Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
बड़े पदों पर बैठे लोगों की सोच कितनी ‘छोटी’ है यह घटना उसका जीता जागता उदाहरण है। उत्तराखंड की
@pushkardhami
सरकार ने उन गांवों के नाम बदल दिए जिनके नाम मुसलमानों के नाम पर थे। यानी अकबरपुर को विजयनगर कर दिया, खानपुर को श्री कृष्णपुर कर दिया। इस मानसिकता को लफ्ज़-ए-मुस्लिम से ही परेशानी है। इनका वोट बैंक भी इसी में खुश है। संकुचित मानसिकता और छोटे दिल वाले सत्ताधारी मुस्लिम नामों को हिंदू नाम में परिवर्तित करके इस देश के मुसलमानों को ‘संदेश’ देना चाहते हैं कि उनका अब इस देश में कुछ भी नहीं है।
किसी गांव बस्ती का नाम तक उनके नाम पर नहीं है। इन घटनाओं पर विपक्ष भी खामोश रहता है, वो या तो इन ‘छोटी-छोटी’ धटनाओं के पीछे की राजनीति और षडयंत्र से नावाकिफ है! या उसे लगता है कि इससे क्या फर्क पड़ता है! लेकिन फर्क पड़ता है। आप नए गांव बस्ती शहर बसाएं उनके नाम कृष्णपुर रखें या रामपुर किसी को आपत्ति नहीं होगी। लेकिन बसे बसे गांव इदरीसपुर, अकबरपुर, खानपुर जैसे गांवों के नाम मिटाकर वहां ‘अपने’ नाम की पट्टिका लगाते हैं तो इसके मायने गहरे हैं। तब आप मुसलमानों के अंदर से उस भाव को मिटाना चाहते हैं कि यह देश उनका भी है। अगर मुसलमानों से इतनी ही नफ़रत है तो उनसे टैक्स ही क्यों वसूला जा रहा है? जब उनका इस देश में इतना भी हक़ नहीं कि उनके नामों पर बसे गांव बसे ही रहें तो फिर उनके टैक्स के पैसे से ही क्या मतलब? मुसलमान टैक्स दे रहे हैं तो उन्हें उसका रिटर्न नहीं दे सकते जो पहले से उनके पास है कमसे कम उसे तो सलामत रहने दिया जाए!