रिलीज से पहले से ही विवादों में घिरी फिल्म 72 हूरें का बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप शो जारी है. दो दिनों में फिल्म एक करोड़ का आंकड़ा भी नहीं छू सकी है. फिल्ममेकर्स की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है. फिल्म ने पहले दिन 35 लाख तो दूसरे दिन सिर्फ 45 लाख का कलेक्शन किया.
मुंबई : पिछले दिनों बॉक्स ऑफिस पर कई ऐसी फिल्में रिलीज हुईं, जिन्हें लेकर विाद देखने को मिले. फिर चाहे वह ‘द कश्मीर फाइल्स’ हो या फिर ‘द केरला स्टोरी’, इस फेहरिस्त में एक और नाम जुड़ा ’72 हूरें’ (72 Hoorain) का. जबसे इस फिल्म का ऐलान हुआ था, रिलीज होने तक फिल्म विवादों में घिरी रही. कभी किसी वजह से तो कभी किसी वजह से विवाद गहराते गए. मेकर्स को इस फिल्म से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन जैसे ही फिल्म रिलीज हुई दर्शकों ने इसे ठेंगा दिखा दिया. द केरला स्टोरी और द कश्मीर फाइल्स की तरह ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई. 72 हूरें का बॉक्स ऑफिस पर क्या हाल है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे रिलीज हुए दो दिन गुजर गए हैं और अब तक ये 1 करोड़ का आंकड़ा भी नहीं छू सकी है.
भारी विरोध के बाद फिल्म को टिकट विंडो में एंट्री मिली. पवन मल्होत्रा और आमिर बशीर के अभिनय से सजी ’72 हूरें’ रिलीज हो चुकी है. संजय पूरन सिंह चौहान के निर्देशन में बनी 72 हूरें पहले ही दिन बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ती नजर आई. ऐसे में हर कोई यह जानने को बेताब है कि वीकेएंड का फायदा इस फिल्म को मिला या नहीं. मतलब, शनिवार को बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का क्या हाल रहा.
संजय पूरन सिंह के निर्देशन में बनी ’72 हूरें’ के प्रोड्यूसर अशोक पंडित हैं. फिल्म का रिलीज से पहले खूब हो-हल्ला था, लेकिन पहले दिन फिल्म 35 लाख की कमाई पर सिमट गई. वहीं दूसरे दिन भी इसकी कमाई ठंडी ही रही. सैकनिल्क की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को ये फिल्म सिर्फ 45 लाख का बिजनेस ही कर पाई है. इस हिसाब से अगर देखा जाए तो ’72 हूरें’ दो दिन में सिर्फ 80 लाख ही कमा पाई है. यानी अब तक ये फिल्म 1 करोड़ का आंकड़ा नहीं छू पाई है.
हालांकि, हैरानी वाली बात ये है कि फिल्म को समीक्षकों और दर्शकों से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. दर्शकों ने इसे प्रोपेगेंडा रहित फिल्म बताया है, लेकिन इसके बाद भी संजय पूरन सिंह चौहान की फिल्म को कुछ खास रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है. फिल्म की कहानी की बात करें तो इसमें दिखाया गया है कि कैसे मासूमों का ब्रेनवॉश करके उन्हें आतंकवाद की दुनिया में धकेला जाता है. ये फिल्म आतकंवाद और आतंकवादी बनने के अलग-अलग मुद्दों को उठाती है. फिल्म दो ऐसे आतंकवादियों की कहानी है, जो मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया में बम धमाके को अंजाम देते हैं.