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जो उसके पास जाते हैं, वे फिर कभी नहीं लौटते, न ही वे जीवन के पथों को थाम पाते हैं

सुलैमान के नीतिवचनों से बुद्धि
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नीतिवचन 2:19
जो उसके पास जाते हैं, वे फिर कभी नहीं लौटते, न ही वे जीवन के पथों को थाम पाते हैं। (केजेवी)
व्यभिचार जानलेवा है। यह पाप अंत को पहुंचाता है। व्यभिचार से कोई निजात या पुनःस्थापना नहीं है। सुलैमान ने अपने बेटे को उस पराई स्त्री के बारे में चेतावनी दी – एक वेश्या स्त्री जो अपने पति को छोड़ किसी अन्य पुरुष के साथ यौन संबंध रखेगी (नीति 2:16-18)। अपने बेटे को व्यभिचार से भयभीत करने की चेष्टा से, उसने एक सामान्य नियम दिया जिसकी पुष्टि पवित्र शास्त्र और अनुभव से होती है – व्यभिचार जानलेवा है।
माता-पिता और पास्टरों ने व्यभिचार के विरुद्ध चेतावनी अवश्य ही देनी चाहिए, और उन्हें विशेष रूप से युवाओं को इसकी परीक्षा में पड़ने और उसके दिल दहला देने वाले नतीजों के विषय में चेतावनी देनी चाहिए (नीति 6:20-26)। धोखा देनेवाले मन और युवकों में मौजूद भड़कीला तत्व इसके प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं (यिर्म 17:9; 1 कुरिं 7:9)। युवावस्था का समय व्यर्थ के उद्यम का और इस पाप की गम्भीर परीक्षाओं में गिर जाने का समय होता है (भजन 25:7; सभोपदेशक 11:10)। इसलिए, नीतिवचन की प्रेरित पुस्तक में जवानों की रक्षा के लिए यौन पापों के विषय में बहुत कुछ कहा गया है।
वेश्यावृत्ति करनेवाली स्त्री उसे छूने के परिणामों के विषय में कभी सच नहीं बताएगी (नीति 6:29)। इसके बजाय, वह अपने शिकार के साथ चिकनी-चुपड़ी बातें करती है कि उसका विनाश करें (नीति 2:16; 7:21)। वह सबसे देदीप्यमान शब्दों में उन सुख-विलासों का वर्णन करती है जो वह दे सकती हैं और साथ ही पकड़े नहीं जाने की निश्चयता भी देती है (नीति 7:13-20; 9:17)। वह कभी नहीं बताएगी कि उसके अन्य शिकार इस वक्त नरक में हैं (नीति 5:5; 7:27; 9:18)।
यह संसार नौजवानों की कोई सहायता नहीं करेगा। संसार तो टीवी के कार्यक्रमों, फिल्मों, संगीत, पत्रिकाओं, पुस्तकों, कानून मान्यता, गर्भ-निरोध, लोकप्रिय विचारों, मित्रों के दबाव, भड़कीले वस्त्रों, सहयात्री छात्रावासों, और अन्य आविष्कारों द्वारा व्यभिचार की महिमा और पैरवी करता है। संसार शुरू से ही व्यभिचार के लिए प्रतिबद्ध रहा है (इफि 4:17-19; 1 यूहन्ना 2:15-17)।
मरने के कई तरीके हैं, और व्यभिचार आपको उन सभी तरीकों को खोजने और उनका अनुभव लेने में मदद करेगा। शिमशोन ने उन में से एक तरीका ढूंढा – एक अंधे व्यक्ति के रूप में आत्महत्या! परन्तु और भी तरीके हैं! एक ऐसे देश में जहां धार्मिकता के जीवन को आदेशित किया जाता है, जैसा कि इस्राएल मूसा की व्यवस्था के अधीन था, व्यभिचार एक बड़ा अपराध माना जाता था, यहां तक कि जो स्त्रियां इसे गुप्त में करती थी उन्हें भी बड़ा दण्ड दिया जाता था (लैव्य 20:10; गिनती 5:11-31; व्यवस्थाविवरण 22:22-24)। या आप ईर्ष्यालु पति के हाथों (नीति 6:34-35) या यौन रोगों के द्वारा भी मर सकते हैं।
परन्तु व्यभिचार से मरने के और भी बद्तर तरीके हैं। यह जघन्य और घिनौना पाप आपकी प्रतिष्ठा और प्राण का विनाश कर देगा। कुछ पापों के सम्बन्ध में पुरुष समझदारी दिखाते हैं, किन्तु जब व्यभिचार का पाप आता है तब वे कोई दया नहीं करते और न ही कोई समझदारी दिखाते हैं (नीति 6:27-33; श्रेष्टगीत 8:6)। यह मानवीय सम्बन्धों में स्थापित सबसे घनिष्ठ बंधनों और विश्वासों को तोड़ देता है। यह एक जघन्य पाप है और इसे कठोरता से दण्ड देना ही चाहिए (अय्यूब 31:9-12)।
व्यभिचार आपके प्राण का विनाश कर देगा (नीति 6:32)। सबसे पहले, यह हमेशा के लिए अपराधबोध और शर्मिंदगी को ले आएगा (नीति 5:8-14)। इससे आप पर परमेश्वर की ताड़ना आएगी, और उसका आत्मा आप से ले लिया जाएगा (भजन 51:7-12)। और यह आपको यौन कल्पनाओं तथा और भी घिनौने पापों का दास बना देगा (नीति 5:20-23; सभोपदेशक 7:26)। आप अपने आप को नहीं बचा सकते। व्यभिचार अंत को पहुंचाता है।
परन्तु जो बातें मनुष्यों के लिए असम्भव हैं, वे परमेश्वर के लिए संभव हैं (लूका 18:25-27), जैसे कि पौलुस ने भी अपने पाप के दासत्व से छुटकारे के लिए परमेश्वर को धन्यवाद दिया (रोमि 7:7-8, 24-25)। एक आम नियम के रूप में व्यभिचार का पाप जीवन का अंत कर देता है, जहां अपवाद केवल वे मनुष्य हैं जिन्हें प्रभु यीशु मसीह में परमेश्वर के बहुतायत के अनुग्रह से छुटकारा दिया गया है (यूहन्ना 8:1-11; 1 कुरिं 6:9-11)।
हमें दाऊद के व्यभिचार और हत्या के भयानक पापों का विवरण क्यों बताया गया है? ताकि उन अन्य पापियों को जिन्होंने ऐसा पाप किया है, प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह से शान्ति मिले। परमेश्वर ने दाऊद को बड़ी उदारता से क्षमा किया और इससे भी बढ़कर उसे इस्राएल में सबसे महान राजा और यीशु मसीह के नामधारी पिता के रूप में सम्मानित किया (1 राजा 11:4; 14:8; 15:3-5; मत्ती 1:1; रोमि 15:4; प्रकाशितवाक्य 5:5; 22:16)।
परमेश्वर ने दाऊद को यीशु मसीह में जगत की उत्पत्ति से पहले ही अपनी सम्प्रभु इच्छा से चुन लिया (इफि 1:3-12)। यीशु दाऊद के प्रत्येक पाप के लिए मरा, जिसमें उसका व्यभिचार और हत्या भी शामिल है (यशा 53:4-12; 2 कुरिं 5:21; 1 पतरस 2:24; प्रका 1:5)। दाऊद ने यीशु मसीह में परमेश्वर के सेंतमेंत अनुग्रह के द्वारा मिले इस महान उद्धार में पूरा पूरा विश्वास किया (2 शमू 23:1-5; भज 32:1-2)। दाऊद सहित परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? यह परमेश्वर ही है जो धर्मी ठहराता है (रोमियों 8:33)!
परन्तु व्यभिचार के पाप के लिए यदि परमेश्वर की व्यावहारिक दया को पाना हो तो पाप का पूर्ण अंगीकार और पश्चात्ताप आवश्यक है, जिसे दाऊद ने खुले मन से और पूरी तरह से दिखाया (2 शमू 12:13; भज 51:1-19)। यदि हम अपने पापों को मान ले तो परमेश्वर क्षमा करने में विश्वासयोग्य है, और एलीहू ने पाप के अंगीकार का बखुबी वर्णित किया, “वह नीचे मनुष्यों की ओर देखता है कि क्या कोई है जो कहे, ‘मैं ने पाप किया, और सच्‍चाई को उलट पुलट कर दिया, परन्तु इससे मेरा कोई लाभ न हुआ; तो वह उसके प्राण को क़ब्र में पड़ने से बचाएगा, और उसका जीवन उजियाले को देखेगा।” (अय्यूब 33:27-28)।