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फ्राँस के फुटबाल मुस्लिम खिलाड़ियों के विरोधियो को होना पड़ा शर्मसार,फ्रांस की जनता इनकी हुई दीवानी

नई दिल्ली: फ़ुटबाल के विश्व कप में एक बार फिर फ्रांस ने जीत हासिल कर ली है,गौरतलब है कि मौजूदा फ्रांस की फुटबाल टीम में 7 मुस्लिम प्लेयर है.1998 में जब फ्रांस पहली बार फुटबाल वर्ल्ड कप जीता था तब फ्रांस की सड़कों में नारे लगे थे.black (ब्लैक)- blank(व्हाईट)-beur(अरब) इसकी वजह थी विनर टीम में कई सारे ब्लैक अफ्रीकन एंड अरेबियन प्लेयर का होना. फ्रांस की चैंपियन टीम के सबसे बड़े हीरो थे कैप्टन जीनेदीन जीदान जो कि एथिनिकली अलजेरियन मुस्लिम थे।

लेकिन फ्रांस के एक बड़े नेशनलिस्ट पॉलिटिकल लीडर “जीन मेरी ली पेन” जो कि 2002 प्रेसिडेंशियल इलेक्शन में सेकंड रहे उनको फ्रांस में ब्लैक एंड मुस्लिम प्लेयर की बढ़ती लोकप्रियता पसंद नही आई.इसने इलेक्शन रैली में लगातार फ्रांस फुटबॉल टीम में बढ़ते नॉन फ्रांसीसी प्लेयर आलोचना की। इसी वजह से 1998 वर्ल्ड कप चैंपियन टीम के कई प्लेयर ने ली पेन के खिलाफ इलेक्शन रैली में भाग लिया।

2017 में ली पेन कि बेटी फिर से प्रेसिडेंशियल इलेक्शन में सेकंड रही और अब तक का सबसे ज्यादा वोट लाई.2010 में फ्रांस की टीम जब बाहर हुई तो प्लेयर्स ने आरोप लगाया के फ्रांस के दोनों व्हाइट कोच ने टीम को सही से मैनेज नही किया और ब्लैक प्लेयर के साथ बिहेव सही नही किया। लेकिन व्हाइट्स ने ब्लैक एंड मुस्लिम प्लेयर पे आरोप लगाया।

इसके बाद अफवाह उड़ी के फ्रांस ने ब्लैक एंड मुस्लिम प्लेयर को रोकने के लिए कोटा सिस्टम लागू किया है.हालांकि फुटबॉल एसोसिएशन ने इसका खंडन किया.रियाल मैड्रिड से खेल रहे 30 साल के करीम मुस्तफा बेंजेमा जो कि 2010 और 2014 में फ्रांस के तरफ से खेल चुका है.इसका सिलेक्शन 2018 में नही करने पे फ्रांस टीम की आलोचना भी हो रही है.हालांकि इनका सिलेक्शन 2016 के बाद ही टीम में नही हुआ इसकी वजह कुछ बताते हैं रिसिज्म के खिलाफ करीम का मुखर होना।

इन सारी कंट्रोवर्सी, पॉलिटिक्स, रेसिज्म, एंटी इमिग्रेशन सिंटिमेंट, इस्लामोफोबिया के बाद भी 23 में से 16 ब्लैक एंड 7 मुस्लिम प्लेयर ने जगह बनाई। इन प्लेयर्स पे एक्स्ट्रा प्रेशर भी होता है के अगर जड़ा भी गलती की तो पूरा फ्रांस सारा ब्लेम इनपे डाल जाएगा जैसा 2010 में ब्लैक एंड मुस्लिम प्लेयर पे डाला गया था.इस बार जर्मनी ने भी पहला राउंड से बाहर होने का सारा ब्लेम मेसूट ओजिल जैसे मुस्लिम प्लेयर पे डाल रहा है।

जबकि कोरिया के खिलाफ मैच हारकर जर्मन टीम बाहर हुई थी उस मैच में इस वर्ल्ड कप सबसे ज्यादा एक प्लेयर द्वारा बनाया गया 7 चांस था.असल में टर्किश मूल के प्लेयर ने इंग्लैंड में तुर्की के प्रेसिडेंट एर्दोगान से मुलाकात कर फोटो सार्वजानिक की थी इस मुलाकात की जर्मन के चांसलर तक ने आलोचना किया था उसके बाद प्रेसिडेंशियल इलेक्शन में एर्दोगान जीत गया इस वजह से जर्मन की और सुलग गई है।

मैं चाहता था कि फ्रांस जीते यह वर्ल्ड कप ताकि स की सड़कों पे ब्लैक ब्लैंक बेऊर का नारा लगेगा.जिससे कुछ हदतक फिर से बढ़ते रेसिज्म, एंटी इमिग्रेशन सेंटीमेंट और इस्लामोफोबिया को रोकने में मदद मिलेगा सिर्फ फ्रांस, यूरोप में ही नही पूरे वर्ल्ड में क्यूंकि इतना ज्यादा इथनिकली डायवर्ट टीम किसी भी खेल में कभी चैंपियन नही बना है,और हुआ भी ऐसा।