विशेष

ट्रम्प ने युद्ध ख़त्म करवाने के नाम पर….हमारे वाले तो मिमियाने लगे थे!

Dr. Mukesh Kumar
@mukeshbudharwi
आख़िरकार ट्रम्प ने ज़ेलेंस्की के सिर पर कट्टा रखकर क्रिटिकल मिनरल अपने नाम लिखवा लिए।
ज़ेलेंस्की अब अमेरिका जाकर उस करार पर दस्तख़त करेंगे जिसे वे डेथ वारंट कह रहे थे।
वे यूक्रेन के हितों के साथ गद्दारी करेंगे, यूक्रेन को अमेरिका के हाथों में बेंच देंगे।
लेकिन ये तो होना ही था। वे पहले ही अमेरिका के हाथों का खिलौना बन चुके थे। जितनी चाभी भरी गई वे चले, अब चाभी नहीं भरी जा रही थी तो हालत खस्ता हो गई।
ट्रम्प ने युद्ध ख़त्म करवाने के नाम पर यूक्रेन को निचोड़ लिया। इस खेल में उन्होंने पुतिन को भी शामिल कर लिया। जो पुतिन को चाहिए था उन्हें दे दिया जो खुद चाहिए था वह झटक लिया।
अब ट्रम्प को युद्ध रुकवाने के लिए नोबल पुरस्कार मिलेगा और मिनरल हड़पने के लिए अमेरिकी जनता से शाबाशी मिलेगी।
क्रिटिकल मिनरल मिल जाने से चीन पर अमेरिका की निर्भरता घटेगी। ये एआई चिप्स बनाने के लिए ज़रूरी कच्चा माल हैं।

Srinivas BV
@srinivasiyc
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Feb 25
Modi जी का दोस्त Trump, Oval Office में बैठकर France के राष्ट्रपति Emmanuel Macron के सामने बैठकर Europe और उनके देश के बारे में झूठ बोल रहा था,

लेकिन Macron ने मोदी की तरह हां में हां मिलाने की जगह Trump को रोका और सही बात मीडिया को बताई।

हमारे वाले तो मिमियाने लगे थे!

Wg Cdr Anuma Acharya (Retd)
@AnumaVidisha
देश के 140 करोड़ लोगों में से 100 करोड़ लोग हर महीने अपनी जेब टटोलते रह जाते हैं, लेकिन खर्चों के अलावा कुछ खरीद नहीं पाते। ये लोग सिर्फ ‘अच्छे दिनों’ की बातें सुनते हैं, लेकिन असलियत में जैसे-तैसे घर चलाने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं।

Blume Ventures की रिपोर्ट बताती है 👇

• टॉप 10% लोगों के पास देश की आमदनी का 57% हिस्सा है।
• वहीं, देश के सबसे गरीब 50% लोगों के पास सिर्फ 15% हिस्सा आता है।
• मिडिल क्लास की हालत ऐसी हो गई है कि Income Tax भरने के बाद जेब में सिर्फ धैर्य बचता है, पैसा नहीं।
• महंगाई की रफ्तार बुलेट ट्रेन जैसी है, लेकिन सैलरी का ग्रोथ साइकिल रिक्शा जितना भी नहीं।
• बचत 50 साल के सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है—अब तो गुल्लक भी खाली पड़ा है।
• आर्थिक असमानता इतनी बढ़ गई है कि गरीबों की हालत और पतली होती जा रही है, और अमीर पहले से भी ज्यादा तगड़ा हो रहा है।

इसका सीधा मतलब है—
मोदी सरकार की नीतियां गरीबों के लिए कांटे और अमीरों के लिए चांदी की सीढ़ियां बन गई हैं। ये सरकार गरीबों की जेब काटकर, अमीरों की तिजोरियां भर रही है।

साफ है—
नरेंद्र मोदी गरीबों के लिए ‘मन की बात’ करते हैं, लेकिन काम सिर्फ अमीरों के लिए करते हैं!

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!