दुनिया

यमन में युद्ध का एक कड़वा सच सामने आया, संयुक्त राष्ट्र संघ की साज़िश का हुआ पर्दाफ़ाश : रिपोर्ट

यमन में युद्ध का एक कड़वा सच सामने आया है कि संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी ज़िम्मेदारियों पर सही ढंग से अमल नहीं कर रहा है और इस संगठन द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि, सऊदी और इमाराती या उनके पश्चिमी सहयोगियों के हमलावर गठबंधन से काफ़ी हद तक प्रभावित हैं।

इसीलिए तटस्थता जो मध्यस्थता की मुख्य शर्तों में है, यमन के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष प्रतिनिधियों में नज़र नहीं आती जबकि तटस्थ रहने की कोशिश करने वालों को तुरंत बर्खास्त कर दिया जाता है।

हाल ही में ब्रिटिश अनुसंधान वेबसाइट डीक्लासीफाइड यूके (Declassified UK) ने एक तथ्य से पर्दा उठाया है जो तटस्थता के उल्लंघन से कहीं आगे की बात है। इस वेबसाइट के दस्तावेज़ों के अनुसार, जब मार्टिन ग्रिफिथ्स यमन में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष प्रतिनिधि के प्रभारी थे तब वह तथाकथित ब्रिटिश खुफिया एजेन्सी एमआई सिक्स से संपर्क में थे।

ग्रिफिथ्स ने इंटर मेडिएट कंपनी की स्थापना में भाग लिया, जो एक ब्रिटिश ख़ुफ़िया अधिकारी द्वारा चलाया जाता है और इसमें वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक और सैन्य हस्तियां शामिल हैं जो और ब्रिटिश MI6 के साथ मिलकर काम करती है जबकि इस कंपनी को विदेशों से चार मिलियन पाउंड से अधिक की रक़म प्राप्त हुई है।

कंपनी की स्थापना 2011 में हुई थी और इसके मुख्य कार्यकारी के अनुसार, ग्रिफिथ्स की नियुक्ति से छह साल पहले इसने यमन और सीरिया में काम करना शुरू कर दिया था। ग्रिफ़िथ्स को यमन में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष दूत के रूप में नियुक्त करने के लिए एक अभियान शुरू किया गया जिसका सऊदी अरब और ब्रिटेन ने पुरज़ोर समर्थन किया था।

इस रिपोर्ट के आधार पर यह शुरू से ही स्पष्ट था कि ग्रिफ़िथ्स संयुक्त राष्ट्र संघ के वास्तविक प्रतिनिधि के रूप में नहीं, बल्कि अपनी सरकार के रूप में इंग्लैंड के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करेंगे और गठबंधन के नेता के रूप में सऊदी अरब के प्रतिनिधि के रूप में भी व्यस्त रहेंगे।

इसका परिणाम भी वही निकला जिसकी ओर ब्रिटिश शोध वेबसाइट डीक्लासिफाइड यूके ने इशारा किया है कि ग्रिफिथ्स, संघर्षरत पक्षों को लड़ाने व विभाजित करने और युद्ध को एक गृहयुद्ध दिखाने का प्रयास किया जिसकी वजह से वार्ताएं विफल रहीं, संकट और भी जटिल हो गया और इस संकट का समाधान लक्ष्य से दूर होता गया।

इस अंग्रेज़ी वेबसाइट ने हाल ही में जिन चीज़ो से पर्दा उठाया है उनके बारे में यमन की राष्ट्रीय साल्वेशन सरकार के अधिकारियों ने बारम्बार सचेत भी किया और ग्रिफ़िथ की निष्पक्षता पर सवाल भी खड़े किए हैं।