Sri Lanka: सरकारी प्रवक्ता और मंत्री बंदुला गुनावर्धने ने मंगलवार को आईएमएफ विरोधी समूहों से पूछा कि उनके पास वैकल्पिक प्रस्ताव क्या है। उन्होंने कहा कि अगर आईएमएफ विरोध संगठन उससे कर्ज लेने का विकल्प बताए, तो सरकार उस पर विचार करने के लिए तैयार है…
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज लेने का सवाल श्रीलंका में बड़े राजनीतिक विवाद में तब्दील होता जा रहा है। कई राजनीतिक दल और समूह सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह आईएमएफ की कड़ी शर्तों को मानते हुए उससे कर्ज न लें। इन समूहों का आरोप है कि आईएमएफ की शर्तों से आम इंसान की जिंदगी और मुश्किल होगी।
इस मद्दे पर बढ़ रहे विवाद को देखते हुए अब रानिल विक्रमसिंघे सरकार ने जवाबी सवाल उछाला है। सरकारी प्रवक्ता और मंत्री बंदुला गुनावर्धने ने मंगलवार को आईएमएफ विरोधी समूहों से पूछा कि उनके पास वैकल्पिक प्रस्ताव क्या है। उन्होंने कहा कि अगर आईएमएफ विरोध संगठन उससे कर्ज लेने का विकल्प बताए, तो सरकार उस पर विचार करने के लिए तैयार है।
इसके पहले सोमवार को सांसदों के एक गुट ने आरोप लगाया था कि रानिल विक्रमसिंघे ‘आईएमएफ के ढांचे’ के तहत काम कर रहे हैं। इस समूह की तरफ से निर्दलीय सांसद वासुदेवा नानायाक्करा ने कहा था कि विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति होने के बावजूद निर्वाचित राष्ट्रपति की तरह काम करते हुए आईएमएफ के एजेंडे को लागू करने की कोशिश में हैं। नानायाक्करा और कुछ दूसरे निर्दलीय सांसदों ने अपना एक समूह बनाया है। इस नाम डेमोक्रेटिक लेफ्ट फ्रंट रखा गया है। नानायक्करा ने कहा है- ‘भले हम मर जाएं, लेकिन हम आईएमएफ की शरण में नहीं जाएंगे।’
जबकि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने बार-बार यह कहा है कि वे आईएमएफ के साथ मिल कर काम करेंगे। आईएमएफ से कर्ज पाने के लिए श्रीलंका सरकार ने कई दौर की वार्ता की है, लेकिन बताया जाता है कि इस राह में अभी कुछ अड़चनें बाकी हैं। इस मुख्य विपक्षी दल समगी जना बालावेगया (एसजेबी) ने आईएमएफ से कर्ज लेने के प्रयासों का कुछ शर्तों के साथ समर्थन किया है। इसी विवाद के बीच सरकारी प्रवक्ता गुनावर्धने ने कहा- ‘अगर कोई सोचता है कि आईएमएफ को ठुकरा कर समाधान निकल जाएगा, तो यह व्यावहारिक नहीं है। लेकिन अगर वे कोई ऐसा समाधान सुझाएं जिसमें आईएमएफ शामिल ना हो, तो सरकार उस पर विचार करेगी।’
इस बीच श्रीलंका के कुछ सांसदों के यहां हंबनटोटा बंदरगाह पर आए चीनी जहाज के स्वागत समारोह में शामिल होने का मुद्दा भी गरम है। सत्तापक्ष के एक गुट ने सांसदों के इस कदम की आलोचना की है। चीनी जासूसी जहाज युवान वांग-5 मंगलवार को हंबनटोटा पहुंचा। उसके स्वागत के लिए समारोह में विमल वीरावानसा, वासुदेवा नानायक्करा और उनके कुछ दूसरे साथी शामिल हुए। वेबसाइट इकॉनमीनेक्स्ट.कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये सांसद हमेशा से पश्चिमी देशों के विरोधी रहे हैं। हाल में वे खुल कर रूस और चीन का समर्थन करते रहे हैं।
लेकिन सत्ता पक्ष के समर्थक सांसद चरिता हेरात ने सांसदों के चीनी कार्यक्रम में शामिल होने की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा- ‘यह एक अति संवेदनशील मुद्दा है और उसमें सांसदों का शामिल होना गैर-जरूरी माना जाएगा।’
समारोह में गए सांसदों ने युवान वांग-5 को लेकर हुए विवाद के लिए ‘अमेरिकी तिकड़मों’ को जिम्मेदार ठहराया। इस बीच सरकारी प्रवक्ता बंदुला गुनावर्धने ने सफाई दी है कि श्रीलंका सरकार का इस मामले में रुख तटस्थ है और वह गुट निरपेक्ष विदेश नीति पर चल रही है।