नई दिल्ली: अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को आंखें दिखाने वाले राष्ट्र ईरान में सैन्य परेड के दौरान हुए हमले में 29 लोग मारे गए और 57 से ज़्यादा शहीद होगए हैं, मरने वालों में रिवोल्यूशनरी गार्ड के जवान भी शामिल हैं। सुरक्षाकर्मियों ने चारों हमलावरों को मार गिराया। सरकारी न्यूज एजेंसी के मुताबिक, यह अब तक का सबसे खतरनाक हमला है। ईरान में अरब विरोधी आंदोलन और आइएस के आतंकियों ने हमले की जिम्मेदारी ली है। ईरान ने सऊदी अरब और इजरायल पर हमला कराने का आरोप लगाया है।
सरकारी टेलीविजन ने कहा कि हमलावरों के निशाने पर वह स्टैंड था जहां ईरान के अधिकारी जमा थे। अहवाज शहर में इराक के साथ 1980-88 के बीच इस्लामिक रिपब्लिक द्वारा युद्ध शुरू करने की याद में आयोजित कार्यक्रम देखने के लिए अधिकारी वहां जमा हुए थे। खुजेस्तान प्रांत के मध्य में स्थित अहवाज में अल्पसंख्यक अरब समुदाय ईरान के शिया शासन के खिलाफ प्रदर्शन करता रहा है।
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प को 1979 में हुए इस्लामिक रिवोल्यूशन के बाद से शिया शासन की ताकत माना जाता है। इराक, सीरिया और यमन जैसे देशों में ईरान के क्षेत्रीय हितों में भी इस बल की भूमिका प्रमुख है।
मीडिया को उपलब्ध कराए गए वीडियो से पता चलता है कि जिस समय सैनिक मैदान में क्रॉलिंग कर रहे थे उसी समय हमलावरों ने उनपर गोलियां चलाई। महिलाएं और बच्चे अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागने लगे। हिंसा में महिलाएं और बच्चे भी मारे गए।
यह हमला ओपेक तेल उत्पादक ईरान में सुरक्षा को गहरा धक्का है। यह देश पड़ोसी अरब मुल्कों के मुकाबले ज्यादा स्थिर माना जाता है। 2011 से मध्य पूर्व के देशों में उथल-पुथल चल रहा है।
ईरानी सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि हमलावर दो खाड़ी देशों द्वारा प्रशिक्षित किए गए थे। उनका अमेरिका और इजरायल से संबंध था। ब्रिगेडियर जनरल अबोल्फाजल शेकारची ने सरकारी न्यूज एजेंसी इरना को बताया कि वे लोग दाएश (इस्लामिक स्टेट) या अन्य समूह से नहीं थे। लेकिन उनका अमेरिका और मोसाद (इजरायल की खुफिया एजेंसी) से संबंध था।
ईरान का मानना है कि यह हमला खाड़ी क्षेत्र में सैनिक कार्रवाई हो सकती है। यह क्रूड की बिक्री रोकने के लिए किया गया हो सकता है। अमेरिकी दबाव का सामना कर रहा ईरान हमले का मकसद पता लगाने में जुटेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में तेहरान के साथ हुए 2015 के अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते से हाथ खींचने का फैसला लिया। इसके साथ ही इस्लामिक रिपब्लिक को अलग-थलग करने के लिए प्रतिबंध थोप दिया। ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी कहा कि हमारे साथ टकराव में ट्रंप भी इराक के सद्दाम हुसैन की तरह विफल साबित होंगे।