सेहत

”दोष भारतीयों का है जो SEX के पीछे पागल तो हैं लेकिन बात नही करना चाहते”

Kranti Kumar
@KraantiKumar
रजनीश चंद्रमोहन जैन ने SEX पर मुश्किल से अपने कुल डिस्कोर्स में केवल 2% बोला है.

भारतीयों को उनके डिस्कोर्स में केवल SEX विषय ही नजर क्यों आया.

दोष रजनीश का नही, दोष भारतीयों का है जो SEX के पीछे पागल तो हैं लेकिन बात नही करना चाहते.

रजनीश ने पुणे आश्रम में वाइफ स्वपिंग प्रयोग से भारतीयों को बाहर रखा था. अदला बदली प्रयोग केवल विदेशी अनुयायियों के लिए आरक्षित था.

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रजनीश के अनुसार यह प्रयोग किसी भी भारतीय के बस के बाहर है. वे उतने परिपक्व नही हैं.

आज भारत के हर बड़े फाइव स्टार होटलों में पति पत्नी की अदला बदली कर SEX करना आम चलन बन चुका है.

कुछ लोग तो अपनी पत्नी का गैर मर्द के बीच संबंध बनते हुए देखने में उत्सुक रहते हैं.

रजनीश ने बीमारी का शोध किया, उसका इलाज बताने की कोशिश की. हम भारतीयों ने उन्ही को बीमार बता दिया.

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तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
सेक्स हर कोई करना चाहता है लेकिन……

सेक्स हर कोई करना चहता है चाहे वह महिला हो या पुरुष।
कामुक बातें हर किसी को पसन्द हैं
हर कोई कामवासना में लिप्त है।
और होगा भी क्यों नहीं यह प्रकृति ने दिया है और स्वाभाविक प्रक्रिया है।
सहमति से सेक्स कोई गलत नहीं है और मैं सेक्स को आम क्रियाओं की तरह ही मानती हूं।
जो जीवन को, रूह कोआनंदित कर दे वह विषय खराब कैसे हो सकता है।
और फिर जिस विषय पर महर्षि वात्स्यान जैसे महान दार्शनिक ने कामसूत्र पुस्तक लिखी हो और विस्तार पूर्वक वर्णन किया हो बह विषय चर्चा के योग्य क्यों नहीं हो सकता वह विषय खराब कैसे हो सकता है, सेक्स को अच्छे से किया जाए तो फिर सेक्स सबसे ज्यादा आनंदित करने बाली क्रिया है।

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लेकिन कुछ लोगऊपर से दिखावा ऐसा करेंगे जैसे सारे संस्कार सिर्फ इन्हीं में कूट कूट कर भर दिए हों।
जब कोई सेक्स की बातें करेगा तो बहुत ही संस्कार वान बनेंगे जैसे ये सेक्स करते ही न हों और यदि सच कहूं तो ऐसे ढोंगी लोग ही कामवासना में सबसे ज्यादा लिप्त हैं यही वो लोग हैं जो अकेले में हर रोज पोर्न वीडियो देखते हैं लेकिन सबके सामने बड़े ही मर्यादित बनेंगे।

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सेक्स एक क्रिया है महान दार्शनिक रजनीश ओशो जी ने कहा है कि जिस प्रकार नहाना धोना,खाना पीना, सोना जागना, एक क्रिया ठीक वैसे ही सेक्स भी एक क्रिया ही है हालाकि ये सिर्फ महिला और पुरुष द्वारा एकांत में करने वाली क्रिया है।
लेकिन सेक्स से संबंधित जरूरी जानकारी पर खुलकर बात करने में कोई बुराई नहीं है।
इसलिए मैं तो सिर्फ सेक्स ही नहीं जिस विषय पर भी लिखती हूं खुलकर लिखती हूं।सेक्स पर लिखूंगी तो कोई बुराई ही तो देगा इससे ज्यादा और कोई क्या कर सकता है और बुराई तो वैसे भी सहज ही मिल जाती है अच्छे कामों में भी मिल जाती है बुराई तो फिर डर किस बात का।

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तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
प्यार में सम्भोग करना जरूरी है??? ये एक ऐसा विषय है, जिस पर सभी लोगों की अलग अलग राय है। कुछ लोग सही मानते हैं तो कुछ लोग गलत।

आज इस विषय पर बात करूंगा, मगर उससे पहले सेक्स के अलग अलग भाव पर बात करूंगा।
सेक्स, हवस और वासना तीनों एक जैसे होने के बावजूद भी तीनों एक दूसरे से अलग हैं।
__वासना और हवस:- ये सेक्स का वो मानसिक विकृति है जो ना तो नर-नारी, पशु-पक्षी, छोटे-बड़े आदि में भेद नहीं करता। जब ये विकृति मन में सवार होती है तो वासना से ग्रसित इंसान किसी के साथ कुकृत्य कर देता है।

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सामने वाले के इच्छा के विरूद्ध उसके साथ जोड़ जबरदस्ती कर सामने वाले का शारीरिक और मानसिक रूप से क्षति पहुंचाता है।
सीधे शब्दों में कहूं तो जिसके अंदर हवस और वासना पाई जाती है, वो जानवर होते हैं और उन्हें प्रेम से कोई लेना देना नहीं होता है।

वहीं सेक्स कि बात करूं तो ये दो लोगों की रजामंदी से किया जाने वाला वो सुख है, जिसे न पाने वाला अतृप्त रहता है। ये वो चीज है जिसके बिना संसार का कल्पना करना ही बेकार है।

अब सवाल है कि प्रेम में सेक्स जायज है या नहीं?
अगर प्रेम हवस और वासना का केंद्र बिंदु है तो वो प्रेम ही नहीं है, क्योंकि सामने वाला इंसान प्रेम नहीं बल्कि अपनी इच्छाएं पूरी करना चाहता है और जैसे उसकी इच्छाएं पूर्ण हुई वो आपका अहित कर सकता है। लड़के लड़कियों का सेक्स वीडियो वायरल होना इसमें से ही एक है।

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जहां तक सेक्स कि बात करूं तो प्रेम में सेक्स उतना ही आवश्यक है, जितना आपके नंगे शरीर पर एक कपड़े का होना।
वो कपड़ा आपके शरीर को परिपूर्णता देता है।
प्यार के शुरुआत का पहला बिंदु आकर्षण होता है, जो इंसान की व्यक्त्तिव, उसके अच्छे आचरण आदी से शुरू होती है और जैसे जैसे समय बीतता जाता है प्यार की गहराई उतनी ही बढ़ती जाती है। साइंस कहता है कि जब तक हम फिजिकली रिलेशन में नहीं रहते तब तक हम अपने प्रेमी या प्रेमिका के प्रति लापरवाह होते हैं, क्योंकि हम सिर्फ उससे मेंटली रूप से जुड़े होते हैं… मगर हम जैसे फिजिकली रूप से जुड़ते हैं हम अपने प्रेमी/प्रेमिका की छोटी छोटी चीजों के बारे में सोचने लग जाते हैं। उसके प्रति वफादारी की प्रतिशत बढ़ जाती है।
सेक्स में प्यार की भागीदारी हो या नहीं हो, मगर प्यार की मजबूती में सेक्स अहम भूमिका निभाता है।
जिस तरह से एंगेजमेंट कि अंगूठी सीधा दिल तक टच करती है, सेक्स भी उसी प्रकार प्यार के भावनाओं को टच करता है।

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धार्मिक दृष्टि से देखें तो बिना काम के प्रेम का कोई महत्व ही नहीं है। अगर बिना काम के प्रेम होता तो कामदेव नहीं होते।
देवताओं में कामदेव का अपना अलग महत्व है और बिना कामदेव के प्रेम को अनुभव कर पाना नामुमकिन है।
प्रेम और काम का सामंजस्य और महत्ता खजुराहो की मंदिर बतलाती है, इसलिए प्रेम में सेक्स गलत नहीं है अगर इसका दुरुपयोग ना किया गया हो।

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SHIVANI VERMA
@ShivaniV2901
भारत में सेक्स ऐसा मसला है, जिसमें दिलचस्पी तो सबकी है, लेकिन बात करने से लोग हिचकते हैं.

देखिए, आप इसे मानिए या मत मानिए, लेकिन सच यही है कि आपका जन्म भी कामुकता की वजह से ही हुआ है। आप इस दुनिया में इसी तरह से आए हैं। जो लोग जीवन के साथ लय में नहीं हैं, वे लोग इस तरह की बातें करते हैं कि किसी पवित्र इंसान का जन्म कामुकता की वजह से नहीं होता, क्योंकि उनका मानना है कि कामुकता गंदी चीज है। अब अगर किसी को पवित्र बनना है, तो फिर उसे तो निश्चित रूप से कामुकता से पैदा नहीं होना चाहिए।

सेक्स हमारे सभी के जीवन का एक बहुत ही ज़रूरी भाग हैं जिससे हर कोई कभी ना कभी करता ही है। यह एक बहुत ही सामान्य बात है !

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सेक्स एक ऐसी चीज है जिसे हमारे जीवन में अनदेखा करना मुश्किल है क्योंकि यह हमारी संस्कृति में हर जगह है। यह पत्रिका और टीवी-विज्ञापन, फैशन, संगीत, टीवी श्रृंखला और फिल्मों में परिलक्षित होता है।

यूं तो प्राचीन भारतीय समाज शारीरिक संबंधों को लेकर काफ़ी खुले ज़हन का रहा था.

जिसकी मिसाल हमें खजुराहो के मंदिरों से लेकर वात्स्यायन के विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ कामसूत्र तक में देखने को मिलती है. लेकिन जैसे-जैसे समाज आगे बढ़ा, हमारा देश जिस्मानी रिश्तों के प्रति संकुचित होता चला गया.

ग्रीस के बड़े दार्शनिक अरस्तू इस विषय पर रोशनी डालते हुए कहते हैं अगर दो लोगों के बीच मोहब्बत है तो उसका मुकाम शारीरिक संबंध बनाने पर पूरा होता है. इनके मुताबिक़ सेक्स कोई मामूली काम नहीं है. बल्कि, ये किसी को प्यार करने और किसी का प्यार पाने के लिए एक ज़रूरी और सम्मानजनक काम है.