द्रौपदी मुर्मू के भाई तारिणीसेन टुडू कहते हैं कि द्रौपदी मुर्मू को खाने में सादा और वैजिटेरियन भोजन ही पसंद है। यहां तक कि द्रौपदी मुर्मू अपने खाने में प्याज और लहसुन का भी इस्तेमाल नहीं करती हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के गांव अपरबेड़ा में जश्न का माहौल है। ये जश्न बीते पांच दिन से जारी है। लोग पारंपरिक नाच-गाने के साथ मिठाइयां बांट रहे हैं। ‘द्रौपू दीदी’ के गांव वाले घर पर इतनी भीड़ है कि एक दूसरे की आवाज नहीं सुनाई पड़ रही है। ऐसे व्यस्त माहौल में द्रौपदी मुर्मू के छोटे भाई तारणीसेन टुडू ने अमर उजाला डॉट कॉम से फोन पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि एक बार दीदी राष्ट्रपति बन गईं हैं, अब हम सब राष्ट्रपति भवन देखने आएंगे। पेश हैं बातचीत के अंश।
पूरे गांव में जश्न का माहौल
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से तकरीबन ढाई सौ किलोमीटर दूर मयूरभंज जिला पड़ता है। इसी जिले में एक गांव है अपरबेड़ा। इसी आदिवासी बाहुल्य इलाके से जुड़ी एक महिला देश कि राष्ट्रपति बनी है। द्रौपदी मुर्मू के भाई तारिणीसेन टुडू ने अमर उजाला डॉट कॉम से बातचीत में कहते हैं कि पूरे गांव में जश्न का माहौल है। दीदी के चाहने वालों का पूरा हुजूम उमड़ा हुआ है। गुरुवार की सुबह से ही उनके गांव में पारंपरिक नृत्य और पारंपरिक भोज का दौर चल रहा है।
दीदी नॉनवेज तो बहुत दूर प्याज लहसुन तक नहीं खाती
द्रौपदी मुर्मू के भाई तारिणीसेन टुडू कहते हैं कि द्रौपदी मुर्मू को खाने में सादा और वैजिटेरियन भोजन ही पसंद है। यहां तक कि द्रौपदी मुर्मू अपने खाने में प्याज और लहसुन का भी इस्तेमाल नहीं करती हैं। वह कहते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में पलने बढ़ने वाले पूरे परिवार का उनकी दीदी द्रौपदी मुर्मू बहुत ख्याल रखती हैं।
रिणीसेन कहते हैं परिवार में सबसे बड़ी अब उनकी दीदी द्रौपदी हैं। वह कहते हैं कि उनके एक बड़े भाई भी थे। लेकिन उनकी मृत्यु हो गई। उनके परिवार की पूरी जिम्मेदारी दीदी पर ही है। हालांकि उनका कहना है कि जब से वह राजनीतिक जीवन में आई हैं तब से वह अपने क्षेत्र और इलाके की जनता के साथ परिवार की तरह ही पेश आती हैं। और राष्ट्रपति बनने के बाद उनका शुरुआत से चला आ रहा अपनेपन का व्यवहार और प्यार निश्चित तौर पर देश की जनता को मिलेगा।
वे बताते हैं कि दीदी ने बचपन से ही अपने पूरे परिवार को एक डोर में बांधकर रखा है। मां और पिताजी की मौत के बाद से द्रौपदी दीदी ने पूरे परिवार को मां और पिता जी का प्यार दिया। यही वजह है कि उनके बड़े भाई की मृत्यु के बाद भाभी और उनके दो बच्चों समेत पूरे परिवार को दीदी एक डोर में सबको पिरोकर चलती हैं। वे कहते हैं हालांकि दीदी का जीवन बहुत ही व्यस्तताओं भरा है। बावजूद इसके वह अपने परिवार और जनता के बीच सामंजस्य स्थापित कर सबको साथ लेकर चलती हैं।
राष्ट्रपति भवन देखने की ख्वाहिश
द्रोपदी मुर्मू के भाई कहते हैं कि वैसे तो उनका पूरा परिवार गांव में ही रहता है और वहीं खेती-बाड़ी का काम देखता है। तारिणीसेन कहते हैं कि वह एक बार संसद भवन और लालकिला देख चुके हैं, लेकिन अब उनकी ख्वाहिश राष्ट्रपति भवन देखने की है। उनका कहना है सिर्फ उनकी ही नहीं बल्कि गांव और रायरंगपुर जैसे टाउन में उनसे जुड़े हुए सैकड़ों लोगों की यही ख्वाहिश है कि सभी लोग राष्ट्रपति भवन देखने जाएं।
वे कहते हैं कि उन्होंने सुना है कि राष्ट्रपति भवन बहुत बड़ा है लेकिन आज तक कभी उन्होंने देखा नहीं है। गांव और कस्बे के लोग दीदी से राष्ट्रपति भवन में उनसे मिलने और उसे देखने की गुजारिश जरूर करेंगे। उनका कहना है कि पूरा गांव और रायरंगपुर कस्बे से जुड़े हुए लोग उन्हें दीदी कह कर बुलाते हैं।
द्रौपदी मुर्मू की भाभी शत्रोमणि टूडू कहती हैं कि दीदी के राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी बनने की खबर उन्हें अखबारों के माध्यम से ही पता चली थी। जैसे ही पता चला कि वह प्रत्याशी बनी हैं उसी समय लोगों ने उनके घर आकर बधाइयां देनी शुरू कर दी थीं।
द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बनने के बाद उनसे क्या उम्मीदें है? इस सवाल पर उनकी भाभी कहती हैं कि दीदी को सब पता है। उनसे कोई भी ऐसी चीज छुपी नहीं है, जो उनके संज्ञान में न हो। शत्रोमणि टुडू कहती हैं कि वह तो बस वक्त का इंतजार कर रही हैं कि जैसे ही वह दीदी से मिलेंगी तो उन्हें अपने हाथ का बना हुआ शाकाहारी भोजन परोसेंगी।