विशेष

#उज्जयिनी नरेश #महाराजा #चक्रवर्ती सम्राट #विक्रमादित्य!

ठाकुर अंशुमान सिंह
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==== #गोरा_बादल ====
गोरा और बादल #चित्तौड़गढ़ मेवाड़ के महान
योद्धाओं में से एक थे,
जो चित्तौड़गढ़ #मेवाड़ के रावल रतन सिंह के
बचाव के लिए बहादुरी से लड़े थे |
गोरा ओर बदल दोनों चाचा
भतीजे जालोर के #चौहान वंश से #सम्बन्ध रखते थे |
छल द्वारा 1298 में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़
मेवाड़ के शाशक रावल रतन सिंह को कैदी बना दिया था
फिरौती में #खिलजी ने, चित्तौड़गढ़ मेवाड़ के #रावल रतन सिंह कि पत्नी रानी पद्मिनी कि माँग कि थी |
यह सब होने के बाद रानी पद्मिनी ने एक युद्ध परिषद आयोजित की जिसमे रावल रतन सिंह को बचाने कि योजना बनाई गयी |
रावल #रतन सिंह को बचाने का जिम्मा गोरा ओर बादल को दिया गया |
गोरा ओर उसके भतीजे बादल को #अलाउद्दीन
खिलजी के पास दूत बना कर भेजा गया ओर संदेश
पहुँचाया गया कि रानी पद्मिनी को खिलजी को
सोप दिया जयेगा अगर खिलजी अपनी सेनाये
चित्तौड़गढ़ मेवाड़ से हटा दे,
पर एक शर्त यह है कि जब रानी #पद्मिनी को खिलजी को सोपा जयेगा तब रानी पद्मिनी कि दसिया ओर सेवक 50 पालकियो में साथ होगी |
जब रानी पद्मिनी को खिलजी को सोपा जा रहा
था तो हर एक #पालकि में 2 अच्छे #अच्छे #राजपूत योधा को बिठाया गया |
जब रानी पद्मिनी कि पालकि जिसमे गोरा ख़ुद
भी बैठा था,जब रत्न सिंह के टेंट के पास पहुँची तो गोरा ने रतन सिंह के टेंट में जाके रत्न सिंह को घोड़े पे बैठने को बोला ओर कहा कि आप किले(चित्तौड़गढ़) में वापस चले ज्यों |
उसके बाद गोरा ने सभी राजपूत योद्धाओं को उनकी
पालकी से बाहर आने को कहा ओर बोला कि #मुस्लिम सैनिकों पर हमला करो |
गोरा खिलजी के तम्बू तक #पहुँचा और #सुल्तान को
मारने ही वाला था पर सुल्तान अपनी उपपत्नी के पीछे छिप गया |
गोरा एक राजपूत था ओर राजपूत मासूम #महिलाओं
को नहीं मारते, इसलिए गोरा ने उस महिला पे हाथ
नही उठाया |
ओर सुल्तान के #सैनिकों से युधा करते हुए
गोरा ओर बादल वीर गति को प्राप्त हुए |
चित्तौड़गढ़ किले में रानी पद्मिनी के महल के दक्षिण में दो गुंबद के आकार घरों का निर्माण किया गया है जिन्हें गोरा बादल के महल के नाम से जाना जाता है |
#rajput_pride

Sukhpal Gurjar
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एक बढ़ई किसी गांव में काम करने गया, लेकिन वह अपना हथौड़ा साथ ले जाना भूल गया। उसने गांव के लोहार के पास जाकर कहा, ‘मेरे लिए एक अच्छा सा हथौड़ा बना दो।
मेरा हथौड़ा घर पर ही छूट गया है।’ लोहार ने कहा, ‘बना दूंगा पर तुम्हें दो दिन इंतजार करना पड़ेगा।
हथौड़े के लिए मुझे अच्छा लोहा चाहिए। वह कल मिलेगा।’
दो दिनों में लोहार ने बढ़ई को हथौड़ा बना कर दे दिया। हथौड़ा सचमुच अच्छा था। बढ़ई को उससे काम करने में काफी सहूलियत महसूस हुई। बढ़ई की सिफारिश पर एक दिन एक ठेकेदार लोहार के पास पहुंचा।
उसने हथौड़ों का बड़ा ऑर्डर देते हुए यह भी कहा कि ‘पहले बनाए हथौड़ों से अच्छा बनाना।’ लोहार बोला, ‘उनसे अच्छा नहीं बन सकता। जब मैं कोई चीज बनाता हूं तो उसमें अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखता, चाहे कोई भी बनवाए।’
धीरे-धीरे लोहार की शोहरत चारों तरफ फैल गई। एक दिन शहर से एक बड़ा व्यापारी आया और लोहार से बोला, ‘मैं तुम्हें डेढ़ गुना दाम दूंगा, शर्त यह होगी कि भविष्य में तुम सारे हथौड़े केवल मेरे लिए ही बनाओगे। हथौड़ा बनाकर दूसरों को नहीं बेचोगे।’
लोहार ने इनकार कर दिया और कहा, ‘मुझे अपने इसी दाम में पूर्ण संतुष्टि है। अपनी मेहनत का मूल्य मैं खुद निर्धारित करना चाहता हूं। आपने फायदे के लिए मैं किसी दूसरे के शोषण का माध्यम नहीं बन सकता।
आप मुझे जितने अधिक पैसे देंगे, उसका दोगुना गरीब खरीदारों से वसूलेंगे। मेरे लालच का बोझ गरीबों पर पड़ेगा, जबकि मैं चाहता हूं कि उन्हें मेरे कौशल का लाभ मिले। मैं आपका प्रस्ताव स्वीकार नहीं कर सकता।’
सेठ समझ गया कि सच्चाई और ईमानदारी महान शक्तियां हैं। जिस व्यक्ति में ये दोनों शक्तियां मौजूद हैं, उसे किसी प्रकार का प्रलोभन अपने सिद्धांतों से नहीं डिगा सकता…..!!

ठाकुर अंशुमान सिंह
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#उज्जयिनी नरेश #महाराजा #चक्रवर्ती सम्राट #विक्रमादित्य
अपने भारत देश में बहुत से राजा-महाराजा हुऐ हैं, जिन्होंने अपने पराक्रम से देश का नाम समुचे विश्व में रोशन किया है। महान राजा अशोक हों या अन्य राजा सभी को लोगों ने बहुत याद किया है। फिर भी, इतिहास में एक ऐसा भी राजा हुआ है जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है, वह राजा थे वीर विक्रमादित्य जो बड़ा बलवान औऱ यश्स्वी था। उन्होंने राजा ने पुरे विश्व में भारत का मान बढ़ाया था। आईये जानते हैं कि वह कौन थे?
महाराज विक्रमदित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था।
उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य… बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली ,
आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमदित्य के कारण अस्तित्व में है अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था

रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया विक्रमदित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे
हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे, उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , राज अपने छोटे भाई विक्रमदित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है

महाराज विक्रमदित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है विक्रमदित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमदित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे , आप गूगल इमेज कर विक्रमदित्य के सोने के सिक्के देख सकते हैं।

हिन्दू कैलंडर भी विक्रमदित्य का स्थापित किया हुआ है आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर आदि उन्ही की रचना है , वे बहुत ही पराक्रमी , बलशाली और बुद्धिमान राजा थे ।
कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे , विक्रमदित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय , राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था विक्रमदित्य का काल राम राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी।