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गांधी के हत्यारों के पास इतिहास, राजनीति, दर्शन तथा संस्कृति का अपना क़ारखाना है जिसके उत्पाद निराले हैं!
जनरल नरभक्षी 🏹 @GDnarbhakshi गांधी मर्म ————- मजबूरी में गांधी का नाम लेने, लेकिन मन ही मन उनसे कुढ़ने, तथा उनकी हत्या पर खुश होने वालों की पहचान ऐसे तो जगजाहिर है, लेकिन उनका एक चिन्ह कल 2 अक्टूबर को खुल कर प्रकट होगा। वे गांधी का उल्लेख न करते हुए जानबूझ कर लाल बहादुर […]
हत्याओं और जनसंहार के मौसम में साहित्य के रंगारंग जलसों में गाने-बजाने वालों से…
Kavita Krishnapallavi =========== जिस दिन हम सत्ता के आगे झुकने वालों से, फासिस्ट हत्यारों के हाथ चूमकर उनसे ईनाम और वजीफा लेने वालों से, हत्याओं और जनसंहार के मौसम में साहित्य के रंगारंग जलसों में गाने-बजाने वालों से, पतित छद्मवामियों, लिजलिजे लिबरलों, निठल्ले कायर बकवासियों, अवसरवादियों, कैरियरवादियों, बौद्धिक लफंगों और साहित्यिक दुराचारियों व दल्लों से […]
राजनीति-नेता भारत व पार्टी के संविधान को नतमस्तक नहीं होता : लेखक मुकेश शर्मा का लेख पढ़ें!
Lekhak Mukesh Sharma ============== राजनीति- १-राजनीति में कोई स्थायी दोस्त व दुश्मन नहीं होता। २-राजनीति में वैचारिक मतभेद स्वाभाविक हैं। ३-शीर्ष नेताओं के इर्दगिर्द रहने वाले उनसे व उनके कारण अपना काम निकालते हैं।ऐसे लोग भविष्य में बड़े नेता नहीं बनते क्योंकि जिसकी सेवा लोगे उसकी अधीनता आपका स्वभाव बन जायेगी। ४-नेता का दायित्व है […]