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ग़ज़ा में भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है, बच्चों की भूख से मौतें हो रही हैं : रिपोर्ट

ग़ज़ा तट पर एक अस्थायी बंदरगाह बनाने के लिए अमेरिकी सेना का एक जहाज पूरे साजो सामान के साथ मध्य पूर्व की ओर बढ़ रहा है. अमेरिकी सेना ने इस ख़बर की पुष्टि कर दी है.

इस सपोर्ट शिप का नाम फ्रैंक एस बेसन है, जो शनिवार को वर्जिनिया प्रांत के सैन्य अड्डे से निकल पड़ा है.

ये जहाज अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन के उस बयान के 36 घंटे से भी कम समय में मध्य पूर्व की ओर रवाना हुआ है, जिसमें कहा गया था कि अमेरिकी सेना समुद्र के रास्ते ग़ज़ा तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए एक तैरते हुए बंदरगाह का निर्माण करेगी.

पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि ग़ज़ा पट्टी में लगभग भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. यहां बच्चों की भूख से मौतें हो रही हैं.

इस बीच, अमेरिका और जॉर्डन ने रविवार को ग़ज़ा में आसमान से खाने के 11,500 पैकेट गिराए थे. इनमें चावल, पास्ता और डिब्बाबंद खाने के पैकेट शामिल थे.

भोजन के पैकेट आसमान से इसलिए गिराए जा रहे हैं क्योंकि जमीन और विमान के रास्ते खाना पहुंचाना मुश्किल और ख़तरनाक साबित हुआ है.

पिछले दिनों ग़ज़ा में खाना पहुंचाने की कोशिश कर रहे वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की कोशिशों को तब झटका लगा था जब उसकी टीम पर गोलियां चलाई गई थीं.

कई जगह भोजन सामग्री लूट भी ली गई थी. ऐसी ख़बरें भी थीं कि पैराशूट से गिराई जा रही भोजन की खेप के वजन से दब कर पांच लोगों की मौत हो गई थी.

दरअसल पैराशूट खुल नहीं पाया था. इस वजह से ये पूरी खेप एकाएक पूरी तेजी से इन लोगों पर आ गिरी.

अस्थाई बंदरगाह बनाने में कितना समय लगेगा?
अमेरिकी सेना की केंद्रीय कमान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से ग़ज़ा में अस्थायी बंदरगाह बनाने के एलान के 36 घंटे से भी कम समय में अमेरिकी जहाज को रवाना कर दिया गया.”

”इस जहाज में अस्थायी बंदरगाह बनाने में इस्तेमाल होने वाले अहम औजार और दूसरे साजो सामान हैं.”

अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा है इस बंदरगाह को बनाने में 60 दिन लगेंगे. लगभग एक हजार सैनिकों की मदद से ये इतने दिनों में बन जाएगा.

इस बीच ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने वाले संगठनों ने कहा है कि ग़ज़ा में कष्ट झेल रहे लोग अब और बर्दाश्त नहीं कर सकते.

साइप्रस की मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ 200 टन राहत सामग्री से लदा एक जहाज साइप्रस के लारन्का के एक बंदरगाह से रविवार दोपहर को रवाना हो सकता है.

इससे पहले यूरोपियन यूनियन ने एलान किया था इस सप्ताहांत में साइप्रस से सीधे राहत सामग्री भेजने के लिए नया समुद्री रास्ता खोला जाएगा. साइप्रस यूरोपियन के देशों का सबसे नजदीकी पड़ोसी है.

इसराइल ने क्या कहा
जहाज, ओपन आर्म्स, इसी नाम की एक स्पेनिश चैरिटी का है. इसके अलावा जहाज पर मौजूद खाने-पीने का सामान अमेरिकी चैरिटी वर्ल्ड सेंट्रल किचन की तरफ से दिया गया है.

यह अभी साफ नहीं है कि बिना अमेरिकी पोर्ट के सहायता सामग्री समुद्र के रास्ते ग़ज़ा में कैसे पहुंचेगी.

ग़ज़ा में ऐसा कोई बंदरगाह नहीं है जो काम कर रहा हो. इसके आस-पास जो पानी है, वह बड़े जहाजों के लिए काफी नहीं है. एक तरह से उसकी गहराई इतनी नहीं है कि वहां बड़े जहाज आकर रूक पाएं.

हालांकि, ओपन आर्म्स के संस्थापक ऑस्कर कैंप्स ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि फिलहाल वे उस जगह के बारे में नहीं बताएंगे कि जहाज कहां जा रहा है, लेकिन वर्ल्ड सेंट्रल किचन की एक टीम राहत सामग्री को हासिल करने के लिए एक अस्थाई बंदरगाह का निर्माण कर रही है.

समुद्र के रास्ते भेजी जा रही राहत सामग्री का इसराइल ने स्वागत किया है. इसराइल का कहना है कि उनके मानकों के हिसाब से साइप्रस में सुरक्षा जांच की जाएगी, जिसके बाद सामान को आगे रवाना किया जाएगा.

ग़ज़ा में भूखमरी के हालात

सात अक्टूबर को इसराइल पर हमास के हमलों के हमलों में करीब 1200 लोग मारे गए थे. इसके अलावा हमास 253 अन्य लोगों को बंधक बनाकर वापस ग़ज़ा ले गया था.

हमास के इस हमले के बाद से इसराइल ग़ज़ा में जमीनी और हवाई हमले कर रहा है. ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अब तक ग़ज़ा में 30 हजार 900 से अधिक लोग मारे गए हैं.

पांच महीने से जारी इस युद्ध ने एक बहुत बड़ा मानवीय संकट खड़ा कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि ग़ज़ा में कम से कम 5 लाख 76 हजार लोग (एक चौथाई आबादी) भयावह स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं.

हालात ऐसे हैं कि ग़ज़ा के अंदर राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है. पश्चिमी देशों ने इसराइल पर दबाव डाला है कि वह ज्यादा से ज्यादा रास्तों को खोले, ताकि ग़ज़ा में जरूरी सहायता पहुंचाई जा सके.

मानवीय सहायता लिए ट्रक दक्षिणी ग़ज़ा में मिस्त्र नियंत्रित रफाह क्रॉसिंग और इसराइल नियंत्रित केरेम शालोम क्रॉसिंग के जरिए ही प्रवेश कर पा रहे हैं.

लेकिन उत्तरी ग़ज़ा में यह सहायता पहुंच ही नहीं पा रही है. हमास के हमले के बाद इसराइल ने उत्तरी ग़ज़ा को ही सबसे पहले निशाना बनाया था, जिसके बाद वह काफी हद तक दक्षिणी ग़ज़ा से कट गया है.

एक अनुमान के मुताबिक वहां तीन लाख से ज्यादा फलस्तीनी रह रहे हैं, जिनके बहुत कम भोजन और साफ पानी बचा है.

इसराइल पर आरोप है कि वह ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचने में बाधा पैदा कर रहा है. पिछले हफ्ते एक स्वतंत्र संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ ने कहा था कि इसराइल ग़ज़ा में फलस्तीनी लोगों के खिलाफ भुखमरी अभियान को बढ़ाने का काम कर रहा है.

संयुक्त राष्ट्र में इसरायली मिशन की कानूनी सलाहकार येला सिट्रिन ने इस तरह के आरोपों को पूरी तरह से खारिज़ किया है.