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आरएसएस के एजेंडे पर नई संसद में लगा माँ भारती के अखंड भारत का नक़्शा बना मुसीबत : नेपाली नेता नाराज़, भारत विरोधी प्रदर्शनों में आयी तेज़ी : रिपोर्ट

नेपाल के प्रधानमंत्री इसी सप्ताह भारत की तीन दिन कि यात्रा पर आये थे, भारत के प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात भी हुई थी, दो पडोसी देशों के सम्बन्ध हमेशा अच्छे और दोस्ताना होने चाहिए लेकिन आरएसएस का एजेंडा भारत के उसके पडोसी देशों के साथ रिश्ते अच्छे नहीं रहने देगा, आरएसएस भारत को हिन्दू राष्ट्र और अखंड भारत बनाना चाहता है, अखंड भारत बनाने के लिए भारत को बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, चीन, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान और मध्य एशिया के कई देशों से लड़ना पड़ेगा, उन पर कब्ज़ा करना पड़ेगा और जीतने पर ही भारत आरएसएस का माँ भारती अखंड भारत बन पायेगा

नेपाल के प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा के दौरान ही भारत की नयी संसद में लगे नक़्शे में नेपाल के कुछ इलाकों को दिखाए जाने पर आपत्ति जताई थी, नेपाल के आलावा पाकिस्तान भी भारत की संसद में लगाए गए नक़्शे पर अपना एतराज़ जाता चूका है

भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नवनिर्मित संसद भवन में बने भारतीय उपमहाद्वीप के भूभाग से संबंधित भित्तिचित्र को लेकर नेपाल में विवाद छिड़ गया है। इसकी व्याख्या ‘अखंड भारत’ के मानचित्र के रूप में की जा रही है।

नेपाल के कई नेताओं ने इसे लेकर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है, इसके विरोध में नेपाल में कई स्थानों पर प्रदर्शन भी हुए हैं।

नेपाल के नेताओं की नाराज़गी और विरोध प्रदर्शन के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि नई संसद में बना भित्तिचित्र अशोक के साम्राज्य की सीमा के बारे में है, हालांकि एक भारतीय मंत्री द्वारा इसे ‘अखंड भारत’ बताने पर मंत्रालय ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भित्तिचित्र की एक तस्वीर ट्वीट की थी, जिसका शीर्षक था, ‘संकल्प स्पष्ट है, अखंड भारत’।

नक्शा लुम्बिनी और कपिलवस्तु जैसे नेपाली शहरों को विस्तारित साम्राज्य की सीमाओं के भीतर चित्रित करता प्रतीत होता था। यह विवाद ऐसे समय उभरा है कि जब नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ बुधवार 31 मई से 4 दिवसीय भारत की आधिकारिक यात्रा की थी।

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता केपी शर्मा ओली ने आशा व्यक्त की है कि इस मामले को भारत सरकार के समक्ष उठाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि भारत जैसा देश जो खुद को एक प्राचीन, स्थापित देश के साथ लोकतंत्र के मॉडल के रूप में देखता है, वह नेपाली क्षेत्रों को अपने नक्शे में शामिल करता है और संसद में इस नक्शे को लगाता है, इसे उचित नहीं माना जा सकता है।

नेपाल सोशलिस्ट पार्टी के नेता बाबूराम भट्टराई ने ट्वीट किया कि भारत को इस नक्शे के पीछे अपनी मंशा व्यक्त करनी चाहिए।

इस बीच राजशाही समर्थक दल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की युवा शाखा ने शुक्रवार को काठमांडू में भारतीय दूतावास के सामने इस भित्तिचित्र के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया।

रिपब्लिका अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने भारत के विरुद्ध ज़ोरदार नारेबाजी ही। प्रदर्शनकारियों ने ‘हम अपने देश को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं’, ‘छोटे राष्ट्रों पर हावी होना/अपमान करना बंद करो’, ‘अखंड भारत का भित्तिचित्र हटाओ’, ‘भारतीय विस्तारवाद मुर्दाबाद’ और ‘कालापानी, लिपुलेख, लिंपियाधुरा हमारे हैं’, जैसे नारे लगाए।

इस भित्तिचित्र को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री की यात्रा पर विदेश मंत्रालय की मीडिया ब्रीफिंग में एक सवाल उठाया गया था। हालांकि विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने जवाब नहीं दिया था।

साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने स्पष्ट किया कि भित्तिचित्र का मुद्दा नेपाली नेता द्वारा नहीं उठाया गया था। उन्होंने कहा, ‘इसलिए मुझे नहीं पता कि विरोध अभी भी जारी है या नहीं। निश्चित रूप से नेपाली पक्ष ने इसे नहीं उठाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि भित्तिचित्र ‘अखंड भारत’ के बारे में नहीं था, बल्कि प्राचीन मौर्य साम्राज्य का विस्तार था।