लखनऊ: जमीअत उलेमा उत्तर प्रदेश द्वारा आज यहाँ झूले लाल पार्क लखनऊ में तहफ्फुज मुल्क व मिल्लत कान्फ्रेंस शीर्षक से अधिवेशन अध्यक्ष जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ , इस इज्लास में विभिन्न धर्मों के रहनुमा और दलित सामाजिक नेता शरीक हुए दूसरी तरफ हजारों उलेमा और बड़ी संख्या में पूरे प्रदेश से आये लोग शरीक हुए।
जमीअत ने साम्प्रदायिक चरमपंथ और भेदभाव को मुल्क और मिल्लत के लिए कठोर नुकसान करार दिया और सभी पंथों व मसलकों के अनुयायियों से अपील की गई वह वैचारिक मतभेदों को राष्ट्रीय एकता के रास्ते में नहीं आने दें और अपने मसलकों पर रहते हुए राष्ट्रीय और संयुक्त मुद्दों में एकता का प्रदर्शन करें। इज्लास में मुस्लिम पर्सनल लॉ यानी विवाह , तलाक, खुला, विरासत आदि में किसी भी हस्तक्षेप की कड़ी निंदा की गई और तय किया गया कि जमीअत उलेमा हिंद शरीअत की हिफाजत के लिए प्रत्येक स्तर पर कार्यवाही करेगी और दीन में हस्तक्षेप कदापि बर्दाश्त नहीं करेंगे, और अंतिम सांस तक, शरीयत इस्लाम के संरक्षण से पीछे नहीं हटेगी।
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जमीअत उलेमा हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि इंसान को अल्लाह ने ऐसा बनाया है कि अगर उसका दिल कमजोर हो जाए तो वह कमजोर हो जाता है और दिल मजबूत हो तो वह मजबूत रहता है। उन्होंने कहा कि निडर होना अद्भुत विषय है लेकिन इससे अधिक महत्वपूर्ण बात साबिर(सब्र करने वाला) होना है, उन्होंने कहा कि लोग यह समझते हैं कि अगर जवाब नहीं देंगे तो कायर कहलाएंगे और जवाब देंगे तो बहादुर कहलाएंगे, हालांकि ऐसा नहीं है, क्योंकि अल्लाह ने कुरआन में कहा कि वह सब्र करने वालों के साथ है।
उन्होंने कहा कि आज जो हालात खराब करने की कोशिश की जा रही है उसका उद्देश्य लोगों के दिलों में भय पैदा करना है, क्योंकि जब डर पैदा होता है तो वह गलती करता है, इसलिए यह तय कर लीजिए कि हम अपने दिलों से भय को निकाल देंगे उन्होंने कहा कि इस्लाम और उग्रवाद कभी एकत्र नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि हम इस देश में बाई चांस नहीं बल्कि हम बाई च्वाइस हैं, यह हमारा देश है, यह देश हमसे कोई नहीं छीन सकता। उन्होंने कहा कि हमारा डीएनए भारत का है और हम भारत के वास्तविक निवासी हैं।
मौलाना मदनी ने कहा कि जब हमने अपनों की सांप्रदायिकता का विरोध किया था, इस वजह से हमारे बुजुर्गों की पगड़ियाँ उछाली गईं हम अपनों की सांप्रदायिकता स्वीकार नहीं कर सकते और न गैरों की स्वीकार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया ने इस्लाम का सच्चा पै़गाम संदेश मुस्लिम शासकों के रौब व जलाल के कारण स्वीकार नहीं किया गया बल्कि सूफियों के आध्यात्मिक आशीर्वाद और सहानुभूति की वजह से लोग उनकी ओर दौड़ पड़े ।
शहाबुद्दीन गौरी की विजयी तलवार किसी एक के दिल को भी धर्म इस्लाम स्वीकार करने के लिए नहीं झुका सकी, लेकिन इसी बादशाह के एक समकालीन फकीर गरीब नवाज हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी ने गौरी की दिल्ली में नहीं बल्कि पृथ्वी राज के अजमेर में अपने आध्यात्मिक सहिषणुता के चरित्र के कारण हजारों दिलों को जीता था। यहां राजाओं के राज्य की वजह से नहीं बल्कि फकीरों की बादशाहत के कारण अल्लाह तआला ने ईमान की दौलत से हमें मालामाल किया. मौलाना मदनी ने कहा कि दुनिया वाले दुनिया में जीवन बिताने के लिए आते हैं, लेकिन हमारा जीवन हमारी मौत से शुरू होता है, इसलिए मौत से घबराना नहीं बल्कि मौत की आँखों में आँखें डाल कर जीवन गुजारना है।
जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष और कार्यक्रम के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा कासमी ने कहा कि एक घर में अगर मतभेद हो जाए तो घर बर्बाद हो जाता, उसी तरह अगर देश में मतभेद हो जाएगा तो देश बर्बाद हो जाएगा, इस देश की शक्ति प्यार , मुहब्बत और मेल मिलाप है। हम जमीअत के इस इज्लास से एक संदेश देना चाहते हैं कि जो लोग नफरत के जहर को घोल रहे हैं, हम उनके खिलाफ लड़ेंगे और देश के इस महान विरासत को बर्बाद नहीं होन देंगे। हम मुसलमानों से अपील करते हैं कि अपने दिलों से भय को निकाल दें और धैर्य के साथ अपना काम करें।