनजी, आप तो मुसलमानों जैसी बातें कर रही हैं! “
कहा उस आदमी ने
और मैने महसूस किया कि हालात
कितने ख़ौफ़नाक हो चुके हैं!
“इलाहाबाद तक जा रहे हैं आप भी?”
“प्रयागराज जा रहा हूँ।”
— खिड़की से बाहर देखते हुए
जवाब दिया उपेक्षापूर्वक
सामने के बर्थ पर बैठे आदमी ने।
जैसे-तैसे बात कुछ चली ही थी कि
किसी प्रसंग में
मैंने इक़बाल का एक शेर पढ़ दिया
और सामने बैठा दूसरा आदमी नफ़रत से
मुझे घूरते हुए बोला, “यही बात बेहतर तरीके से
कही जा सकती थी प्रसाद और
मैथिली शरण गुप्त के हवाले से।
और गुसाईं जी की तो बात ही क्या!
क्या ऐसा है जो सबसे सुंदर ढंग से
नहीं कह गये तुलसी बाबा!”
फिर जैसे अचानक जगी कोई प्रेरणा
और ऊपर की बर्थ पर बैठे सज्जन
सुन्दर काण्ड का पाठ करने लगे।
और मैने सोचा कि हिन्दी साहित्य पर
इतने ख़तरनाक ढंग से सोचा जा सकता है
ऐसे तो मैंने कभी
सोचा ही नहीं था!

Kavita Krishnapallavi
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जन्मदिन (31 जुलाई 1907) के अवसर पर
“भारत में हर जगह, किसी न किसी तरीके से, सामन्ती सम्पदा या तो पूँजी में तब्दील हो चुकी है, या फिर तेज़ी से तब्दील होती जा रही है I ( इतिहास में ज्ञात प्रत्येक सामन्तवाद, अंतिम विश्लेषण में, आदिम दस्तकारी उत्पादन, और भू-स्वामित्व की विशेष किस्म पर आधारित होता है I इनमें से पहला, भारत में अब बुनियादी चीज़ नहीं रह गया है, और दूसरा मौजूद ही नहीं है I ) आज के समय में सामन्तवाद से लड़ने की बात करना डायनासोर से लड़ने की बात करने के समान होगा I बल-प्रयोग के मेकेनिज्म का कोई भी हिस्सा अब सामन्ती हाथों में नहीं रह गया है I अपने संघटन के हिसाब से आज की विधायिका बुर्जुआ (और निम्न-बुर्जुआ) है I सशस्त्र बल, पुलिस, न्यायपालिका — ये सभी के सभी सीधे बुर्जुआ नियंत्रण के अधीन हैं, जबकि पहले ये सारे काम सामन्ती कर-उगाही करने वाले अमलों-मुलाज़िमों द्वारा, या ख़ुद सामन्त मालिकों के द्वारा ही निपटाए जाते थे I”
— डी. डी. कोसम्बी
(On The Class Structure of India,1954)

डिस्क्लेमर : लेखों में व्यक्त विचार लोगों के अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है