सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार, टीएसपीएल के एक कार्यकारी ने 263 चीनी कामगारों के लिए परियोजना वीजा फिर से जारी करने की मांग की थी, जिसके लिए कथित तौर पर 50 लाख रुपये का आदान-प्रदान किया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने 2011 में 263 चीनी नागरिकों को वीजा जारी करने में कथित अनियमितताओं के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में तमिलनाडु में आधा दर्जन स्थानों पर शुक्रवार को तलाशी ली, जिसमें कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम भी शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा चेन्नई और आसपास के इलाकों में कुछ कंपनियों और उनके प्रमोटरों के परिसरों पर छापेमारी की जा रही है। ईडी ने इसी मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद मई में जांच शुरू की थी और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया था।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी के मुताबिक, यह मामला कार्ति और उनके करीबी एस भास्कररमन को वेदांता समूह की कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) के एक शीर्ष अधिकारी द्वारा रिश्वत के रूप में दिए जाने के आरोपों से संबंधित है, जो पंजाब में एक बिजली संयंत्र स्थापित कर रहा था। सीबीआई ने चिदंबरम परिवार के परिसरों पर छापा मारा था और भास्कररमन को गिरफ्तार किया था, जबकि कार्ति चिदंबरम से पूछताछ की गई थी।
कार्ति चिदंबरम ने आरोपों का खंडन किया
तमिलनाडु के शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के 50 वर्षीय सांसद कार्ति चिदंबरम ने आरोपों का खंडन किया है और एक बयान में कहा है कि अगर यह उत्पीड़न नहीं है, चुनिंदा शिकार नहीं है, तो क्या है। कार्ति कहा था कि उन्होंने वीजा प्रक्रिया में एक भी चीनी नागरिक को फायदा नहीं पहुंचाया था, 250 की तो बात ही छोड़ दें। सीबीआई के मुताबिक, बिजली परियोजना की स्थापना का काम एक चीनी कंपनी द्वारा किया जा रहा था और समय से पीछे चल रहा था। सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार, टीएसपीएल के एक कार्यकारी ने 263 चीनी कामगारों के लिए परियोजना वीजा फिर से जारी करने की मांग की थी, जिसके लिए कथित तौर पर 50 लाख रुपये का आदान-प्रदान किया गया था।
एजेंसी ने आरोप लगाया है कि मानसा स्थित बिजली संयंत्र में काम कर रहे चीनी कामगारों के लिए परियोजना वीजा फिर से जारी करने के लिए टीएसपीएल के तत्कालीन सहयोगी उपाध्यक्ष विकास मखरिया ने भास्कररमन से संपर्क किया था। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि मखरिया ने अपने करीबी सहयोगी भास्कररमन के माध्यम से कार्ति से संपर्क किया। यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने उक्त चीनी कंपनी के अधिकारियों को आवंटित 263 परियोजना वीजा के दोबारा उपयोग की अनुमति देकर सीलिंग के उद्देश्य को तार-तार करते हुए पिछले दरवाजे से प्रवेश का रास्ता तैयार किया। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि परियोजना वीजा एक विशेष सुविधा थी जिसे 2010 में बिजली और इस्पात क्षेत्र के लिए पेश किया गया था, जिसके लिए गृह मंत्री के रूप में पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए थे, लेकिन परियोजना में वीजा को फिर से जारी करने का कोई प्रावधान नहीं था।