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तल्ख़ियां : #Waqf ammendment bill : वक़्फ़ अमेंडमेंट बिल लोकसभा में पास हो गया…#Trump ने भारत पर 26,% tax लगाने का ऐलान कर दिया है!

Shyam Meera Singh
@ShyamMeeraSingh
वक़्फ़ के बारे में एक दूसरी अफ़वाह है कि वक़्फ़ किसी भी ज़मीन को अपनी घोषित कर सकता है और पीड़ित इस बारे में कुछ नहीं कर सकता। ये भी भाजपा द्वारा फैलाया पूरी तरह झूठ है।

दरअसल देश में मुस्लिम समाज से आने वाले बहुत से लोगों ने गरीब लोगों और समाज हित के लिए बहुत सी संपत्तियाँ दान में दीं। जिन्हें वक़्फ़ कहा जाता है। जिनमें से बहुत सी संपत्ति पर आज भूमाफ़ियाओं का क़ब्जा है। इसलिए पहले एक छोटा सा कॉनसेप्ट समझना ज़रूरी है। अगर कोई अपनी संपत्ति समाज हित या धर्म के काम में दान करना चाहता है तो ये आसान काम नहीं है। पहले वक़्फ़ बोर्ड की तरफ़ से उस संपत्ति का सर्वे किया जाता है, बाद में प्रशासन की तरफ़ से सर्वे किया जाता है, और जब ये क्लियर हो जाता है कि अमुक संपत्ति उसी व्यक्ति की है तभी कोई संपत्ति वक़्फ़ की जा सकती है अन्यथा नहीं।

वक़्फ़ होने के बाद वह संपत्ति अल्लाह के नाम हो जाती है। लेकिन अगर किसी ने उस ज़मीन का अतिक्रमण कर रखा है, या पहले से वक़्फ़ की हुई ज़मीन पर क़ब्ज़ा करके बैठा है, तो इसकी सूचना मिलने पर- सरकार द्वारा बनाए गये वक़्फ़ बोर्ड की तरफ़ से Chief Executive Officer यानी वक़्फ़ का सीईओ उस व्यक्ति को नोटिस भेजेगा जिसने वक़्फ़ की ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर रखा है। इसके साथ ही वक़्फ़ की तरफ़ से इनक्वायरी की जाएगी कि वह ज़मीन वक़्फ़ की ही है या नहीं। डॉक्युमेंट्स देखे जाएँगे। अगर वक़्फ़ बोर्ड इस बात से कन्विंस हो जाएगा कि हाँ ये संपत्ति वक़्फ़ की है और इसपर क़ब्ज़ा किया हुआ है तो वक़्फ़ बोर्ड, वक़्फ़ ट्रिब्यूनल के पास एक एप्लिकेशन देगा कि वक़्फ़ की हुई ज़मीन से क़ब्ज़ा हटवाया जाए। वक़्फ़ ट्रिब्यूनल एक सरकारी कोर्ट है जिसमें सरकारी अधिकारी और सरकारी जज होता है। सरकारी जज ही इसका चेयरमैन होता है। कोई मुस्लिम मौलाना नहीं;

अब ये सरकारी- वक़्फ़ ट्रिब्यूनल तय करेगा कि ज़मीन वक़्फ़ की है कि नहीं, और उसके अकॉरिडिंग ही डिसिजन देगा।

इसके बाद भी अगर किसी को लगता है कि उसके साथ ग़लत हुआ है तो वो हाईकोर्ट जा सकता है। और ये चीज किसी भी धर्म से जुड़ी ज़मीन/संपत्ति को लेकर हो सकती है। हर जगह लगभग यही प्रोसेज है, इसलिए ऐसा कुछ नहीं है कि वक़्फ़ बोर्ड में अलग से है।

वक़्फ़ बोर्ड वैसे ही है जैसे बाक़ी धर्मों के मंदिर मठों के लिए क़ानून और ट्रस्ट बनाए गये- जैसे- Shri Jagannath Puri ACt 1955, Shri SiddhiVinayak Ganpati Temple Trust Act, Jammu and Kashmir Mata Vaishno Devi Shrine Act, अभी हाल ही में जैन बोर्ड बनाए जाने की बात की गई। सिखों के गुरुद्वारों को चलाने का काम भी गुरुद्वारा कमिटी करती है। सब धर्मों के ट्रस्ट और बोर्ड्स को उनके ही धर्म से जुड़े लोग चलाते हैं, ऐसा इसलिए ताकि किसी भी धर्म या वर्ग को ये ना लगे कि सरकार उनके धर्म के काम में हस्तक्षेप कर रही है। वैसे ही वक़्फ़ में है।

ये स्पष्ट है कि कोई ज़मीन वक़्फ़ है या नहीं ये तय करने का काम- वक़्फ़ ट्रिब्यूनल का है। ना कि वक़्फ़ बोर्ड का इसमें इकतरफ़ा अधिकार है। वक़्फ़ ट्रिब्यूनल पूरी तरह सरकारी ट्रिब्यूनल है, जैसे बाक़ी ट्रिब्यूनल होते हैं, इसके बारे में मैंने एक दूसरे ट्वीट में बताया है। ट्वीट की लिंक- https://x.com/ShyamMeeraSingh/status/1907326232112566695

दूसरी बात अगर आप वक़्फ़ ट्रिब्यूनल के फ़ैसले से सहमत नहीं हैं तो इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट जा सकते हैं। हाईकोर्ट देखेगा कि वक़्फ़ ट्रिब्यूनल (सरकारी जज) ने फ़ैसला सही दिया है या नहीं? लीगली दिया है कि नहीं? अगर हाईकोर्ट को इसमें कुछ भी गड़बड़ लगती है तो हाईकोर्ट उस फ़ैसले को बदल सकता है। संसोधित कर सकता है।

अगर वक़्फ़ बोर्ड के कहने से ज़मीन उसकी हो जाती तो आज वक़्फ़ बोर्ड सैकड़ों मामलों के लिए कोर्ट्स में नहीं लड़ रहा होता। ये सिर्फ़ अफ़वाहें, ताकि आप सरकार का समर्थन करने लगें।

Jaiky Yadav
@JaikyYadav16
आज लोकसभा में एक बहुत ही ख़ूबसूरत बहस हुई🔥🔥

यह बहस थी अखिलेश यादव जी और अमित शाह जी के बीच में,

अखिलेश यादव जी ने कहा कि

“जो पार्टी ये कहती हो कि वो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है वो अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन पाए हैं अभी तक”

इसपर अमित शाह जी खड़े हुए और उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि

“ये जितनी भी पार्टियां हैं उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष उन 5 लोगों को ही चुनना है परिवार के, हमें करोड़ों सदस्यों में से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनना है”

यह बहस तीखी तो थी मगर बेहद ही मित्रवत और सभ्य भाव से थी।,

Rahul Gandhi
@RahulGandhi
The Waqf (Amendment) Bill is a weapon aimed at marginalising Muslims and usurping their personal laws and property rights.

This attack on the Constitution by the RSS, BJP and their allies is aimed at Muslims today but sets a precedent to target other communities in the future.

The Congress party strongly opposes this legislation as it attacks the very idea of India and violates Article 25, the Right to Freedom of Religion.

Ashok Shera
@ashokshera94
“DMK सांसद A राजा ने कहा मैं सदन से इस्तीफ़ा दे दूंगा अगर….”

“माननीय मंत्री जी आप कल अपने भाषण को पुनः पढ़ना और JPC में प्रस्तुत दस्तावेजों से उसका मिलान करना अगर दोनों में समानता हुई तो मैं इस सदन से इस्तीफ़ा दे दूंगा…… अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की बात वो दल कर रहा है जिसके पास एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है”

Aadesh Rawal
@AadeshRawal
उत्तराखंड सरकार भी कमाल कर रही है।
देहरादून में एक जगह है मियांवाला।
अब मियांवाला का नाम बदलकर रामजीवाला रख दिया गया है।शायद मुख्यमंत्री जी को किसी ने बताया नहीं कि पहाड़ में सब मियांवाला ठाकुर है।ये साहब दूसरे मियाँ समझ बैठे…

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
यह वीडियो मेरठ का है। मेरठ में ईद के रोज़ नमाज़ियों ने यह बैनर लहराया था। इस बैनर पर “सिर्फ मुस्लिम सड़क पर नमाज़ नहीं पढ़ते” लिखा था। साथ ही उन आयोजनों के नाम भी लिखे थे, जो सड़क पर होते हैं। वीडियो वायरल हुआ, अब मेरठ पुलिस ने अज्ञात नमाज़ियों पर FIR दर्ज की है।
@dgpup
साहब कमसे कम से कम इन मुसलमानों को फांसी होना चाहिए। इन्होंने
@Uppolice
के सामने सच बोलने का जुर्म किया है।

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
जो 66 करोड़ लोगों के लिए 45 दिन रहने, खाने-पीने, स्नान की “समुचित व्यवस्था” का दावा कर रहा है, वह 20 हज़ार मुसलमानों के लिए 15 मिनट की नमाज के लिए व्यवस्था नहीें कर पाया
*****
रहा सवाल सड़क जाम करने का – तो ढोंगी
@myogiadityanath
, 48-48 घंटे सड़क जाम रही है 40-40 मील तक मृत्यु कुम्भ मेें

और आपका दावा गलत और झूठ है – कुम्भ मेें लोग मरे भी। गायब भी हुए, अश्लील वीडियो बने और बिके भी, आग भी लगी।

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आसमोहम्मद कैफ़ । Aas mohd kaif 🇮🇳
@journoaas
इससे ज्यादा और क्या चाहता है सहारनपुर !!

सदन में वक़्फ़ बोर्ड बिल पर एक ही जनपद के 2 सांसद अलग -अलग राजनीतिक दल से अपनी पार्टी का पक्ष रख रहे थे, इक़रा हसन को समाजवादी पार्टी ने इसके लिए चुना था तो इमरान मसूद को कांग्रेस ने स्पीकर बनाया !

कैराना लोकसभा की 2 विधानसभा गंगोह और नकुड़ सहारनपुर जनपद में आती है जबकि कैराना, थानाभवन और शामली , शामली जनपद का हिस्सा है !

इस तस्वीर में इक़रा हसन की अम्मी पूर्व सांसद तब्बुसम हसन और इमरान मसूद की पत्नी साइमा मसूद भी है।

Nawab Abrar
@nawababrar131
During the Budget session, BJP MP
@Tejasvi_Surya
remarked, “Owaisi Ji, Hindus don’t need even an inch of Waqf land.” In response,
@asadowaisi
countered, “As an MP from a Brahmin community, Tejaswi Surya seems unaware of Article 24. He should also know that only Brahmins prepare the prasadam at #TTD. By saying this, he’s contradicting his own party leadership and mocking them.”

Arshad Madani
@ArshadMadani007
खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली पार्टियों के लिए परीक्षा की घड़ी आ गई है। उन्हें तय करना होगा कि वे देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता के साथ खड़े हैं या उन लोगों के साथ जो इसे खत्म करने पर तुले हुए हैं। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने पहले ही घोषणा कर दी है कि अगर इस विधेयक को रोकने के लोकतांत्रिक प्रयास विफल हो गए तो वे इसके खिलाफ कानूनी संघर्ष शुरू करेंगे। यह विधेयक देश के संविधान पर सीधा हमला है, जो न केवल सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है बल्कि उन्हें पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी भी देता है। यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को छीनने की एक खतरनाक साजिश है। इसलिए, जो लोग इस साजिश को हराने के प्रयास में मुसलमानों के साथ खड़े होंगे, वे वास्तव में संविधान और धर्मनिरपेक्षता के असली रक्षक माने जाएंगे। इसके विपरीत, जो लोग इस साजिश को सफल बनाने में सरकार का समर्थन करते हैं, वे देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता के खुले दुश्मन माने जाएंगे। सभी संसद सदस्यों से अपील है कि वे अपने विवेक का उपयोग करते हुए इस विधेयक के खिलाफ मतदान कर के संविधान और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करें।

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Shams Tabrez Qasmi
@ShamsTabrezQ
लोक सभा में वक़्फ़ बिल पर बहस के दौरान सबसे घटिया स्पीच जनता दल यूनाइटेड के नेता लल्लन सिंह की रही, उन्होंने अपने भाषण में केवल नरेंद्र मोदी की तारीफ़ की, एक बार फिर नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया, BJP के नेताओं को भी उन्होंने पीछे छोड़ दिया|
नीतीश कुमार के इतने बुरे दिन आगए हैं कि उनके अपने ही उनका नाम तक नहीं ले रहे हैं , इससे अच्छा भाषण चिराग पासवान, चंद्रबाबू नायडू और दूसरी पार्टियों के नेताओं का जिन्होंने मुद्दों पर बातचीत की, हर लाइन में मोदी मोदी नहीं किया|

Dr C P Rai
@cprai
एक संगठन का एक ही फार्मूला है कि जहां जड़े नही हो और जम भी नही पा रही हो वहा एन केन प्रकरेन देंगे करने का प्लान बनाओ ,दंगा दर दंगा करवाओ , लोगो में कैसे भी खूब नफरत फैलाओ और उससे एक वर्ग का आधार पा जाओ ।
चाहे मानवता , समाज और देश भाड़ में जाए ।
कौन ? मैं क्यों बताऊं !
आप लोग अपने अपने अनुभव से जानो ।
#मैं_भी_सोचू_तू_भी_सोच

Office of Amit Shah
@AmitShahOffice
वक्फ एक प्रकार की चैरिटेबल संस्था है, जहाँ कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को सामाजिक, धार्मिक या जनकल्याण के उद्देश्य से दान करता है, बिना उसे वापस लेने के अधिकार के।

इसमें ‘दान’ शब्द का विशेष महत्व है क्योंकि दान केवल उसी चीज़ का किया जा सकता है, जो हमारी स्वयं की संपत्ति हो। सरकारी संपत्ति का दान कोई नहीं कर सकता: श्री

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
सनद रहे
——-
( मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म स्थान और ईदगाह के बीच 1968 में हुए ऐतिहासिक समझौते का मूल पाठ )
“हम कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ मथुरा द्वारा अधिकृत अधिकारी तथा उपमंत्री उक्त संघ श्री देवधर शाश्त्री प्रथम पक्ष व ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह मथुरा द्वारा श्री शाहमीर मलीह व अब्दुल गफ्फार एडवोकेट अधिकृत अधिकारीगण व नुमायंदा बजरिये ट्रस्ट रिजोल्यूशन न. 2 दिनांक 8.10.68 द्वितीय पक्ष के हैं,
“जो कि कृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ तथा ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह तथा कतिपय अन्य मुसलमान घोसी आदि कि जो ट्रस्ट शाही मस्जिद के किरायेदार अथवा लाइसेंसी अपने को बतलाते हैं के दरमियान एक अरसे से झगड़ा चला आता है और कई मुकदमात अदालत दीवानी और फौजदारी में चल चुके हैं और कुछ मुकदमात अब भी चल रहे हैं । मथुरा शहर के कुछ संभ्रांत व्यक्तियों ने तथा हिन्दू-मुसलमान प्रतिनिधियों के परामर्श से दोनों पक्षों ने राजीनामा स्वेच्छा से कर लिया है तथा पारस्परिक विवादों को समाप्त करने के लिए समझौता हो गया है ताकि दोनों पक्षों के आपसी मतभेद और मुकदमेबाजी हमेशा के लिए स्थगित हो जाये । उक्त समझोते के अनुसार समूर्ण विवादों को तय करने के लिए द्वितीय पक्ष ने यूपी सेन्ट्रल बोर्ड द्रुतगामी पत्र सं 2868/43-सी आई आर 19.09.68 द्वारा स्वीकृति भी प्राप्त कर ली है और अपनी बैठक दिनांक 08.10.68 के प्रस्ताव सं 2 के द्वारा उक्त समझौते को कार्यान्वित करने के लिए उक्त श्री मौहम्मद शाहमीर मलीह तथा श्री अब्दुल गफ्फार एडवोकेट को समस्त अधिकार दे दिए हैं और प्रथम पक्ष ने अपनी बैठक दिनाक 25.08.68 में उक्त समझौता स्वीकार कर लिया है और अपनी ओर से इस समझोते के क्रियान्वयन करने के लिए उक्त श्री देवधर शाश्त्री को सम्पूर्ण अधिकार दे दिए हैं । उक्त समझौते के क्रियान्वयन में कुछ समय लगेगा अतः यह उचित तथा आवश्यक समझा गया है कि उसकी बाबत एक इकरारनामा बाजाप्ता तहरीर करके रजिस्ट्री करा दिया जावे । अतः हम दोनों पक्ष स्वेच्छा से खूब सोच समझकर तथा दोनों संस्थाओं की सहमति से यह इकरारनामा निम्न शर्तों सहित तहरीर किये देते हैं कि जिसकी पाबन्दी हम दोनों पक्षों से होगी तथा दोनों पक्षों का कर्तव्य होगा कि उसको पूर्णरूप से क्रियान्वित करें-
1.यह कि ईदगाह की कच्ची कुर्सी के उत्तर व दक्षिण की दीवारों को पूर्व की ओर रेलवे लाइन तक बढ़ा लिया जाये । इन दोनों दीवारों का निर्माण ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह करेगा ।
2.यह कि दीवारों के बाहर उत्तर और दक्खिन की ओर जो घोसी आदि की मुस्लिम आबादी है उसको ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह अपनी जिम्मेदारी पर खाली कराकर श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ को सौंप देगा और इसकी मिलकियत से ट्रस्ट शाही मस्जिद या कि उसमें आबाद घोसी बगैरह या अन्य किसी मुसलमान को कोई बास्ता नहीं रहेगा और यह प्रथम पक्ष की मिलकियत समझी जावेगी और इसी तरह उत्तर दक्षिण की दीवारों के भीतर की भूमि मिलकियत से श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ को कोई बास्ता नहीं रहेगा और वह द्वितीय पक्ष की मिलकियत समझी जायेगी ।
3.यह कि ईदगाह की कच्ची कुर्सी के पश्चिमी उत्तरी कोने में जो भूमि खंड श्री कृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ का है और जो नक़्शे में ए बी सी डी द्वारा दिखलाया गया है उसमें ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह अपनी कच्ची कुर्सी को चौकोर कर लेगा और वह उसी की मिलकियत समझी जावेगी ।
4.यह कि दक्खिन की ओर जो कोने का मलवा जिसपर मुकदमेबाजी हो रही है उस मलवे को दिनांक 15 अक्टूबर 1968 तक ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह उठा लेगा और उस भूमि पर श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ का कब्ज़ा हो जायेगा ।
5.यह कि जो मकानात उत्तर दक्खिन वाली दीवारों के बाहर घोसियों आदि की मुस्लिम आबादी के हैं तथा जिन मकानों का बैनामा घोसियों से ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह ने करा लिया है उनको ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह 15 अक्टूबर 1968 तक खाली कराकर श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ को सौंप देगा । यह कार्य पूरा होने पर ही ईदगाह ट्रस्ट दीवारें आदि बना सकेगा । इन दीवारों में तथा कच्ची कुर्सी की दीवारों में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ की ओर से कोई दीवार या जंगला पिंजर आदि ट्रस्ट शाहीमस्जिद ईदगाह नहीं लगा सकेगा और न इनमें कोई मोरी या परनाला श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ की ओर निकाल सकेगा । इसी प्रकार श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ भी ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा ।

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
6.यह कि ईदगाह के जो परनाले श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ की ओर पश्चिम की तरफ पड़ते हैं उनको श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ अपने खर्चे से पाइप लगा कर उनका पानी ईदगाह की कच्ची कुर्सी पर मोड़ देगा और उसके बाद उस पानी को अपने खर्च से पक्की नाली बनाकर पूर्व की ओर मस्जिद के पूर्वी दरवाजे तक कच्ची कुर्सी की हद तक पहुंचा देगा । मस्जिद ईदगाह की दीवार में पाइप लगाने में ट्रस्ट शाही मस्जिद को कोई एतराज नहीं होगा । इस काम को पूरा कराने में ट्रस्ट शाही मस्जिद का प्रतिनिधि साथ होगा और उसकी सलाह मानी जावेगी ।
7.यह कि रेलवे की जो भूमि श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ एक्वायर करा रहा है उसके एक्वायर होने पर ईदगाह के सामने जो भूमि उत्तर दक्षिण की दीवारों के भीतर आएगी उसको भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह को दे देगा और वह मिलकियत द्वितीय पक्ष समझी जायेगी ।
8.यह कि जो भूमि कच्ची कुर्सी के आगे पूर्व की ओर ई एफ जी एच आई जे के एल तथा पश्चिम उत्तर के कोने में ए बी सी डी द्वारा प्रदर्शित की गयी है और जिसको श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह के हक़ में छोड़ा है उसे संलग्न नक़्शे में तिरछी लाइनों से दिखाया गया है। 9.यह कि दोनों पक्षों की ओर से जो मुक़दमे चल रहे हैं उनमें समझौते की समस्त शर्ते पूरी हो जाने पर दोनों पक्ष राजीनामा इसी समझौते के अनुसार दाखिल कर देंगे ।
10.यह कि दोनों पक्षों को यह अधिकार होगा कि यदि कोई पक्ष इस इकरारनामा की शर्तों की पाबन्दी नहीं करता है तो वह अदालत द्वारा या जिस प्रकार भी संभव हो उनको कार्यान्वित करा ले । इसमें दूसरे पक्ष को कोई आपत्ति न होगी और वह कोई आपत्ति न कर सकेगा ।
अतः यह इकरारनामा एक प्रतिलिपि सहित दोनों पक्षों ने अपनी रजामंदी से लिख दिया कि प्रमाण रहे और समय पर काम आवे ।
तहरीर तारीख 12 अक्टूबर 1968 ई टाइप किया द्वारिका प्रसाद चतुर्वेदी लेखक नवनीत लाल शर्मा ह. देवधर शास्त्री ह. गफ्फार ह. मोहम्मद शाहमीर मलीह साक्षी- बाबूलाल बल्द हीरालाल घीयामंडी मथुरा साक्षी- मोहम्मद याकूब बल्द अलादीन मनोहरपुरा मथुरा साक्षी- पीर मोहम्मद बल्द पलटू कटरा ईदगाह मथुरा साक्षी-नवनीतलाल शर्मा मथुरा
(बही न. 1 जिल्द 729 के सफा 76 से 79 में मुसन्ना न. 3384 मय असल न.3383 पर आज बतारीख 22.11.68 रजिस्ट्री की गयी । नक्शा फाइल बुक न. 1 जिल्द 727 के पृष्ठ 431,432 चस्पा किया गया ।-ह. सब रजिस्ट्रार मथुरा असल स्टाम्प सबा दो रूपया है ।)

Shyam Meera Singh
@ShyamMeeraSingh
ये भ्रम ख़ास प्रोपोगंडा के तहत भाजपा के लोगों ने फैलाया है कि वक़्फ़ बोर्ड ही वक़्फ़ ट्रिब्यूनल का मालिक है और उसके ख़िलाफ़ किसी दूसरी कोर्ट में नहीं जा सकते। ये पूरी तरह झूठ है।

ट्रिब्यूनल दरअसल एक तरह से कोर्ट्स ही होते हैं, अलग अलग क्षेत्रों जैसे रेलवे टैक्स, एडमिनिस्ट्रेशन आदि में ट्रिब्यूनल बनाए जाते हैं, ताकि- इन मामलों की जल्दी सुनवाई हो सके, और हाई-कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट पर कम से कम बर्डन पड़े, ट्रिब्यूनल बनाने के पीछे सबसे बड़ा कारण उस क्षेत्र की टेक्निकल नॉलेज है, नार्मल जजेस को बहुत से क्षेत्र की नॉलेज नहीं होती, इसलिए सरकार की तरफ़ से ट्रिब्युअल बनाये जाते हैं। जैसे- Industrial Tribunal, Customs, Excise and Service Tax Appellate Tribunal, Armed Forces Tribunal, National Green Tribunal, Railway tribunal.

उसी तरह ही सरकार ने वक़्फ़ ट्रिब्यूनल बनाए हैं। वक़्फ़ एक्ट 1995 के Section 83 के अनुसार- वक़्फ़ ट्रिब्यूनल में- एक सदस्य- State Judicial Service का होगा, मतलब सरकारी जज होगा जो District, Sessions or Civil Judge, Class I लेवल से कम रैंक का नहीं होगा, यही आदमी वक़्फ़ ट्रिब्यूनल का चेयरमैन होगा, एक सदस्य- State Civil Services से होगा, मतलब पीसीएस से आएगा जो ADM लेवल से कम रैंक का नहीं होगा। और एक सदस्य ऐसा होगा जिसे Muslim law and jurisprudence(ज्यूरिसप्रूडेंस) की नॉलेज हो।

साफ़ है ये वक़्फ़ बोर्ड का वक़्फ़ ट्रिब्यूनल से कोई नाता नहीं है, वक़्फ़ ट्रिब्यूनल सरकारी होता है। पूरी तरह ग़ैर मज़हबी और निष्पक्ष। इसका मुस्लिमों से कोई नाता नहीं है। जैसे कस्टम के केस कस्टम ट्रिब्यूनल में जाते हैं, उनकी टेक्नीकलिटी की वजह से, वैसे ही वक़्फ़ प्रॉपर्टी की टेक्नीकलिटी के वजह से वक़्फ़ प्रॉपर्टी के केस वक़्फ़ ट्रिब्यूनल में जाते हैं।

दूसरा भ्रम ये फैलाया जाता है कि वक़्फ़ बोर्ड या वक़्फ़ ट्रिब्यूनल के फ़ैसले के ख़िलाफ़ किसी दूसरे कोर्ट में नहीं जाया जा सकता। ये पूरी तरह झूठ है।
Wakf Act,1995 के सेक्शन 83(9) (last para) के अनुसार- हाईकोर्ट, वक़्फ़ से जुड़े वक़्फ़ ट्रिब्यूनल द्वारा सुने गये मामले के रिकॉर्ड्स को एक्सामिन कर सकती है, जाँच सकती है। ये देखने के लिए कि सब लीगली तरीक़े से हो रहा है या नहीं। अगर हाइकोर्ट को कुछ ग़लत लगता है तो ट्रिब्यूनल के फ़ैसले बदल भी सकती है, संसोधित कर सकती है, हाईकोर्ट जो चाहे वो कर सकता है वक़्फ़ ट्रिब्यूनल के फ़ैसले के ख़िलाफ़.

वक़्फ़ बोर्ड के मामले को समझने के लिए मेरी वीडियो देख सकते हैं।

वक़्फ़ की मिलक़ियत, मुसलमानों से ज़मीन छीन ली गयी

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
✨मोदी✨
🎊केजरीवाल🎊

✨मोदी ने कहा काला धन लाऊँगा, उसे मालूम था यह वह कभी नहीं कर सकता
🎊केजरीवाल ने कहा लोकपाल लाऊँगा, उसे मालूम था यह वह कभी नहीं ला सकता

✨मोदी ने कहा राहुल-सोनिया को जेल भेज दूंगा, उसे मालूम था वह कभी नहीं भेज सकता है
🎊केजरीवाल ने कहा शीला दीक्षित को जेल भेज दूंगा, उसे मालूम था वह कभी नहीं भेज सकता

✨मोदी ने कागज लहराए, उसे मालूम था उनमें कुछ नहीं है
🎊केजरीवाल ने कागज़ लहराए, उसे मालूम था उनमें कुछ नहीं है

✨मोदी ने घोटालों का मुद्दा उठाया, उसे मालूम था कोई घोटाला हुआ ही नहीं
🎊केजरीवाल ने घोटालों का मुद्दा उठाया, उसे मालूम था कोई घोटाला हुआ ही नहीं

✨मोदी ने अपने को ईमानदार बताया, उसे मालूम था वह नहीं है
🎊केजरीवाल ने अपने को ईमानदार बताया, उसे मालूम था वह नहीं है

✨मोदी ने जन-सुविधाएँ देने की बात की और उनके लिए जनता की दूसरी जेब से पैसा निकाल लिया
🎊केजरीवाल ने जन-सुविधाएँ देने की बात की और उनके लिए जनता की दूसरी जेब से पैसा निकाल लिया

✨मोदी ने पूंजीपतियों को पैसा दिया, लाभ दिया जन-सुविधाओं के लिए
🎊केजरीवाल ने पूंजीपतियों को पैसा दिया, लाभ दिया जन-सुविधाओं के लिए

✨मोदी बहुमत से जीता
🎊केजरीवाल बहुमत से जीता

✨मोदी ने जनता को मुग्ध किया अपने को आदर्शवादी बताते हुए
🎊केजरीवाल ने जनता को मुग्ध किया अपने को आदर्शवादी बताते हुए

✨मोदी ने जनता को कुछ टुकड़े फेंककर लुभा लिया
🎊केजरीवाल ने जनता को कुछ टुकड़े फेंककर लुभा लिया

यह साझा मानसिकता आरएसएस की है !

https://x.com/i/status/1907460836982984778

The Muslim Spaces
@TheMuslimSpaces
क्या चंदे और खैरात पर पलने वाले अजमेर दरगाह के सरकारी “सूफी” का मुसलमान कौम बहिष्कार करेगी?

“वक्फ बिल बहुत अच्छा बिल होगा! अब वक्फ का पैसा आम और गरीब मुसलमानों तक पहुंचेगा!”

अजमेर दरगाह के “सज्जादानशीन” और ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन नसीरुद्दीन चिश्ती ने आगे कहा कि, “लोग लंबे समय से वक्फ बिल का इंतजार कर रहे थे. लोगों को उम्मीद है कि एक अच्छा बिल आएगा। लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार सभी को है लेकिन मुझे पता चला है कि विपक्ष की मुख्य आपत्तियों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है।”

गैरमतलब है कि दिसंबर 2024 में, अजमेर दरगाह के भीतर शिव मंदिर के दावे पर अदालत के आदेश पर, यही अजमेर दरगाह के “सज्जादानशीन” ने कहा था कि “कुछ समय से हर दरगाह और मस्जिद में मंदिर ढूंढना पब्लिसिटी के लिए किया जा रहा है!”

भारत समाचार | Bharat Samachar
@bstvlive
🚨 बरेली: ब्रेकिंग 🚨

मौलाना शाहबुद्दीन रजवी का बयान वक्फ संशोधन बिल पर

वक्फ संशोधन बिल पर मौलाना शाहबुद्दीन रजवी का बयान। AIMPLB मुस्लिमों को डरा रहा, शाहबुद्दीन रजवी का आरोप।

शाहबुद्दीन रजवी ने कहा, “बिल से मुस्लिमों को कोई खतरा नहीं।”

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Abdur Rahman
@AbdurRahman_IPS
वक़्फ़ सुधारणा विधेयक पर JDU का स्टैंड आ गया. मुसलमानों, ये लोग तुम्हें खुश करने के लिए टोपी पहन लेंगें. इफ्तार पार्टी का आयोजन करेंगे. तुम्हारा वोट लेकर सरकार बना लेंगे. लेकिन जब तुम्हें तुम्हारे हक़ की बात होगी और तुम्हारे साथ न्याय देने के की बात होगी तो ये लोग तुमसे मुँह फेर लेंगे.
इनके चाल और चरित्र को याद रखो. इनपर लानत भेजो.

Priyanka Chaturvedi🇮🇳
@priyankac19
While most times parliamentarians are abused for not doing enough, hope the country appreciates the Lok Sabha working this late and passionately debating the Waqf Amendment (either side of the debate) that will be decisive policy intervention. And this isn’t the first time, the commitment of every parliamentarian towards their work and the nation is total.

Congress
@INCIndia
ये सरकार उस कौम पर दाग लगाना चाहती है 👇🏼

• जिसने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी
• जिन्होंने मंगल पांडे जी के साथ शहादत दी
• जिसके 2 लाख से ज़्यादा उलेमा शहीद हुए
• जिसने गांधी जी के दांडी मार्च का समर्थन किया
• जिन्होंने 1926 में अंग्रेजों के ‘डिवाइड एंड रूल’ का विरोध किया

जब RSS के लोग ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का विरोध कर रहे थे और माफीनामा लिख रहे थे, तब ये कौम देश के लिए लड़ाई लड़ रही थी।

: लोक सभा में उपनेता
@GauravGogoiAsm
जी

Abdur Rahman
@AbdurRahman_IPS
जब भी दो या अधिक पार्टियों का गठबंधन होता है तो एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (CMP) बनता है जिसमें आम जनता से जुड़े विषय जैसे, रोजी-रोटी, मकान, ग़रीबी उन्मूलन, रोजगार, महंगाई पर नियंत्रण, शिक्षा, साफ पानी, पर्यावरण, आधारभुत ढांचा का विकास, बेहतर प्रशासन आदि का समावेश होता है. हर पार्टी का एक अजेंडा होता है जिसे CMP से बाहर रखा जाता है.
वक़्फ़ में बदलाव का मामला बीजेपी का एक अजेंडा है जिससे वह वक़्फ़ की ज़मीन हड़पना चाहती है.
JDU, TDP या बीजेपी के अन्य सहयोगी दलों को इस बात को समझना चाहिए कि यह उनका अजेंडा नहीं है या यह मामला CMP का हिस्सा नहीं है. फिर हम बीजेपी के अजेंडा का क्यों समर्थन कर रहे है?

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
यह वक्फ अमेंडमेंट बिल नहीें है
यह ज़मीन हथियाओ बिल है
*****
पुरजोर साजिश है
मुसलमानों को ज़मीन और व्यवसाय से बेदखल करो
सेकेंड ग्रेड सिटीजन बना दो

ध्यान रखिए 👇
यही हाल दलितों बौद्धों का होगा जातिगत आरक्षण हटाकर

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Ali Sohrab
@007AliSohrab
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) पुरजोर तरीके से अभी वक्फ़ अमेनमेंट बिल के विरुद्ध खड़ा है, अच्छी बात है…
नीचे की लाइन मैं लिखना नहीं चाहता था लेकिन भारी मन से लिख रहा हूं…
जब अंबानी का घर एंटीलिया वक्फ की प्रॉपर्टी पर बनाया गया तो AIMPLB अप्रत्यक्ष रूप से वक्फ के विरुद्ध व अंबानी के समर्थन में खड़ा था…
अंबानी का समर्थन तक ही सीमित नहीं बल्कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के कानूनी सलाहकार यूसुफ हातिम मुछाला ने वक्फ बोर्ड के खिलाफ एंटीलिया मामले में मुकेश अंबानी का प्रतिनिधित्व किया था…
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) एक मशकूक संस्थान है?

ANI_HindiNews

@AHindinews
#WATCH गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश: वक्फ संशोधन विधेयक कल संसद में पेश होने पर उत्तर प्रदेश के DGP प्रशांत कुमार ने कहा, “हम पहले से ही इसकी तैयारी कर रहे हैं। बातचीत के जरिए समस्या का समाधान निकाला जाएगा। इसमें जितने भी हितधारक हैं, उनसे बातचीत करेंगे। पहले भी चाहे किसानों का मुद्दा हो या अलग-अलग समय पर त्यौहारों का मुद्दा हो, सारी चीजें पूरी रही हैं। अगर ऐसी कोई चीज होगी, तो हम सबको साथ लेकर चलेंगे, आपस में बातचीत करके व्यवस्थाएं पूरी करेंगे।”

Danish Anzar
@DanishAnzar_
वक़्फ़ बिल में 4 Non Muslim रहने की बात ख़ुद बिल पेश करने वाले मंत्री किरण रिज्जु कह रहे है.आज एक ही दिन में सुबह कुछ और शाम में कुछ बयान देकर सरकार सिर्फ़ मुसलमानों को गुमराह कर रही है ताकि मुसलमानों के प्रतिरोध को कम किया जा सके बाक़ी दोनों में से कौन झूट बोल रहा है आप ख़ुद भी तय कर सकते है.

Imran Pratapgarhi
@ShayarImran
मैं लोकसभा में विपक्ष के उन सभी 232 सांसदों का शुक्रिया अदा करता हूँ जो मौजूदा सरकार की तानाशाही के ख़िलाफ़ आधी रात गये भी डटे हैं और वक्फ़ बिल के ख़िलाफ़ वोट कर रहे हैं, सरकार का संख्या बल भले ज्यादा है लेकिन इतिहास याद रखेगा कि जब सरकार आधी रात गये भी अपने ही देश के मुस्लिम नागरिकों को नीचा दिखाने के लिये नये नये क़ानून ला रही थी तब विपक्ष के 232 सांसद जिसमें हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई,दलित सब शामिल थे वो एकजुट होकर सरकार का विरोध कर रहे थे।

Ranvijay Singh
@ranvijaylive
वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पास हो गया

• पक्ष में 288 वोट पड़े
• विरोध में 232 वोट पड़े

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Manish Singh
@RebornManish
तो (5kg) ग्रोसरी वालो, तुमको क्या ही दिक्कत है? लोगो ने दान दिया है, या पुराने नवाबो ने बनवाया है।

वैसे, रिजिजू का स्टेटमेन्ट गलत है।

अगर भारत मे हिन्दू धर्म से जुड़े सारे छोटे ट्रस्ट, बोर्ड, मंदिर समितियों वगैरह की प्रॉपर्टीज जोड़कर, एक ही बोर्ड को दे दी जाएं, तो उसके पास वक्फ बोर्ड से 50 गुनी प्रोपर्टी हो जाएगी।

जिन्हें डाउट है मेरी बात पर,
आसपास देख लो।

आपके शहर भर में एक मस्जिद के पीछे 50 मंदिर मिलेंगे। सारी प्राइम प्रॉपर्टी हैं। लगा लो हिसाब।

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Samiullah Khan
@_SamiullahKhan
Another dark day for the Muslims of India! The anti-Muslim #WaqfBill has been passed in the Lok Sabha. This is a dacoit attack on Muslim rights,
We will fight against this shameful injustice courageously, powerfully, and legally until our last breath and the last drop of our blood.\

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, सभी लेख X पर वॉयरल हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!