“कभी यूं ही जब हुई बोझिल सांसें। भर आई बैठे बैठे जब यूं ही आंखें। कभी मचल के। प्यार से चल के। छुए कोई मुझे पर, नज़र ना आए। कहीं दूर जब दिन ढल जाए। सांझ की दुल्हन बदन चुराए।” ये गीत नहीं है। ये दर्शन है। और इस दर्शन के दर्शन कराने वाली हस्ती […]
“कभी यूं ही जब हुई बोझिल सांसें। भर आई बैठे बैठे जब यूं ही आंखें। कभी मचल के। प्यार से चल के। छुए कोई मुझे पर, नज़र ना आए। कहीं दूर जब दिन ढल जाए। सांझ की दुल्हन बदन चुराए।” ये गीत नहीं है। ये दर्शन है। और इस दर्शन के दर्शन कराने वाली हस्ती […]