साहित्य

ग़ज़ल : सर्द रातों के ये दुशाले से…हैं भरे बर्फ़ के पियाले से…By-कुसुम शर्मा अंतरा

Kusum Sharma Antra  ============= ग़ज़ल खोना हूं कुछ पाना हूं मैं भी इक मयख़ाना हूं मुझ में वक्त का दरिया है सिर्फ़ मैं आना जाना हूं दुनिया ने ठुकराया है मैं सदियों का ताना हूं हूं बेशक गुलकंद सी पर नफ़रत का पैमाना हूं मुझ को समझ न पाओगे मैं तो इक अफ़साना हूं तंज […]