अगले चार दिन के अंदर देश को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई को खत्म हो रहा है। इसी दिन नए राष्ट्रपति शपथ ग्रहण कर लेंगे। आंकड़ों के हिसाब से एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू मजबूत स्थिति में हैं।
रिटायरमेंट के साथ ही रामनाथ कोविंद देश के 12वें राष्ट्रपति हो जाएंगे, जिन्होंने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। इनसे पहले 11 राष्ट्रपति अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद इकलौते महामहिम हैं, जो लगातार दो बार इस पद पर रहे।
आइए जानते हैं अब तक के राष्ट्रपतियों में सबसे कम कार्यकाल किसका रहा? कौन से वो राष्ट्रपति हैं जो अपना पांच साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए?
राजेंद्र प्रसाद – फोटो : तीसरी जंग
1. राजेंद्र प्रसाद : देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नाम सबसे ज्यादा दिन तक पद पर बने रहने का रिकॉर्ड है। इन्होंने 26 जनवरी 1950 को कार्यभार संभाला था और 12 साल 107 दिन तक यानी 13 मई 1962 तक राष्ट्रपति रहे। बंगाल प्रेसीडेंसी के जिरदाई (अब बिहार का सिवान जिला) में राजेंद्र प्रसाद का जन्म तीन दिसंबर 1884 को हुआ था। कांग्रेस से जुड़कर उन्होंने अपनी राजनीति शुरू की थी। 78 साल की उम्र में उन्होंने बिहार की राजधानी पटना में आखिरी सांस ली।
पं. नेहरू और इंदिरा गांधी के साथ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन – फोटो : तीसरी जंग
2. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन रहे। इन्होंने 13 मई 1962 को राष्ट्रपति पद संभाला और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। राधाकृष्णन का जन्म मद्रास प्रेसिडेंसी के थिरूतन्नी ( जो अब तमिलनाडु का हिस्सा है) में पांच सितंबर 1888 को हुआ था। राधाकृष्णन खुद शिक्षक थे। राधाकृष्णन के नाम देश के पहले उपराष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड दर्ज है।
इंदिरा गांधी के साथ डॉ. जाकिर हुसैन – फोटो : तीसरी जंग
3. जाकिर हुसैन : देश को तीसरे राष्ट्रपति के रूप में जाकिर हुसैन मिले। जाकिर हुसैन का जन्म 13 मई 1967 को हैदराबाद में हुआ था, लेकिन बाद में पूरे परिवार के साथ वह उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में शिफ्ट हो गए। जाकिर हुसैन का ज्यादातर समय अलीगढ़ और फिर दिल्ली के जामिया में गुजरा। जाकिर हुसैन ने बतौर राष्ट्रपति 1 साल 355 दिन सेवाएं दी। इन्होंने 13 मई 1967 को कार्यभार संभाला था और तीन मई 1969 तक इस पद पर बने रहे। राष्ट्रपति रहते हुए ही जाकिर हुसैन का निधन हो गया। हुसैन के नाम देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड है।
उनके भाई मुहम्मद हुसैन पाकिस्तान के शिक्षामंत्री भी रहे थे। हुसैन के भतीजे अनवर हुसैन पाकिस्तान टेलीविजन कॉरपोरेशन के निदेशक रहे। कजिन रहिमुद्दीन खान पाकिस्तान आर्मी के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन रहे। बाद में बलूचिस्तान और सिंध के गर्वनर भी रहे।
जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्लाह और वीवी गिरी। – फोटो : तीसरी जंग
4. वीवी गिरी : तीन मई 1969 को जाकिर हुसैन के निधन के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीवी गिरी ने देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला। गिरी पहले ऐसे उपराष्ट्रपति भी रहे, जो अपना उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। गिरी दो बार देश के राष्ट्रपति बने। कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल78 दिन का कार्यकाल रहा।
इसके बाद हुए चुनाव में जीतकर फिर से वीवी गिरी ने पदभार संभाला और पूरे पांच साल इस पद पर रहे। गिरी ने 24 अगस्त 1969 को राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला और 24 अगस्त 1974 तक वह इस पद पर बने रहे। जब गिरी राष्ट्रपति चुनाव में उतरे तो उन्होंने कार्यवाहर राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया। उस वक्त कोई उपराष्ट्रपति भी नहीं था। ऐसे में देश चीफ जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्लाह कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाए गए। वह इस पद पर महज 35 दिन रहे।
हिदायतुल्लाह के नाम तीन और रिकॉर्ड दर्ज हैं। ये भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे। इसके अलावा हिदायतुल्लाह इकलौते शख्स हैं, जिन्होंने मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी भी संभाली है।
फकरुद्दीन अली अहमद – फोटो : तीसरी जंग
5. फकरुद्दीन अली अहमद : वीवी गिरी के पांच साल के कार्यकाल के बाद फकरुद्दीन अली अहमद ने राष्ट्रपति का कामकाज संभाला। अहमद ने 24 अगस्त 1974 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली और दो साल 171 दिन यानी 11 फरवरी 1977 तक इस पद पर बने रहे। फकरुद्दीन अली ही वह राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 25 जून 1975 को आधी रात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर देश में आपालकाल लागू कर दिया था। राष्ट्रपति रहते हुए ही 71 साल की उम्र में इनका निधन हो गया। तब तत्कालीन उपराष्ट्रपति बीडी जत्ती ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी संभाली।
नीलम संजीव रेड्डी – फोटो : तीसरी जंग
6. नीलम संजीव रेड्डी : फकरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद बीडी जत्ती 164 दिन तक कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे। इसके बाद 25 जुलाई 1977 को नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति चुने गए। इनका जन्म 19 मई 1913 को मद्रास प्रेसीडेंसी के इल्लूर में हुआ था, जो अब आंध्र प्रदेश का हिस्सा है। 83 साल की उम्र में एक जून 1996 को इनका निधन हो गया। रेड्डी ने बतौर राष्ट्रपति पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया था।
ज्ञानी जैल सिंह – फोटो : तीसरी जंग
7. ज्ञानी जैल सिंह : नीलम संजीव रेड्डी के बाद ज्ञानी जैल सिंह राष्ट्रपति बने। जैल सिंह के नाम पहले सिख राष्ट्रपति होने का भी रिकॉर्ड है। राष्ट्रपति बनने से पहले वह केंद्र सरकार में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाल चुके थे। जैल सिंह का जन्म पांच मई 1916 को चंडीगढ़ में हुआ था। 25 जुलाई 1982 को वह राष्ट्रपति बने थे और पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद 25 जुलाई 1987 सेवा मुक्त हुए। 78 साल की उम्र में जैल सिंह ने 25 दिसंबर 1994 को आखिरी सांस ली।
आर वेंकटरमण – फोटो : तीसरी जंग
8. रामास्वामी वेंकटरमण : 25 जुलाई 1987 को रामास्वामी वेंकटरमण के रूप में देश को नया राष्ट्रपति मिला। उनका जन्म चार दिसंबर 1910 में राजामदाम मद्रास प्रेसिडेंसी में हुआ था, जो अब तमिलनाडु का हिस्सा है। राष्ट्रपति बनने से पहले वह रक्षा, उद्योग समेत कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके थे। 25 जुलाई 1987 को उन्होंने राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाली और 25 जुलाई 1992 को पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। उनके राष्ट्रपति रहते हुए देश को चार प्रधानमंत्री मिले। पहले राजीव गांधी, फिर वीपी सिंह, चंद्रशेखर और पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री रहे।
शंकर दयाल शर्मा – फोटो : तीसरी जंग
9. शंकर दयाल शर्मा : वेंकटरमण के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे शंकर दयाल शर्मा ने राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाली। शर्मा ने अपने पांच साल के कार्यकाल में चार प्रधानमंत्रियों को देखा। पहले पीवी नरसिम्हा राव, फिर अटल बिहारी वाजपेयी, एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री रहे। शर्मा ने 29 जुलाई 1992 को राष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभाली थी और इसके पांच महीने बाद ही अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड हुआ। 19 अगस्त 1918 को शंकर दयाल शर्मा का जन्म भोपाल, मध्य प्रदेश में हुआ था। 81 साल की उम्र में 26 दिसंबर 1991 को इनका निधन हो गया।
केआर नारायणन – फोटो : तीसरी जंग
10. केआर नारायणन : 25 जुलाई 1997 को केआर नारायणन ने देश के राष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभाला। मूल रूप से केरल के कोट्टायम के रहने वाले नारायणन का जन्म चार फरवरी 1920 को हुआ था। जब पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, तब नारायणन इंडियन फॉरेन सर्विसेज में थे। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए नारायणन ने राजनीति में कदम रखा और फिर राजीव गांधी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। नारायणन के नाम देश के पहले दलित राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। नौ नवंबर 2005 को 85 साल की उम्र में इनका निधन हो गया।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम – फोटो : तीसरी जंग
11. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम : 25 जुलाई 2002 को डॉ. कलाम के रूप में देश को पहला वैज्ञानिक राष्ट्रपति मिला। डॉ. कलाम का जन्म रामेश्वरम तमिलनाडु में हुआ था। बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले डॉ. कलाम ने जीवन में खूब संघर्ष किया। फिर इसरो और डीआरडीओ के वैज्ञानिक रहे। डॉ. कलाम को मिसाइल मैन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। डॉ. कलाम ने पोखरण परमाणु परीक्षा में अहम भूमिका निभाई थी। डॉ. कलाम ने 25 जुलाई 2007 तक राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाली। 83 साल की उम्र में 27 जुलाई 2015 को उनका निधन हो गया।
प्रतिभा पाटिल – फोटो : तीसरी जंग
12. प्रतिभा देवी पाटिल : देश की पहली महिला राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के नाम दर्ज है। 25 जुलाई 2007 को उन्होंने कार्यभार संभाला था और 25 जुलाई 2012 को पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। प्रतिभा पाटिल राजस्थान की राज्यपाल रहीं और राज्यसभा की डिप्टी चेयरमैन का पद भी संभाला। इनका जन्म 19 दिसंबर 1934 को जलगांव महाराष्ट्र में हुआ था। इन्हीं के कार्यकाल में 35 कैदियों की सजा फांसी से बदलकर उम्रकैद कर दी गई थी। ये फैसला काफी विवादों में रहा।
प्रणब मुखर्जी – फोटो : तीसरी जंग
13. प्रणब मुखर्जी : 25 जुलाई 2012 को प्रणब मुखर्जी देश के राष्ट्रपति बने। इसके पहले वह केंद्र सरकार में रक्षा, वित्त, विदेश समेत कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके थे। प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को बंगाल प्रेसीडेंसी में हुआ था। 25 जुलाई 2017 तक वह राष्ट्रपति रहे। 31 अगस्त 2020 को कोरोना संक्रमण के चलते उनका निधन हो गया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद। – फोटो : तीसरी जंग
14. रामनाथ कोविंद : 25 जुलाई 2017 को देश को रामनाथ कोविंद के रूप में दूसरा दलित राष्ट्रपति मिला। कोविंद मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात स्थित पुखरायां गांव से हैं। उत्तर प्रदेश से राष्ट्रपति बनने वाले पहले शख्स हैं। राष्ट्रपति बनने से पहले वह राज्यसभा के सांसद और बिहार व पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके थे। कोविंद पहले राष्ट्रपति हैं, जो भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के सदस्य रहे।