सेहत

दिल का दौरा पड़ने के बाद मरीज़ को बेहद सावधानी बरतनी चाहिए : रिपोर्ट

दिल का दौरा पड़ने के बाद मरीज को बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। आंकड़े बताते हैं कि हार्ट फेल की घटना के बाद कुल 22.1 फीसदी मरीजों की मौत हुई। जबकि 17.2 फीसदी को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। प्रतिष्ठित नेचर पत्रिका के ताजे अंक में नेशनल हार्ट फेल रजिस्ट्री की रिपोर्ट में ये तथ्य दिए गए हैं। केजीएमयू इस रजिस्ट्री का नोडल सेंटर है।

केजीएमयू के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. ऋषि सेठी ने बताया कि अभी तक देश में दिल संबंधी बीमारियों के रजिस्ट्री की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसको देखते हुए इसकी शुरुआत की गई है। इसका मकसद हार्ट अटैक के आंकड़ों और पैटर्न का अध्ययन करके बचाव के कदम उठाना है। देश भर के 53 केंद्रों पर आधारित यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें कुल 10,850 मरीज शामिल हुए। इनकी औसत आयु 59.9 साल और महिलाओं का आंकड़ा 31.1 फीसदी था। इनमें से 524 मरीज फॉलोअप के लिए उपलब्ध नहीं हुए। बाकी 1,03,326 मरीज को फॉलो किया गया। इसके आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई।

कुल मौतों में इस्केमिक पीड़ित पुरुष ज्यादा, बाकी में महिलाएं
हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में दो तिहाई पुरुष हैं। इस्केमिक पीड़ित पुरुषों की मौत ज्यादा हुई, लेकिन वॉल्व, जन्मजात, संक्रमण और हृदय की मांसपेशी के मोटापे वाली दिल की बीमारियों से महिलाओं की मौत ज्यादा हुई। एक साल में होने वाली मौतों की बात करें कुल 22.1 फीसदी मौतों में से महिलाओं का प्रतिशत 28.9 और पुरुषों का 26.3 फीसदी था।

हायपरटेंशन और डायबिटीज से गहरा नाता
हार्ट फेल वाले कुल मरीजों में से काफी हायपरटेंशन और डायबिटीज से पीड़ित थे। आनुवांशिकता से हृदय की मांसपेशियों के मोटापे वाले 68.5 फीसदी मरीजों और पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी वाले 14.2 मरीजों में हायपरटेंशन की समस्या मिली। वहीं, हृदय की धमनी संकुचन वाले 79.1 फीसदी और वॉल्व संबंधी बीमारी वाले 25 फीसदी मरीजों में डायबिटीज की समस्या थी।

कुल 10,850 मरीजों में विभिन्न बीमारियों का प्रतिशत
कुल 10,850 मरीजों में विभिन्न बीमारियों का प्रतिशत
इस्केमिक (हृदय की धमनी संकुचित होना) 71.9
डाइलेडेट कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों में खिंचाव) 17.3
रुमेटिक हार्ट डिजीस (दिल के वॉल्वों का स्थायी क्षतिग्रस्त होना) 5.4
नॉन रुमेटिक हार्ट डिजीस (दिल के चार में से एक वॉल्व का क्षतिग्रस्त होना) 1.9
हायपरट्रॉपिक कार्डियोमायोपैथी (आनुवांशिकता से हृदय की मांसपेशियों का मोटापा) 0.8
कॉग्निटल हार्ट डिजीस (जन्मजात दिल की बीमारी) 0.7
पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी (गर्भावस्था के अंतिम चरण में विकसित दिल की बीमारी) 0.5
रीस्ट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी (मांसपेशियों के कठोर होने से दिल का सिकुड़ना) 0.4
इंफेक्टिव इंडोकार्डिटिस (दिल की अंदरुनी परत में संक्रमण) 0.1

बीमारी का प्रकार और मृत्यु का प्रतिशत
बीमारी साल भर में मृत्यु प्रतिशत
इंफेक्टिव इंडोकार्डिटिस (दिल की अंदरुनी परत में संक्रमण) 50
रीस्ट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी (मांसपेशियों के कठोर होने से दिल का सिकुड़ना) 36.8
कॉग्निटल हार्ट डिजीस (जन्मजात दिल की बीमारी) 34.6
पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी (गर्भावस्था के अंतिम चरण में विकसित दिल की बीमारी) 12
इस्केमिक (हृदय की धमनी संकुचित होना) 21.1
डाइलेडेट कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों में खिंचाव) 23.7
रुमेटिक हार्ट डिजीस (दिल के वॉल्वों का स्थायी क्षतिग्रस्त होना) 27.5
नॉन रुमेटिक हार्ट डिजीस (दिल के चार में से एक वॉल्व का क्षतिग्रस्त होना) 25.1
हायपरट्रॉपिक कार्डियोमायोपैथी (आनुवांशिक बीमारी से हृदय की मांसपेशियों का मोटापा)

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