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Video:योगी सरकार के मंत्री राजभर ने कहा बीजेपी वाले सत्ता के नशे में पागल होकर घूम रहे हैं

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का आज एक साल पूरा हो रहा है। लोक भवन में इस मौके पर एक भव्य कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। सरकार ने इस एक वर्ष को प्रदेश के नवोत्कर्ष का समय बताया है। एक वर्ष की उपलब्धियों को ‘एक साल-नई मिसाल’ के रूप में पेश किया जाएगा।

योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा दिया है। राजभर ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि योगी सरकार सिर्फ मंदिरों पर केंद्रित है, गरीबों के कल्याण पर नहीं।

वहीं सरकार में शामिल सुलेदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख और कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ओपी राजभर ने कहा कि, ‘सरकार सिर्फ मंदिरों पर केंद्रित है, गरीबों के कल्याण पर नहीं। उन्होंने कहा कि ये वही गरीब हैं जिन्होंने सरकार को वोट देकर सत्ता तक पहुंचाया। कहने को बहुत सारी बातें हो रही है, लेकिन जमीन पर थोड़ा बदलाव हुआ है’

उन्होंने कहा कि ये वही गरीब हैं जिन्होंने सरकार को वोट देकर सत्ता तक पहुंचाया। कहने को बहुत सारी बातें हो रही है, लेकिन जमीन पर थोड़ा बदलाव हुआ है। राजभर ने कहा कि हम सरकार और एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन भाजपा गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही है। मैं अपनी चिंताओं को व्यक्त कर रहा हूं, लेकिन ये लोग 325 सीटों के नशे में पागल होकर घूम रहे हैं।

बता दें कि राजभर का 24 घंटे में यह दूसरा हमला है। रविवार को ही उन्होंने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन के सवाल पर भी कई बड़ी बाते कहीं।

यूपी उपचुनाव में गोरखपुर और फूलपुर में हुई पराजय के बाद अब सत्तारूढ़ बीजेपी को प्रदेश में राज्‍यसभा की एक सीट से भी हाथ धोना पड़ सकता है। यूपी में इस सप्‍ताह 10 राज्‍यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। लेकिन सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने बीजेपी के पक्ष में वोट नहीं करने के संकेत दिए हैं।

बताया जा रहा है कि गठबंधन में होने के बावजूद इस पार्टी के नेता भाजपा नेताओं से नाराज हैं। यही कारण है कि प्रदेश की 10 में से नौ सीटों पर जीत की आस लगाए बीजेपी को एक सीट से हाथ धोना पड़ सकता है। यानि उसे आठ सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है। क्‍योंकि बीजेपी अपने दम पर केवल आठ सीटें जीत सकती है। एक अन्‍य सीट के लिए उसे सहयोगी पार्टी का साथ चाहिए जो खटाई में पड़ता नजर आ रहा है।