हिंसाग्रस्त मणिपुर में शुक्रवार को उस समय राजनीतिक उबाल आ गया जब प्रदेश के 10 कुकी विधायकों ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए अलग राज्य से अलग होेने की मांग कर दी। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें आठ भाजपा के विधायक हैं। मांग पत्र में अपने ही सरकार पर जिस तरह के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, वह वर्तमान स्थिति को और गंभीर बना देता है। आने वाले दिनों में राज्य में राजनीतिक संकट सकता है।
इससे राज्य में शांति बहाली की जो कोशिशें को धक्का लगा है और उसका समय अब और लंबा होगा। सेना और सुरक्षाबलों को अब और सतर्क होना होगा। क्योंकि कुकी विधायकों ने मामले को शांत करने की दिशा में कदम उठाने की बजाए उसमें घी ही डालने का काम किया है। पहले से ही नाराज पहाड़ी जिलों के ट्राइबल अब और उग्र हो सकते हैं। इस बारे में सरकार का पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन किसी से बात नहीं हो पाई।
इस बारे में गुवाहाटी हाइकोर्ट के वरिष्ठ वकील राम प्रसाद कहते हैं, उनकी यह मांग न ही राज्य सरकार स्वीकार करेगी और न ही केंद्र सरकार। यह बहुत ही छोटा राज्य है और इसे और कितने टुकड़ों में बांटा जाएगा। यह असंभव सी बात लगती है। लेकिन इस समय इस तरह का मामला उठाना केवल आग में घी डालने जैसा है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सबको यह सोचना होगा कि आखिर ऐसे समय में विधायकों ने ऐसी मांग क्यों रखी। कौन लोग हैं इसके पीछे जो मणिपुर को बंटते हुए देखना चाहते हैं।
#मणिपुर जल रहा है , दलाल #Media पाकिस्तान को जलता दिखा रहा है !
देशवासियों 👞तैयार रखो मीडिया और अंधभक्तो के काम आयेंगे?😅#मणिपुर वालों पर #हिंदुत्व का भूत सवार था इसलिए #RSS #BJP को चुना आज़ #जंगलों में पेड़ पत्ते खाते भटक रहे हैं ! यही हाल इन अंडभक्तो का होगा एक दिन ? 👇👇 pic.twitter.com/MXebZ3puaX— Archana Singh (@BPPDELNP) May 12, 2023
इस तरह की मांग केवल लोगों के सामने एक तरह से खुद को महान बनाने की एक पोलिटिक्स मात्र है। हां, यह बिल्कुल सही है कि शांति प्रक्रिया को धक्का लगा है। अब शांति बहाली में समय लगेगा। आने वाले दिनों में हिंसाग्रस्त मणिपुर में काफी राजनीतिक उथल-पुथल होने की संभावना है।
इस बीच, जानकारी मिली है कि दिल्ली में भाजपा हाईकमान मणिपुर की पूरी घटना क्रम पर नजर बनाए हुए है। इसी तरह से एक वरिष्ठ समाजसेवी जो मणिपुर में पिछले करीब 30 वर्षों से काम कर रहे हैं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, हम पिछले दिनों से देख रहे हैं। मणिपुर जल रहा है। इस आग को शांत करने की जगह कुछ लोग उसे भड़का रहे हैं। खुद भाजपा के विधायक अपनी ही सरकार के विरोध में आ गए। एक तो सरकार में मंत्री भी हैं। इससे क्या संदेश जाएगा प्रदेश के लोगों में। यह वक्त एकजुट होकर शांति बहाली की दिशा में काम करने की है ना कि राजनीति चमकाने की।
Lalji Desai
@LaljiDesaiG
क्या मणिपुर की हिंसा इस राज्य को तोड़ने की एक सोची समझी साज़िश का हिस्सा है?
क्या भाजपा कज ट्रबल इंजन सरकार इस राज्य की एकता और अखंडता को छिन्न-भिन्न करने पर आमादा है।
भाजपा के विधायकों द्वारा पृथक राज्य की मांग करना यही दर्शाता है।
#BJPFailedManipur
एक खास समुदाय में हीरो बनने की। मैं कहना चाहता हूं, केंद्र सरकार इस बात को गौर से देखे कि मांग करने वालों के पीछे कौन है। कौन है जो पर्दे के पीछे से इसे अंजाम दे रहे हैं। यह बहुत ही गंभीर मामला है। ये ड्रग्स पैडलर, ये बॉर्डर के उस पार और इस ओर बैठे विद्रोही और उनके कुछ खास समर्थक। कुछ धर्मिक संगठन के लोग। इतना पैसा, हथियार कहां से आ रहा है। मणिपुर के खिलाफ षड़यंत्र रचा जा रहा है। इसे समय रहते केंद्र और राज्य सरकार को हैंडल करना होगा। अब और भड़क सकती है पहाड़ी जिलों में आग जानकार मान रहे हैं कि क्योंकि कुकी समुदाय के दस विधायकों ने यह मांग रखी है, तो निश्चित ही इसका असर पहाड़ी जिलों, जहां ट्राइबल लोग रहते हैं पर पड़ेगा। उनका साहस बढ़ेगा।
"उन्होंने अवैध अतिक्रमण किया, अवैध अफीम की खेती भी की, ये अब हमें मार रहे हैं। कुकी उग्रवादियों से हमें बचाओ। हमें हथियार और बंदूकें प्रदान करें, हम अपनी मातृभूमि के लिए वापस लड़ेंगे, मणिपुर के लिए हम आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़ेंगे।" एक मैतेई pic.twitter.com/tmFSczOoUO
— हम लोग We The People 🇮🇳 (@ajaychauhan41) May 11, 2023