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Digestion की समस्या रेग्यूलर होने लगे तो कैंसर को दावत दे सकता है, ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) के लक्षण इस प्रकार हैं!

डायजेशन की समस्या अगर कभी-कभी हो, तो घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर परेशानी कभी-कभी से रोजाना होने लगे तो समस्या बढ़ सकती है। अगर डायजेशन (Digestion) की समस्या रेग्यूलर होने लगे, तो शारीरिक और मानसिक दोनों परेशानी बढ़ जाती है। इसलिए आज इस आर्टिकल में ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) से जुड़ी पूरी जानकारी हम आपके लिए लेकर आएं हैं।

ऐसोफैजाइटिस क्या है?
ऐसोफैजाइटिस के अलग-अलग प्रकार क्या हैं?
ऐसोफैजाइटिस के लक्षण क्या हैं?
ऐसोफैजाइटिस के रिस्क फैक्टर क्या हैं?
ऐसोफैजाइटिस का निदान कैसे किया जाता है?
ऐसोफैजाइटिस का इलाज कैसे किया जाता है?
चलिए अब इन सभी सवालों का जवाब एक-एक कर जानते हैं।

ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) क्या है?
एसोफैगस में सूजन या जलन जैसी समस्या ऐसोफैजाइटिस कहलाती है। अगर इसे सामान्य शब्दों में समझें, तो एसोफैगस एक नली है, जो मुंह से पेट तक जाती है। यही नली जिन खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों का हम सेवन करते हैं, उसे पेट तक पहुंचाने का काम करती है। ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) की स्थिति कई कारणों से बनती है। जैसे किसी दवाओं (Medications) का साइड इफेक्ट्स, बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial infections), वायरल इंफेक्शन (Viral infections) या एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) के कारण ऐसोफैजाइटिस की समस्या शुरू हो सकती है। ऐसी स्थिति होने पर व्यक्ति को खाना निगलने में परेशानी होती है, गले में खराश (Sore throat) या सीने में जलन (Heartburn) जैसी समस्या हो सकती है। ऐसोफैजाइटिस की समस्या अलग-अलग तरह की होती है और ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) के प्रकार को समझकर और पेशेंट के हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर इलाज किया जाता है।

ऐसोफैजाइटिस के अलग-अलग प्रकार क्या हैं? (Types of Esophagitis)
ऐसोफैजाइटिस 4 अलग-अलग तरह के होते हैं। जैसे:

इओसिनोफिलिक ऐसोफैजाइटिस (Eosinophilic esophagitis)
रिफ्लक्स ऐसोफैजाइटिस (Reflux esophagitis)
ड्रग-इंड्यूस्ड ऐसोफैजाइटिस (Drug-induced esophagitis)
इनफेक्शियस ऐसोफैजाइटिस (Infectious esophagitis)
ऐसोफैजाइटिस के इन चारों प्रकारों के समझने की कोशिश करते हैं।

1. इओसिनोफिलिक ऐसोफैजाइटिस (Eosinophilic esophagitis)- किसी ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन, जिससे व्यक्ति को एलर्जी (Allergy) की समस्या होती है। वहीं बच्चों में भी इओसिनोफिलिक ऐसोफैजाइटिस की भी समस्या देखी जाती है। बॉस्टन चिल्ड्रेनस हॉस्पिटल (Boston Children’s Hospital) द्वारा जारी किये गए रिपोर्ट्स के अनुसार तकरीबन 10,000 में से 1 बच्चे को इओसिनोफिलिक ऐसोफैजाइटिस की समस्या होती है। ऐसे बच्चों को दूध, सोया, अंडा, गेंहू, मूंगफली, ट्री नट्स, शेलफिश के सेवन से ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) की समस्या शुरू हो जाती है। वहीं मौसम के बदलाव के कारण भी इओसिनोफिलिक ऐसोफैजाइटिस (Eosinophilic esophagitis) की समस्या हो सकती है।

2. रिफ्लक्स ऐसोफैजाइटिस (Reflux esophagitis)- रिफ्लक्स एसोफैगिटिस विशेष रूप से गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (gastroesophageal reflux disease) के कारण होने वाली परेशानी है। दरअसल जिन लोगों को हफ्ते में बार-बार एसिड रिफलक्स (Acid reflux) की समस्या होती है, उन्हें GERD यानी गैस्ट्रोएसोफाजाल रिफ्लक्स डिजीज होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति होने पर ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) में जलन और सूजन जैसी तकलीफ अत्यधिक शुरू हो जाती है, जो धीरे-धीरे रिफ्लक्स ऐसोफैजाइटिस (Reflux esophagitis) का रूप ले लेती है।

3. ड्रग-इंड्यूस्ड ऐसोफैजाइटिस (Drug-induced esophagitis)– दवाओं के सेवन के बाद पानी कम पीना इसका मुख्य कारण माना जाता है। अगर ध्यान दें, तो प्रायः लोग दर्द की दवा (Pain relievers), एंटीबायोटिक्स (Antibiotics), पोटैशियम क्लोराइड (Potassium chloride) या फिर बिस्फोस्फोनेट्स (Bisphosphonates) जैसी दवाओं का सेवन करने वाले लोगों में ड्रग-इंड्यूस्ड ऐसोफैजाइटिस की समस्या देखी जाती है।

4. इनफेक्शियस ऐसोफैजाइटिस (Infectious esophagitis)- यह काफी रेयर ऐसोफैजाइटिस का प्रकार है। इनफेक्शियस ऐसोफैजाइटिस बैक्टीरिया (Bacteria), वायरस (Virus), फंगस (Fungus) या पैरासाइट्स (Parasites) से होने वाली बीमारी है। जिन लोगों इम्यून सिस्टम (Immune system) कमजोर होता है, उनमें इनफेक्शियस ऐसोफैजाइटिस का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए अगर एचआईवी (HIV), एड्स (AIDS), कैंसर (Cancer) या डायबिटीज (Diabetes) के पेशेंट्स को ज्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए।

ऐसोफैजाइटिस के इन अलग-अलग प्रकारों को समझने के बाद अब इनके लक्षणों को समझना जरूरी है, क्योंकि अगर किसी शारीरिक परेशानी को शुरुआती दिनों में ही समझ लिया जाए, तो बीमारी को जल्द से जल्द खत्म करने में सहायता मिलती है।

ऐसोफैजाइटिस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Esophagitis)

ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) के लक्षण इस प्रकार हैं-

निगलने (Dysphagia) में परेशानी महसूस होना।
निगलने (Odynophagia) के दौरान दर्द होना।
गले में खराश (Sore throat) होना।
आवाज साफ नहीं (Hoarse voice) निकलना।
सीने में जलन (Heartburn) होना।
एसिड रिफलक्स (Acid reflux) की समस्या होना।

उल्टी (Vomiting) आना।
पेट दर्द (Epigastric abdominal pain) होना।
भूख (Appetite) नहीं लगाना।
कफ (Cough) होना।
इनमें से कोई भी लक्षण ऐसोफैजाइटिस के हो सकते हैं। इसलिए इन लक्षणों को इग्नोर ना करें। वहीं छोटे बच्चों में ऐसोफैजाइटिस की समस्या देखी जा सकती है।

छोटे बच्चों में ऐसोफैजाइटिस लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:

बच्चे को सांस लेने में परेशानी महसूस होना।
सीने में दर्द (Chest pain) होना।
खाना नहीं खाना।
बच्चे को सिरदर्द, मसल्स पेन या बुखार होना।
अगर इन लक्षणों को इग्नोर किया जाए, तो परेशानी कम होने की बजाये बढ़ सकती है।

ऐसोफैजाइटिस के रिस्क फैक्टर क्या हैं? (Risk factor of Esophagitis)
ऐसोफैजाइटिस की समस्या निम्नलिखित कारणों से बढ़ सकती है। जैसे:

एचआईवी (HIV), एड्स (AIDS), कैंसर (Cancer), ल्यूकेमिया (Leukemia) या लिंफोमा (Lymphoma) या
डायबिटीज (Diabetes) के कारण कमजोर इम्यून सिस्टम होना।
हाइटल हर्निया (Hiatal hernia) की समस्या होना।
कीमोथेरिपी (Chemotherapy) करवाना।
सीने का रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy) करवाना।
सीने के आसपास सर्जरी (Surgery) करवाना।
ऑर्गेन ट्रांसप्लांट से बचाव के लिए दवाओं का सेवन करना।
ऑटो इम्यून डिजीज (Autoimmune diseases) के दवाओं का सेवन करना।
एस्प्रिन (Aspirin) और एंटी-इंफ्लामेटरी (Anti-inflammatory) दवाओं का सेवन करना।
बार-बार उल्टी (Chronic vomiting) होना।
शरीर का वजन (Obesity) जरूरत से ज्यादा होना।
एल्कोहॉल (Alcohol) एवं सिगरेट (Cigarette) का सेवन करना।
परिवार में एलर्जी (Allergies) या एसोफैगिटिस (Esophagitis) की समस्या होना।
रोग प्रतिरोधक (Immune system) क्षमता कमजोर होना।
ऐसोफैजाइटिस की समस्या इन ऊपर बताये कारणों की वजह से हो सकती है। इसलिए हेल्दी लाइफस्टइल मेंटेन करें।

नोट: ऊपर दी गई जानकारियों में दवाओं के सेवन से भी ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) की समस्या होना बताया गया है। इसलिए यह हमेशा ध्यान रखें कि डॉक्टर आपकी जितनी दवाओं के सेवन की सलाह दें, उतनी ही दवाओं का सेवन करें। डोज से ज्यादा और अपनी मर्जी से दवाओं का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। कई बार किसी बीमारी की वजह से प्रिस्क्राइब की गई दवाओं का सेवन बाद में भी करने लगते हैं, जो नहीं करना चाहिए। आप पहले डॉक्टर से सलाह लें और उन दवाओं का सेवन करें।

ऐसोफैजाइटिस का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Esophagitis)
ऐसोफैजाइटिस की स्थिति को समझने के लिए डॉक्टर पेशेंट से उनकी और फैमिली की मेडिकल हिस्ट्री पूछेंगे। पेशेंट के हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। जैसे:

एंडोस्कोपी (Endoscopy) और बायोप्सी (Biopsies)।
बेरियम एक्स-रे (Barium X-ray), जिसे अपर जीआई सीरीज (Upper GI series) भी कहते हैं।
एलर्जी टेस्टिंग (Allergy testing), इस दौरान स्किन टेस्ट की जाती है।
ये अलग-अलग टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है, वहीं कुछ टेस्ट की भी सलाह पेशेंट के हेल्थ कंडिशन के अनुसार करवाने की सलाह दी जा सकती है।

ऐसोफैजाइटिस का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Esophagitis)
ऐसोफैजाइटिस का इलाज करने से पहले डॉक्टर इसके टाइप को समझते हैं और फिर निम्नलिखित तरह से इलाज शुरू करते हैं। जैसे:

प्रिस्क्राइब की जाने वाली दवाएं-
एंटीवायरल (Antiviral)
एंटीफंगल (Antifungal)
एंटासिड (Antacids)
दर्द की दवा (Pain killer)
ओरल स्टेरॉइड्स (Oral steroids)
प्रोटॉन पंप इन्हीबिटर (PPI)

अगर फूड एलर्जी की वजह से ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) की समस्या होती है, तो पेशेंट को निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह नहीं दी जाती है। जैसे:

दूध (Milk)
सोया (Soy)
अंडा (Eggs)
गेंहू (Wheat)
मूंगफली (Peanuts)
ट्री नट्स (Tree nuts)
शेलफिश (Shellfish)
इन खाद्य या पेय पदार्थों के अलावा अन्य कहानी-पीने की चीजों की मनाही हो सकती है।

अगर वक्त पर ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) का इलाज शुरू नहीं किया गया तो एसोफैगस (Esophagus) और अन्य टिशू को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में एसोफैगल कैंसर (Esophageal cancer) या बैरेट के ऐसोफैजाइटिस (Barrett’s esophagus) का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है। इसलिए ऐसोफैजाइटिस के कारणों को समझकर और बेहतर इलाज से इस बीमारी से छुटकारा पाने की कोशिश करें।

अगर आप ऐसोफैजाइटिस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

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