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Tirupati balaji temple : तिरुपति बालाजी मंदिर को चढ़ावे में मिला कुल 11,329 किलोग्राम सोना, भक्तों ने एक साल में 1,611 करोड़ रुपये का चढ़ावा दिया : रिपोर्ट

आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर इन दिनों सुर्खियों में है। आंध्र प्रदेश की चंद्र बाबू नायडू सरकार सरकार ने पिछली जगन मोहन सरकार के दौरान मंदिर के लड्डू प्रसाद में मिलावट का आरोप लगाया है। इसके लिए सत्ताधारी तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने एक लैब रिपोर्ट का हवाला दिया है। विवाद के बीच केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है और कहा कि एफएसएसएआई लैब रिपोर्ट की जांच करेगा।

तिरुपति बालाजी या तिरुमला मंदिर देश के सबसे अमीर मंदिरों में से है। यहां हर साल अरबों रुपये का चढ़ावा आता है। लड्डू विवाद के बीच आइये जानते हैं कि तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास क्या है? यह अमीर मंदिरों में क्यों गिना जाता है? यहां हर साल कितना चढ़ावा आता है?

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास क्या है?
आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के तिरुमाला की पहाड़ियों में स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप वेंकटेश्वर को समर्पित है। इस मंदिर को श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर, तिरुमाला मंदिर, तिरुपति मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य चर्चित नामों से भी जाना जाता है। तिरुपति मंदिर का प्रबंधन आंध्र प्रदेश सरकार के अधीन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) नामक ट्रस्ट करता है।

यह अमीर मंदिरों में क्यों गिना जाता है?
तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर का मौजूदा बजट 5000 करोड़ रुपये से भी अधिक का है। तिरुमला मंदिर में भगवान बालाजी की कुल संपत्ति ने देश की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों के कीमत से भी ज्यादा है। मंदिर ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान ₹1,161 करोड़ जमा किए हैं। इससे विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों में टीटीडी की कुल सावधि जमा राशि 18,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इस अवधि के दौरान मंदिर ने 1,031 किलोग्राम से अधिक सोना जमा करके इतिहास रच दिया। पिछले तीन वर्षों के दौरान विभिन्न बैंकों में 4,000 किलोग्राम से अधिक सोना जमा किया गया, जिससे टीटीडी का कुल स्वर्ण भंडार 11,329 किलोग्राम हो गया।

इसी साल जनवरी के अंत में मंदिर का प्रबंधन करने वाले टीटीडी के ट्रस्ट बोर्ड ने वर्ष 2024-25 के लिए 5,142 करोड़ रुपये के बजट अनुमान को मंजूरी दी थी। पीटीआई के साथ साझा किए गए बजट के मुख्य अंशों के अनुसार, इससे पहले 2023-24 में टीटीडी का बजट 5,123 करोड़ रुपये था।

किन स्रोतों से होती है मंदिर को कमाई?
श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को कई स्रोतों से आय होती है, जैसे भक्तों का चढ़ावा, भक्तों से प्राप्त दान, सावधि जमा पर ब्याज राशि और भक्तों द्वारा विभिन्न टीटीडी-संचालित ट्रस्टों को दिए जाने वाले दान के रूप में सैकड़ों करोड़ रुपये।

मौजूदा बजट के अनुसार, विश्व प्रसिद्ध मंदिर में कमाई का सबसे बड़ा जरिया श्रद्धालुओं का चढ़ावा था जिसे ‘हुंडी कनुका’ के नाम से जाना जाता है। भक्तों ने एक साल में 1,611 करोड़ रुपये का चढ़ावा दिया, जो पिछले वर्ष के स्तर पर ही रहा।

1,167 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में मिले जो कमाई का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत रहा। 2023-24 से यह राशि 100 करोड़ रुपये अधिक है। मंदिर के आय का तीसरा सबसे बड़ा आय का जरिया प्रसादम से होने वाली कमाई रही। पवित्र भोजन से 600 करोड़ रुपये की कमाई हुई जो पिछले वर्ष 550 करोड़ रुपये था। इसके अलावा 347 करोड़ रुपये की शुरुआती नकदी और बैंक जमा राशि है। हालांकि, 2023-24 के बजट अनुमानों की तुलना में शुरुआती नकदी और बैंक बैलेंस में 180 करोड़ रुपये की गिरावट आई। धन के अन्य प्रमुख स्रोतों में दर्शनम (यात्रा) से 338 करोड़ रुपये (पिछले वर्ष 328 करोड़ रुपये की तुलना में), कर्मचारियों को ऋण और अग्रिम राशि, साथ ही सुरक्षा जमा और अन्य 246 करोड़ रुपये (पिछले वर्ष 146 करोड़ रुपये की तुलना में) शामिल हैं।

अन्य पूंजीगत प्राप्तियां 129 करोड़ रुपये, अर्जित सेवा प्राप्तियां 150 करोड़ रुपये, आवास और कल्याण मंडपम 147 करोड़ रुपये, और कल्याण कट्टा प्राप्तियां 151 करोड़ रुपये भी टीटीडी के लिए धन के अहम स्रोत हैं।

भक्तों ने भगवान बालाजी के नाम पर 11,225 किलो सोना दान किया
टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी धर्म रेड्डी ने 2023 में भगवान बालाजी की संपत्ति का ब्योरा जारी किया था। फार्च्यून इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भगवान बालाजी के नाम पर 11,225 किलो सोना विभिन्न बैंकों में जमा किया गया। मुख्य देवता के स्वर्ण आभूषणों का वजन 1088.62 किलोग्राम और चांदी के आभूषणों का वजन 9071.85 किलोग्राम था।

टीटीडी के अंतर्गत 6,000 एकड़ वन भूमि, 75 स्थानों पर 7,636 एकड़ अचल संपत्तियां भी हैं। इसके तहत 1,226 एकड़ कृषि भूमि है, जबकि 6,409 एकड़ गैर-कृषि भूमि है। देश भर में 71 मंदिर टीटीडी के सहयोग से चल रहे हैं और 535 अन्य संपत्तियां हैं। इनमें से 159 संपत्तियां पट्टे पर हैं, जिनसे टीटीडी को पट्टे पर दी गई संपत्तियों के जरिए 4 करोड़ रुपये की सालाना आय होती है।

टीटीडी के पास 307 स्थानों पर कल्याण मंडपम (विवाह स्थल) भी हैं। इनमें से 29 बंदोबस्ती विभाग को पट्टे पर दिए गए हैं और 166 को दूसरों को पट्टे पर दिया गया है। इन पट्टे वाले मंडपों से टीटीडी को सालाना 4 करोड़ रुपये की आय होगी। श्रीवाणी ट्रस्ट के जरिए टीटीडी 97 मंडप भी चला रहा है और भक्तों से 1,021 करोड़ रुपये का दान एकत्र कर चुका है।

आय का इस्तेमाल किसके लिए होता है?
2024-25 के बजट अनुमान के अनुसार, मंदिर प्रबंधन ने कर्मचारियों के वेतन के लिए 1,733 करोड़ रुपये खर्च किए, जो 2023-24 में खर्च किए गए 1,664 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके बाद सामग्री की खरीद में 751 करोड़ रुपये खर्च हुए। टीटीडी ने इंजीनियरिंग कार्यों के लिए 350 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25 करोड़ रुपये अधिक है। इंजीनियरिंग रखरखाव कार्यों पर व्यय 150 करोड़ रुपये की तुलना में 190 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है।

अन्य प्रमुख आबंटनों में पेंशन और कर्मचारी स्वास्थ्य योजना निधि योगदान के लिए 100 करोड़ रुपये दिए। वर्ष 2024-25 के लिए आंध्र प्रदेश सरकार को टीटीडी का योगदान 50 करोड़ रुपये अनुमानित किया गया है, जो 2023-24 में भी था।