बैंकिंग सिस्टम के कभी टॉप मैनेजमेंट में काम करने वाले भोपाल के प्रतीक और प्रतीक्षा आज ऑर्गेनिक खेती के भी मास्टर हो चुके हैं. 10 साल बैंकिंग सेक्टर में काम करने के बाद दोनों पति-पत्नी ने नौकरी छोड़ जैविक खेती की शुरुआत की.अब वह इससे उन्होंने बढ़िया मुनाफा कमाने लगे हैं. प्रतीक की मानें तो 2 हज़ार किसानों से जुड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है.
प्रतीक कहते हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग ट्रेडिशनल फार्मिंग से थोड़ी ज्यादा महंगी होती है. किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग करने से इसलिए बचता था क्योंकि उसकी पहुंच सीधे ग्राहक तक नहीं थी. उसे नहीं पता था कि ऑर्गेनिक सब्जियों को कहां बेचना है. बिचौलिए उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा रख लेते थे. यही वजह है कि किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग में इंटरेस्ट नहीं ले रहे थे.