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अब अदालत में इमोजी को भी सबूत के तौर पर मिलेगी मान्यता!

फेसबुक : इंस्टाग्राम और व्हॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अक्सर लोग इमोजी या इमोटिकोंस के जरिए बात करते हैं. कई बार अपने मूड जैसे कि अगर कोई खुश है, दुखी है या उत्साहित है, ऐसी सभी फीलिंग्स को इमोजी के जरिए शेयर करते हैं, लेकिन अब अदालत में इन इमोजी को सबूत के तौर पर भी मान्यता दी जा रही है. यह सुनकर आपको बेशक अजीब लग सकता है, लेकिन ये बात एकदम सच है और कनाडा की अदालत ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए चैट में इस्तेमाल की गई थम्स-अप इमोजी को वैलिड मानकर फैसला सुनाया है.

Canadian Court on Emoji Use : फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अक्सर लोग इमोजी या इमोटिकोंस के जरिए बात करते हैं. कई बार अपने मूड जैसे कि अगर कोई खुश है, दुखी है या उत्साहित है, ऐसी सभी फीलिंग्स को इमोजी के जरिए शेयर करते हैं, लेकिन अब अदालत में इन इमोजी को सबूत के तौर पर भी मान्यता दी जा रही है. यह सुनकर आपको बेशक अजीब लग सकता है, लेकिन ये बात एकदम सच है और कनाडा की अदालत ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए चैट में इस्तेमाल की गई थम्स-अप इमोजी को वैलिड मानकर फैसला सुनाया है.

याचिकाकर्ता ने टैक्स्ट मैसेज पर भेजी थी एग्रीमेंट की कॉपी
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट फ्लैक्स डिलीवरी को लेकर दो पक्षों के बीच समझौते से संबंधित एक मामले में सुनवाई कर रहा था. इसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि समझौते के अनुसार, दूसरी पार्टी की तरफ से फ्लैक्स की डिलीवरी नहीं की गई थी, जिसकी वजह उसे कोर्ट का रुख करना पड़ा. याचिकाकर्ता ने एग्रीमेंट उल्लघंन का मुकदमा दायर करते हुए दूसरे पक्ष से ब्याज और लागत के लिए 82,200.21 डॉलर की मांग की थी. याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने दूसरी पार्टी को फ्लैक्स की डिलीवरी के एग्रीमेंट की एक कॉपी चैट पर भेजी थी, जिसमें यह भी पूछा गया कि क्या वह इस पर सहमत है. याचिकाकर्ता का दावा है कि इसके बदले में थम्स-अप वाली इमोजी भेजी गई, जिसे याचिकाकर्ता ने समझौते पर सहमति माना. अब कोर्ट ने भी इमोजी के आधार पर समोझौते पर अप्रवूल के याचिकाकर्ता के दावे को सही ठहराया है.

दूसरे पक्ष ने दिया ये तर्क
वहीं, दूसरे पक्ष ने तर्क दिया कि उसने किसी समझौते का उल्लंघन नहीं किया है क्योंकि समझौते से जुड़े किसी भी दस्तावेज पर ना तो उसने हस्ताक्षर किया और ना ही इससे जुड़ा कोई नोट या ज्ञापन बनाया गया है. उनका यह भी दावा है कि फ्लैक्स डिलीवरी समझौते के पूर्ण नियम और शर्तें उसको नहीं भेजी गईं. उनका कहना है कि समझौते की कॉपी हस्ताक्षर करने के लिए ईमेल करनी चाहिए थी.

क्या बोला कोर्ट
फैसले में कहा गया कि हस्ताक्षर समझौते के अप्रूवल को दर्शाता है, लेकिन आजकल के आधुनिक समय में इमोजी के इस्तेमाल को भी समझौते पर सहमति के तौर पर देखा जा सकता है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पुरानी चीजों को भी ध्यान में रखा, जिसमें प्रतिवादी पक्ष की ओर से एग्रीमेंट पर ‘अच्छा लग रहा है’, ‘ठीक है’, या ‘हां’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था.

अब देने होंगे 82 हजार डॉलर
फैसले के अनुसार, एक पक्ष को 82 हजार डॉलर से भी ज्यादा भुगतान का आदेश दिया गया है. कानाडाई प्रांत सस्केचेवान की बेंच के जज टीजे कीन ने आदेश सुनाते हुए कोर्ट में ऐसी चुनौतियों से निपटने की जरूरत पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालतों को इमोजी के इस्तेमाल से पैदा होने वाली इस तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा.