अलीगढ:देश का मान बढाने वाली यूनिवर्सिटी जिस पर पूरे भारत को घमण्ड है में कुछ दिनों से हँगामा मचा हुआ है,हज़ारों छात्र अनिश्चितकाल के लिये धरने पर बैठे हुए हैं,लेकिन सरकार के कानों तक देश के भविष्य युवाओं की कोई चिंता नही है,पिछले दिनों हिन्दुत्वा वादी संगठन के कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी में हंगामा मचाया था जिसके बाद से हालात तनाव पूर्ण बने हैं।
#WeStandWithAMU : Police In Action against Hindutva Goons and Actions Against Innocent Students: AMU Former VC Lt. Gen.Zameeruddin Shah pic.twitter.com/KSySdzhV2j
— MeemBheem (@MIMVoiceofIndia) May 5, 2018
AMU को लेकर पिछले कई दिनों से ब्यानबाज़ी होरही है,अब ताज़ा ब्यान इस बीच अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ( एएमयू ) के पूर्व कुलपति ( सेवानिवृत्त ) लेफ्टिनेंट जनरल जमीर उद्दीन शाह ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के छात्र राष्ट्र विरोधी नहीं हैं और पाकिस्तान के समर्थन वाली भावना भी नहीं रखते हैं. कुलपति ने विडियो जारी कर अपनी बात राखी है।
कुलपति का यह बयान विश्वविद्यालय परिसर में जिन्ना की एक तस्वीर को लेकर उपजे विवाद के बीच आया है. पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना की तस्वीर विश्वविद्यालय के छात्र संघ के कार्यालय में होने की वजह से विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी थी. विश्वविद्यालय में भड़की हिंसा के चार दिन बीतने के बाद भी विश्वविद्यालय के छात्र शैक्षणिक गतिविधियों का बहिष्कार करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
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शाह ने कहा कि यदि अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों के समक्ष मुद्दे को उठाया था तो इस मामले को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता था. सांसद एएमयू कोर्ट के सदस्य भी हैं।
गौतम ने एएमयू के अधिकारियों को जो पत्र लिखा उसे साधारण पोस्ट से भेजा जिसे विश्वविद्यालय पहुंचने में पांच दिन लग गए. शाह ने कहा कि इस बीच सांसद ने इस पत्र को प्रेस और दक्षिणपंथियों में जारी कर दिया , जिससे यह मामला पेचीदा हो गया।
आपको बता दें कि अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर को लिखे अपने पत्र में विश्वविद्यालय छात्रसंघ के कार्यालय की दीवारों पर पाकिस्तान के संस्थापक की तस्वीर लगे होने पर आपत्ति जताई थी।
हालांकि, विश्वविद्यालय के प्रवक्ता शाफे किदवई ने दशकों से लटकी जिन्ना की तस्वीर का बचाव किया और कहा कि जिन्ना विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्य थे और उन्हें छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी।
प्रवक्ता ने कहा, ‘जिन्ना को भी 1938 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी. वह 1920 में विश्वविद्यालय कोर्ट के संस्थापक सदस्य और एक दानदाता भी थे.’ उन्होंने कहा कि जिन्ना को मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग किए जाने से पहले सदस्यता दी गई थी।