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मोदी के शौक शाही है, वो महंगी चीजे खा सकते हैं….

Kranti Kumar
@KraantiKumar
पहले आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा वो मशरुम खाते हैं.

2017 में गुजरात के नेता अल्पेश ठाकोर ने आरोप लगाया था मोदी जी ताइवान के आयात कर मशरूम खाते हैं.

एक ताइवानी मशरूम की कीमत 80,000 रुपए है. और यह बात ANI के X अकाउंट पर है और Indian Express में भी छपी थी.

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अब मोदी जी कह रहे हैं वो 365 दिन में से 300 दिन मखाना खाते हैं. मखाना बहुत ही पौष्टिक आहार है.

लेकिन आम आदमी और गरीब आदमी मखाना नही खा सकता. कारण मखाना 2000 रुपए किलो से ज्यादा में बिकता है.

मोदी के शौक शाही है, वो महंगी चीजे खा सकते हैं लेकिन बयानबाजी कर दाल भात चटनी रोटी खाने वाले गरीबों का अपमान ना करें.

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Kranti Kumar
@KraantiKumar
OSHO को जब केवल भारतीय सुनने आते थे तब आचार्य रजनीश गरीब थे. चटनी रोटी खाते थे.

शीला पटेल ने आचार्य रजनीश को इंग्लिश में प्रवचन देने के लिए प्रोत्साहित किया. पुणे के आश्रम में रजनीश इंग्लिश में प्रवचन देने लगे.

पुणे आश्रम में आने की हैवी फीस लगा दी गई. इससे उनके भारतीय अनुयायी कटने लगे. और विदेशी अनुयायी बढ़ने लगे.

शीला ने आचार्य रजनीश को फर्निश कर “Bhagwan Rajneesh” नाम का ब्रांड बनाया.

पुणे आश्रम में विदेशियों को तरह-तरह की थेरेपी भी दी जाने लगीं. सबसे ज्यादा विदेशी सेक्स थेरेपी को पसंद करने लगे. भारतीय को सेक्स थेरेपी से बाहर रखा गया.

संन्यासिनों को गर्भवती होने से रोकने के लिए उन्हें गर्भ निरोधक दवाएं दी जाती थीं. अगर कोई गर्भवती होती थी तो उसका आश्रम के मेडिकल सेंटर में ही अबॉर्शन किया जाता.

संन्यासियां एक दिन में कई बार और अलग-अलग लोगों के साथ सेक्स करती थीं. अलग अलग लोगों से सेक्स करने से आश्रम में संक्रामक यौन रोग बढ़ गए.

नाम OSHA का, विचारधारा की OSHO की, निमंत्रण OSHO का, लेकिन आश्रम पर नियंत्रण OSHO के चेलों का था.

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Kranti Kumar
@KraantiKumar
RSS और BJP का पुराना एजेंडा है OBC SC-ST जातियों के बीच आपसी भाईचारा, आपसी सहयोग ना बनने दिया जाए.

JATAV और YADAV जाति के बीच सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में जबर्दस्ती वैमनस्य पैदा किया जा रहा है.

इस काम को अगड़ी जातियों के द्वारा अंजाम नही दिया जा रहा है. बल्कि BJP IT सेल ने SC और OBC के बीच वैमनस्य फैलाने के लिए,

उन X अकाउंट को हायर किया है जो सोशल मीडिया पर खुद को अम्बेडकवादी और BSP का समर्थक बताते हैं.

लेकिन इससे नुकसान केवल BSP को होगा, कारण JATAV जाति को छोड़कर SC समाज की अन्य जातियां JATAV – YADAV वैमनस्य के खिलाफ हैं.

चार YADAV जातिवादियों के बहाने पूरे YADAV समाज को टारगेट करना तो AGENDA है.

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!