आरटीआई आवेदक सौरव दास ने इस मुद्दे पर सूचना देने से इनकार करने के लिए सरकार के खिलाफ शिकायत के साथ आयोग का दरवाजा खटखटाया था। सौरव दास ने मार्च माह में आरटीआई दाखिल करके भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की खरीद पर डब्ल्यूएचओ द्वारा लगाए गए निलंबन की जानकारी मांगी थी।
केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आयोग ने यह नोटिस एक आरटीआई आवेदक द्वारा मांगी गई जानकारी देने से इनकार करने के लिए दिया है। आवेदक सौरव दास ने भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की खरीद पर डब्ल्यूएचओ द्वारा लगाए गए निलंबन की जानकारी पाने के लिए आरटीआई दाखिल की थी।
केंद्रीय सूचना आयोग ने नोटिस में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के सीपीआईओ सुशांत सरकार को यह बताने का निर्देश दिया है कि सूचना देने से इनकार करने पर उनके खिलाफ आरटीआई अधिनियम की धारा 20 के तहत दंडात्मक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए? दरअसल, आरटीआई आवेदक सौरव दास ने इस मुद्दे पर सूचना देने से इनकार करने के लिए सरकार के खिलाफ शिकायत के साथ आयोग का दरवाजा खटखटाया था। सौरव दास ने मार्च माह में आरटीआई दाखिल करके भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की खरीद पर डब्ल्यूएचओ द्वारा लगाए गए निलंबन की जानकारी मांगी थी।
उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत यह भी मांग की थी कि क्या भारत बायोटेक से कोई रिपोर्ट या स्पष्टीकरण मांगा गया था या सीडीएससीओ द्वारा भारत बायोटेक की वैक्सीन का कोई निरीक्षण किया गया था। इसके जवाब में सीडीएससीओ के सीपीआईओ सुशांत सरकार ने एक पंक्ति में जवाब दिया कि “ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।” इसके बाद दास ने सूचना से इनकार करने के लिए सीपीआईओ के खिलाफ अपनी शिकायत के साथ ही आरटीआई मामलों के लिए सर्वोच्च अपीलीय निकाय केंद्रीय सूचना आयोग से संपर्क किया।
गौरतलब है कि आरटीआई अधिनियम की धारा 20 के तहत, यदि केंद्रीय सूचना आयोग को विश्वास हो जाता है कि सूचना से इनकार करना अनुचित था और ये दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया था। ऐसी स्थिति में आयोग उस दिन से 250 रुपये का जुर्माना लगा सकता है, जिस दिन सूचना दी गई थी। ऐसे में अब सीपीआईओ के वेतन से 25,000 रुपये काटे जा सकते हैं।