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मक्का मस्जिद ब्लास्ट:असदउद्दीन औवेसी ने NIA के फैसले पर उठाया सवाल, कहा ‘अंधे बहरे तोते ने की पक्षपाती जांच’

नई दिल्ली :हैदराबाद की प्रसिद्ध मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट मामले में 11 साल बाद आज कोर्ट द्वारा फैसला सुनाया गया है। इस मामले में विशेष NIA अदालत ने आरोपी स्वामी असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। इस पूरी सुनवाई के दौरान 226 गवाहों से पूछताछ हुई और 411 कागजात पेश किए गए। फैसला सुनाने के लिए आरोपी असीमानंद को नमापल्ली कोर्ट में लाया गया था। स्वामी असीमानंद इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक थे।

एनआईए की विशेष अदालत के इस फैसले पर हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी नाराज़गी ज़ाहिर की है। ओवैसी ने एनआईए की जांच पर सवाल उठाए हैं। ओवैसी ने कहा कि NIA बहरा और अंधा तोता है जोकि केस में राजनीतिक दखल दे रहा है।

ओवैसी ने कहा कि NIA ने मामले की सही पैरवी नहीं की। जून 2014 के बाद से मामले के ज्यादातर गवाह बदल गए। आपराधिक मामलों में जब राजनीति हावी हो जाएगी तो न्याय नहीं मिलेगा। आज के फैसले के बाद से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कमजोर हुई है। एनआईए ने केस की पैरवी उम्मीद के मुताबिक नहीं की या फिर ‘राजनीतिक मास्टर’ द्वारा उन्हें ऐसा करने नहीं दिया गया।

आपराधिक मामले में जबतक ऐसी पक्षपाती चीजें होती रहेंगी तब तक न्याय नहीं मिलेगा। एनआईए और मोदी सरकार ने आरोपियों को मिली बेल के खिलाफ़ भी अपील नहीं की। यह पूरी तरह से पक्षपाती जांच थी। इससे आतंक के खिलाफ हमारी लड़ाई कमज़ोर हुई है।

आपको बता दें कि 18 मई 2007 हैदराबाद में जुमे की नमाज के दौरान ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में विस्फोट में नौ लोगों की मौत हुई थी और 58 लोग घायल हो गए थे। स्थानीय पुलिस की शुरुआती छानबीन के बाद मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। सीबीआई ने एक आरोपपत्र दाखिल किया। इसके बाद 2011 में सीबीआई से यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास गया था।