नई दिल्ली: जैसे एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है ऐसे ही एक व्यक्ति या कुछ व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिये कोई गलत काम करके सारे समाज को बुरा कहलवा देते हैं,न सब मुसलमान बुरे हैं और न सब हिन्दू बुरे हैं थोड़ी बहुत संख्या तो हर जगह है हर तरह के लोगों की,लेकिन जो मिसाल बनते हैं वो आसनसोल मस्जिद के इमाम मौलाना इमदादुल रशीदी जैसे लोग होते हैं या फिर डॉक्टर अशोक मिश्रा जैसे लोग होते हैं जो दँगाइयों से मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को अपने यहां पनाह देते हैं।
पिछले दिनों रामनवमी के जुलूस पर हुई छेड़छाड़ के बाद बिहार बंगाल में हिंसा भड़की थी जिसनें बहुत भयानक रूप धारण कर लिया था,27 मार्च को बिहार में समस्तीपुर ज़िले के रोसड़ा में जब दंगाई मस्जिदों और मदरसे पर हमले कर रहे थे तब शहर के ही डॉक्टर अशोक मिश्रा मदरसे के बच्चों को अपने घर में छुपा रहे थे।
वो शहर के जाने-माने डॉक्टर हैं. उनका घर और क्लिनिक मदरसे के बगल में है. 27 मार्च को दिन में करीब 12 बजे दंगाइयों ने मदरसे पर हमला बोला था।
अशोक मिश्रा ने 20 बच्चों के साथ मदरसे के दो शिक्षकों को भी अपने यहां शरण दी थी. इनमें मदरसे के संचालक मौलाना नज़ीर अहमद नदवी भी शामिल थे।
जब दंगाइयों ने मदरसे पर हमला किया तो अशोक मिश्रा मरीज़ों को देख रहे थे. तभी उनके किराएदार के एक परिवार की महिला ने कहा कि मदरसे पर दंगाइयों ने हमला कर दिया है और बच्चे घर के पीछे खड़े हैं।
अशोक मिश्रा पूरे वाक़ये के बारे में बताते हैं, ”मैंने उन बच्चों से कहा कि तुम लोग डरो मत हम सब तुम्हारे साथ हैं. उनके साथ दो टीचर भी थे. सबसे कहा कि आप लोग रिलैक्स रहिए. वो लोग भी मेरे कहने के मुताबिक़ मान गए. सभी बुरी तरह से डरे हुए थे. हमने बच्चों को आश्वस्त किया कि उन्हें कोई कुछ नहीं कर सकता है।
मिश्रा कहते हैं, ”माहौल ठीक हुआ तो मैंने कहा कि पुलिस जो पूछे सच-सच बता देना. किसी से डरने की ज़रूरत नहीं है. मैंने बच्चों से कहा कि तुम लोग सही बात बताओगे तो सारी चीज़ें समझ में आएंगी. ऐसे आश्वस्त करना तो मेरा फ़र्ज था. मैं उनकी हर हाल में सुरक्षा करता. ये नहीं भी आते तब भी मैं उन्हें घर लाता.”
मदरसे के संचालक मौलाना नज़ीर अहमद नदवी कहते हैं कि शहर को अशोक मिश्रा जैसे लोगों की ज़्यादा ज़रूरत है ताकि आग लगने पर पानी लेकर सामने आने की हिम्मत रख सके।
नदवी से मैंने अशोक मिश्रा के घर का रास्ता पूछा तो वो बताने से डर रहे थे कि कहीं मिश्रा जी को दिक़्क़त न हो जाए. जब अशोक मिश्रा के घर पहुंचा तो उनके मन में कोई डर नहीं था कि दंगाई जान जाएंगे कि उन्होंने मुस्लिम बच्चों को बचाया था.