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Mohan Bhagwat : आरएसएस प्रमुख बोले, लंबे समय तक नहीं चलेगी मशीनीकृत खेती

आरएएस प्रमुख ने कहा कि अनुसंधान और स्थानीय जानकारी के उपयोग में लचीलेपन पर ध्यान देना चाहिए। स्थानीय ज्ञान को अवैज्ञानिक बताकर अस्वीकार करना गलत है। आप इसकी जांच करने के बाद ही इसे अस्वीकार कर सकते हैं।

आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को खेती के जैविक और प्राचीन तरीकों पर जोर देते हुए कहा कि इस तरह की स्थानीय जानकारी को जांचे बिना अवैज्ञानिक बताकर अस्वीकार करना गलत होगा। भागवत राष्ट्रीय पशु चिकित्सा विज्ञान अकादमी और महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विज्ञान विद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वार्षिक दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे।

भागवत ने कहा कि भारत की खेती और पशुपालन के तरीके सबसे पुराने हैं। आधुनिक विज्ञान के साइड इफेक्ट हैं लेकिन हमारे प्राचनी ज्ञान और तरीकों के साइड इफेक्ट नहीं हैं।

आरएएस प्रमुख ने कहा कि अनुसंधान और स्थानीय जानकारी के उपयोग में लचीलेपन पर ध्यान देना चाहिए। स्थानीय ज्ञान को अवैज्ञानिक बताकर अस्वीकार करना गलत है। आप इसकी जांच करने के बाद ही इसे अस्वीकार कर सकते हैं, यदि यह सही नहीं है तो आप इसे अस्वीकार करने के लिए स्वतंत्र हैं।

उन्होंने कहा कि मशीनीकृत खेती लंबे समय तक नहीं चलेगी। आज भी 65 प्रतिशत किसान छोटी जोत पर खेती करते हैं और मशीनीकृत खेती उनके लिए बहुत फायदेमंद नहीं है। उर्वरक आदि के कारण वह कर्ज में पड़ जता है और फिर आत्महत्या कर लेता है। वह स्थायी कृषि सिखाई जानी चाहिए जिसे वह समझ सकता है।

भागवत ने कहा कि खेती की भारत केंद्रित पद्धति हमारे सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ा सकती है। देश 1700 ईसवी तक दुनिया में नंबर एक अर्थव्यवस्था थी। उन्होंने कहा कि हमारे पास कृषि अर्थव्यवस्था थी। उस समय उद्योग और वाणिज्य भी कृषि से संबंधित थे। हमें जीडीपी में वृद्धि हासिल करने के लिए भारत केंद्रित दृष्टिकोणा की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा कि स्थिरता के लिए सार्वजनिक भागीदारी की आवश्यकता है क्योंकि सरकार सभी विभागों के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए समृद्ध नहीं है।