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मणिपुर में हिंसा जारी, मणिपुरी अभिनेता कैकू राजकुमार ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्या से इस्तीफा दिया!

मणिपुरी फिल्म अभिनेता कैकू राजकुमार ने भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्या से इस्तीफा दे दिया है।

इस्तीफा देते हुए राजकुमार कैकू ने कहा कि राज्य में फैली जातीय संघर्ष से निपट पाने पर भाजपा असक्षम है। कैकू साल 2021 में भाजपा में शामिल हुए थे।

चर्चित मणिपुरी फिल्म अभिनेता राजकुमार कैकू उर्फ सोमेंद्र ने मणिपुर में हुए दो युवा छात्रों की निर्मम हत्या पर रोष प्रकट किया। इसी कड़ी में बुधवार को उन्होंने सत्तारूढ भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि मौजूदा जातीय संघर्ष से निपटने में राज्य सरकार असक्षम है। सोमेंद्र के इस्तीफे के बाद राज्य के शीर्ष नेताओं द्वारा उन्हें अपने फैसले पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया गया है।

राजकुमार कैकू ने कहा कि यह देखना निराशाजनक है कि सरकार ने पिछले चार महीने से अधिक समय से राज्य में जारी अव्यवस्था को ठीक करने के लिए अभी तक सक्रिय कदम नहीं उठाया है।

उन्होंने कहा कि मैं भाजपा में यह सोचकर शामिल हुआ था कि पार्टी डबल इंजन की सरकार के साथ राज्य में अहम बदलाव लाएगी लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्रीय नेताओं को लोगों के दर्द और दुख की कोई परवाह नहीं है। वे लोगों की हर उम्मीद के खिलाफ हैं।

इसी बीच मणिपुर में हिंसा जारी है, प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियां भी फूंकीं

मणिपुर की राजधानी इंफाल में गुरुवार को भी हिंसक प्रदर्शन हुए और उग्र लोगों की भीड़ ने एक डीसी दफ्तर में जमकर तोड़फोड़ की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उपद्रवियों ने इस दौरान दो गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया।

मणिपुर में 2 छात्रों की मौत को लेकर चल रहा हिंसक प्रदर्शन गुरुवार की सुबह भी जारी रहा। राजधानी में छात्रों की अगुवाई में यह हिंसा मंगलवार को तब शुरू हुई जब जुलाई में लापता हुए एक लड़के और लड़की की लाशों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं।

अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में मणिपुर के पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद 3 मई को जातीय हिंसा भड़क गई थी। हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जबकि नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी लगभग 40 फीसदी है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।