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Video: पूरी दुनिया में मुसलमानों के लिये भारत से अच्छा कोई देश नही : मौलाना महमूद मदनी

नई दिल्ली:जमीयत उलेमा हिन्द बिहार यूनिट की तरफ से 10 वाँ इज्लास- ए- आम राष्ट्रीय एकता व तहफ्फूजे शरीयत कांफ्रेंस आयोजित किया गया जिसमें ऋषिकेश परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि हिन्दुस्तान की सच्ची तस्वीर कॉमी एकता है। इस एकता को बचाये रखना सबकी जिम्मेवारी है। अमन व शांति बनाये रखने के साथ शरीयत व शराफत को बचाये रखने की जरूरत है।

स्वामी चिदानंद जी ने कहा कि अल्लाह को वे लोग प्यारे हैं जो नेक रास्ते पर चलते हैं व शरीयत को संभाल कर रखते हैं। अच्छे काम करने के लिए इंसान बनना ही काफी है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी अपने मन की बात में जमीउत उलेमा हिंद का जिक्र किया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि जमीयत उलेमा हिंद हमेशा से लोगों को गले लगाने का काम किया है। देश में सच्चा मजहब इंसानियत है। किशनगंज पूरे देश की तस्वीर है। हमलोगों को पश्चिम बंगाल के आसनसोल के इमाम से सीख लेने की जरूरत है।

मौजूदा वक्त में ऐसे लोगों की जरूरत है। जो देश में अमन व शांति का संदेश देने का काम करें। स्वामी जी ने कहा कि हमारे देश में ऐसी फिजां बनें, मंदिर गिरे तो दर्द मुसलमान को हो और मस्जिद गिरे तो दर्द हिन्दू को हो। उन्होंने तालाक के मुद्दे पर कहा कि तालाक को भी तालाक देना चाहिए। बहुत दुख होता है जब किसी नारी को तलाक दिया जाता है। नारी का हर हाल में सम्मान होना चाहिए।

आज हमलोगों को संकल्प लेना चाहिए कि हमें कसाब के रास्ते पर चलकर इस्लाम को बदनाम नहीं करना है बल्कि हमें डॉ. कलाम के रास्ते पर चलना है। वहीं मुख्य वक्ता सह जमीयत उलेमा के राष्ट्रीय महासचिव सैयद महमूद मदनी ने कहा कि मुसलमान इस्लाम का वफादार नहीं होगा तो वह किसी का नहीं होगा। शरीयत की रक्षा हमें अपने जिंदगी में उतार कर करना होगा। इस्लाम में तालाक देने की इजाजत है लेकिन बिल्कुल सख्त नापसंद है। युवाओं को बताने की जरूरत है कि इसकी इजाजत नहीं है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि भड़काऊ भाषण के झांसे में ना आयें। इससे कोई लाभ नहीं, इससे बचने की जरूरत है।

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि भारत के मुसलमानों के लिए भारत से अच्छी जगह कोई नहीं है। देश के डीएनए में सेक्यूलरिजम है। देश में साम्प्रदायिकता की कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमान होने पर मुझे गर्व है। बिहार को आग में जलाने की कोशिश की गई, और वहीं किशनगंज में ऐसे कार्यक्रम के जरिये ऐसे लोगों को कॉमी एकता का संदेश देने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि तकरीर क्षेत्रीय भाषा में दिया जाये ताकि उस इलाके के लोग कुछ समझ सकें। उन्होंने कहा कि ईमान से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। कार्यक्रम का समापन शरीयत कांफें्रस के मुख्य अतिथि मौलाना कारी सैयद उस्मान ने दुआ पढ़कर की।

इस एक दिवसीय कांफ्रेंस में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जुटी थी। वक्ताओं को लोगों ने बड़े हीं शांति के साथ सुना और उसे अम्ल में लाने की कोशिश की। कार्यक्रम के दौरान धार्मिक नारे भी लगे और इस मंच से सीमांचल सहित पूरे देश में कॉमी एकता स्थापित करने पर बल दिया गया। सांसद मौलाना असरारुल हक कासमी ने कहा कि कॉमी एकता बहुत जरुरी है। मुल्क में भाईचारा का माहौल बने और नफरत फैलाने वालों से बचने की जरुरत है। देश में अमन व शांति जरुरी है।

कार्यक्रम को बंगाल के मंत्री मौलाना सिद्दीक उल्लाह चौधरी, मंत्री गुलाम रब्बानी ने भी संबोधित किया। इस मौके पर कोचाधामन विधायक मुजाहिद आलम, ठाकुरगंज विधायक नौशाद आलम, जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष महमूद अशरफ, पूर्व विधायक अख्तरुल इमान, तौहीद एजुकेशनल ट्रस्ट के चेयरमैन मौलाना मतिउरहमान, पूर्व जिप अध्यक्ष फैयाज आलम आदि मौजूद थे। कार्यक्रम में मंच संचालन मौलाना नाजीम कासमी ने की।