नई दिल्ली: मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने को लेकर कई तरह के तर्क आ चुके हैं। ब्रिटेन में इस पर बैन की भी बात हो चुकी है। दुनियाभर के बुद्धिजीवी समाज ने इसे ‘पहनने की आजादी’ से जोड़कर देखा है। लेकिन एक मुस्लिम टीचर ने हिजाब पर बैन लगाने जैसी बातों का विरोध किया है। लतीफा अबुचकरा नाम की इस महिला ने हिजाब के समर्थन में एक दमदार स्पीच दी है, जो सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोर रहा है।
एनुअल मीट में रखी अपनी बात
बता दें कि ब्रिटेन सरकार के ऑफिस फॉर स्टैंडर्ड्स इन एजुकेशन, चिल्ड्रंस सर्विसेज एंड स्किल्स (OFSTED) ने महिलाओं के हिजाब पहनने पर रोक लगाई है। यह ब्रिटिश सरकार का नॉन मिनिस्ट्रियल डिपार्टमेंट है। इस फैसले का विरोध करते हुए लतीफा ने नेशनल एजुकेशन यूनियन और नेशनल यूनियन ऑफ टीचर्स के सालाना सम्मेलन 2018 में अपनी बात रखी।
Muslim teacher delivers a powerful response to OFSTED's attempts to ban young Muslim students from wearing the hijab. pic.twitter.com/eW8ZwqFxq9
— The Muslim Vibe (@themuslimvibe) June 25, 2018
ब्रिटेन से कहा- ये इस्लामोफोबिया है, रेसिज्म है
लतीफा ने मीडिया और राजनीतिज्ञों द्वारा ‘मसक्युलर लिबरलिज्म’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल का उदाहरण देते हुए कहा, ‘यह इस्लामोफोबिया और रेसिज्म के लिए नया टर्म है। मीडिया अक्सर हिजाब को मुस्लिम और दक्षिण एशियाई महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों के रूप में दिखाता आया है। मैंने हिजाब अपने विश्वास की वजह से पहना है। सभी को अपनी मर्जी से काम करने का हक होता है। कोई भी उनसे हिजाब पहनने का उनका हक नहीं छीन सकता है।’
पर्दा करना मेरी मर्जी, मेरा विश्वास है’
उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे विश्वास ने मुझे ये चुनने का हक दिया है, जो 1400 साल पहले ही मानवाधिकारों के लिए तय हो चुका था। मैं आपको एक दिलचस्प बात बताना चाहती हूं। मेरे पिता को मेरा हिजाब पहनना पसंद नहीं था। वो नहीं चाहते थे कि मैं हिजाब पहनूं, लेकिन मैं अपने हिजाब पहने के फैसले पर कायम रही। मुझे मेरी मर्जी और विश्वास के मुताबिक चुनने का हक है।’
‘इससे मुझे और महिलाओं को प्रेरणा मिलती है’
लतीफा ने कहा कि हिजाब पहनकर वह अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन) का अभ्यास कर रही हैं। ऐसा करने से उन्हें और उनके जैसी तमाम महिलाओं को अपने लिए फैसला लेने की प्रेरणा मिलती है।