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INDIA गठबंधन की तरफ़ से मायावती को बतौर प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने की तैय्यारी : रिपोर्ट

बसपा, कांग्रेस और सपा का एक बार फिर से सियासी गठबंधन हो सकता है। हालांकि तीनों पार्टियों ने इसे लेकर अभी कोई पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन कहा यही जा रहा है कि अगले आठ दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश में गठबंधन को लेकर एक बड़ा सियासी उलटफेर हो सकता है। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि प्रियंका गांधी और मायावती की लोकसभा चुनाव में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर टेलीफोन पर बातचीत भी हो चुकी है। यह बातचीत सोनिया गांधी की पहल पर शुरू की गई है। वहीं एक चर्चा इस बात की भी हो रही है कि कांग्रेस मायावती को बतौर प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर भी प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर सकती है। हालांकि कहा यही जा रहा है कि अगर सब कुछ तय योजना से ही चला, तो जल्द ही सपा, बसपा और कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से साथ में मैदान में उतरेंगी।

सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या उत्तर प्रदेश में मायावती INDIA गठबंधन में साथ आएंगी या नहीं। सूत्रों की मानें कांग्रेस अभी भी इस प्रयास में है कि उनके इस गठबंधन में मायावती साथ रहें। हालांकि न तो मायावती और न ही कांग्रेस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक जानकारी साझा की गई है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक INDIA गठबंधन में शामिल करने के लिए कांग्रेस और बसपा के नेताओं के बीच तीन दौर की महत्वपूर्ण बातचीत हो चुकी है। सियासी जानकारों का कहना है प्रियंका गांधी और मायावती के बीच में आपसी सामंजस्यता है। इसी वजह से प्रियंका गांधी और मायावती के बीच पिछले साल सितंबर में भी उत्तर प्रदेश की सियासत को लेकर चर्चा हुई थी। सूत्रों की मानें तो इस लोकसभा चुनाव में भी प्रियंका और मायावती की टेलीफोन पर बातचीत हुई है।

बताया यही जा रहा है कि इस बातचीत के दौरान मायावती को गठबंधन के साथ आकर चुनाव लड़ने के लिए राजी किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि बहुत हद तक बातचीत सकारात्मक तरीके से चल रही है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं के साथ हुई बातचीत में सीटों के बंटवारे को लेकर भी चर्चा हुई थी। सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी, मायावती से गठबंधन के पक्ष में सबसे ज्यादा हैं। उनकी पहल पर ही प्रियंका गांधी ने इस बातचीत को आगे बढ़ाया है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस दलित चेहरे को बतौर प्रधानमंत्री आगे रखना चाहती है। इसमें एक नाम मल्लिकार्जुन खरगे और दूसरा नाम मायावती का आगे रखा जा रहा है। हालांकि इस मामले में अभी गठबंधन के अन्य घटक दलों को लेकर भी भरोसे में लेने की कवायद भी चल रही है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मायावती 25 सीटों पर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ सकती हैं।

गठबंधन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अगर सब कुछ योजना के मुताबिक ही चला, तो अगले आठ दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश में INDIA गठबंधन को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आ सकता है। कहा यही जा रहा है कि चुनाव की अधिसूचना लगते ही गठबंधन में बहुजन समाज पार्टी शामिल हो सकती है। हालांकि बहुजन समाज पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि जब तक आधिकारिक तौर पर कोई फैसला मायावती की ओर से नहीं लिया जाता, तब तक इस संबंध में कुछ भी कहना कठिन है।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो बहुजन समाज पार्टी को INDIA गठबंधन का हिस्सा बनाने की बातचीत के चलते ही समाजवादी पार्टी की बाकी सीटें भी घोषित नहीं की जा रही हैं। समाजवादी पार्टी की ओर से 20 फरवरी के बाद कोई भी सीट घोषित नहीं की गई है। ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे हैं कि गठबंधन में मायावती की एंट्री होने वाली है। राजनीतिक विश्लेषक नरेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि सियासी नजरिए से सपा, बसपा और कांग्रेस का गठजोड़ उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण हो सकता है। उनका मानना है कि अगर ऐसा होता है कि बसपा गठबंधन में आकर चुनाव लड़ती है, तो उत्तर प्रदेश में सियासी लड़ाई रोचक हो सकती है। कुशवाहा कहते हैं कि यह बात कांग्रेस को भी भली भांति पता है कि अगर बहुजन समाज पार्टी उनके साथ आती है, तो मुस्लिम और दलितों का बटने वाला वोट गठबंधन के हिस्से आ सकता है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुरुआती दौर में यह कहकर सियासी आगाज किया था कि इस लोकसभा चुनाव में उनका गठबंधन किसी से नहीं होगा। लेकिन जिस तरह हरियाणा और उसके बाद तेलंगाना में बीआरएस के साथ गठबंधन हुआ है, उससे कयास यही लगाए जा रहे हैं कि संभव है मायावती उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान में ताल ठोंकने के लिए आ जाएं। राजनीतिक जानकार नरेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि बहुजन समाज पार्टी को इस बात का अंदाजा है कि 2014 और 2019 के चुनाव में पार्टी ने किस तरह और किन परिस्थितियों में अपना प्रदर्शन दिखाया था। यही वजह है कि मायावती चुनाव में सीट जीतने के लिहाज से गठबंधन का रास्ता खुला रख रही हैं। कुशवाहा कहते हैं कि हरियाणा और तेलंगाना में बीआरएस के साथ हुआ गठबंधन इस बात का गवाह है कि अभी बीएसपी के अन्य दलों से गठबंधन की संभावनाएं बरकरार हैं।

INDIA गठबंधन में शामिल करने के लिए मायावती से चल रही है बात : रिपोर्ट

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बसपा में उत्तर प्रदेश में सीटों के तालमेल की गुंजाइश अभी बची है। कानपुर में भाजपा के नेता श्याम बिहारी मिश्र के यहां एक पारिवारिक समारोह में बसपा के दूसरे नंबर पर गिने जाने वाले नेता ने इसके संकेत दिए थे। लखनऊ के सूत्र बताते हैं कि स्थिति की गंभीरता को देखकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व्यवहारिक राजनीति को मजबूती दे रहे हैं। माना जा रहा है कि तालमेल हुआ तो 25-28 सीटें बसपा के खाते में जा सकती हैं।

कांग्रेस से बेहतर तालमेल रखने वाले एक राजनीतिक सूत्र के मुताबिक समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता ने बसपा के रणनीतिकार को 18 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। इनमें से 10 सीटें ऐसी हैं, जहां बसपा की स्थिति गठबंधन होने की दशा में बहुत मजबूत रहेंगी। 08 सीटें ऐसी हैं, जहां बसपा का उम्मीदवार कड़ी टक्कर के साथ सीट निकाल सकता है। हालांकि सूत्र का कहना है कि बसपा की उम्मीदें करीब ढाई दर्जन सीटों पर टिकी हैं। ऐसे संकेत हैं कि 10-15 मार्च के बीच में लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का इस्तेमाल हो सकता है। इसी को आधार बनाकर बसपा के एक बड़े नेता ने तीन-चार दिन पहले अमर उजाला संवाददाता को मायावती द्वारा बड़ा निर्णय लिए जाने की जानकारी दी थी। बसपा के नेता कहते हैं कि सबकुछ ठीक रहा तो 2024 की बाजी पलटते देर नहीं लगेगी। लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

मायावती कर चुकी हैं अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा

बसपा-सपा और कांग्रेस के बीच उत्तर प्रदेश में मिलकर लोकसभा चुनाव लडऩे की उम्मीद को बसपा प्रमुख मायावती पहले ही खारिज कर चुकी हैं। मायावती ने घोषणा करते हुए कहा था कि उनकी पार्टी किसी भी दल से चुनावी तालमेल नहीं करेगी। बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी। वैसे हर बार चुनाव को लेकर सबसे पहले उम्मीदवार की घोषणा करने वाली मायावती ने इस बार अभी तक ऐसा नहीं किया है। मायावती का अभी तक उम्मीदवार घोषित न करना भी तमाम तरह की संभावनाओं को बल दे रहा है। दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने भी जौनपुर समेत तमाम संसदीय सीटों से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। पार्टी के नेता संजय लाठर कहते हैं कि हमारे उम्मीदवारों की सूची फाइनल है। यह घोषणा कभी भी हो सकती है। कांग्रेस ने भी अभी तक उम्मीदवारों की स्थिति को साफ नहीं किया है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी कहते हैं कि हमारे उम्मीदवारों की घोषणा कभी भी हो सकती है। कांग्रेस का प्रत्याशी चयन को लेकर होमवर्क पूरा हो चुका है। लेकिन समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों दलों ने इस बार तालमेल को गहराई देने के लिए उम्मीदवारों की जानकारी एक दूसरे को देने की निष्ठा जताई है। सूत्र बताते हैं कि इसकी आपस में सहमति है कि यदि किसी दल के पास किसी सीट पर जिताऊ उम्मीदवार है, तो चर्चा करके उस सीट की अदला-बदली की जा सकती है। ताकि INDIA गठबंधन के उम्मीदवार अधिक संख्या में चुनाव जीत सकें।

लक्ष्य 80 में से 45 सीट जीतने का

समाजवादी पार्टी ने लखनऊ समेत तमाम लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है, लेकिन इसमें से कई के बदले जाने की संभावना है। पार्टी के भीतर इसका होमवर्क चल रहा है। हर सीट की बारीकी से पड़ताल हो रही है। कह सकते हैं कि मजबूत उम्मीदवार की संभावना तलाशी जा रही है। यही स्थिति कांग्रेस की है। कांग्रेस ने पहले समाजवादी पार्टी से 25 सीटें मांगी थीं। समझौते में अभी कांग्रेस के खाते में 17 सीटों को देने की घोषणा हुई है, लेकिन इन 17 सीटों का उम्मीदवार देने में कांग्रेस को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। लेकिन दोनों ही दलों के रणनीतिकारों का कहना है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने दीजिए। एक पूर्व मंत्री कहते हैं कि हमारा लक्ष्य मिलकर 80 में से उत्तर प्रदेश 45 सीटें जीतने का है। सबकुछ ठीक रहा तो ऐसा होने का राजनीतिक माहौल भी बनेगा और ऐसा होगा भी। बस इंतजार कीजिए। अभी तो कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं। इसका समापन होने दीजिए। कांग्रेस के नेता के इस संकेत में कोई संदेश छिपा है। संभव है कि वह उत्तर प्रदेश में INDIA गठबंधन के तालमेल से जुड़ा हो।