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#Buddhism in the #Himalayas : उगते सूरज की भूमि #अरुणाचल के मोनपा और शेरडुकपेन….By – Mamta Singh

Mamta Singh
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Buddhism in the Himalayas
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अरुणाचल के मोनपा और शेरडुकपेन
उगते सूरज की भूमि कहे जाने वाले अरुणाचल प्रदेश का ज्यादातर इलाका हिमालय की गोद में बसा है। जो तिब्बत और भूटान की सीमा से सटा हुआ है। यही वजह है कि यहां बौद्ध धर्म की जड़ें मजबूत हैं। ईसा की 8वीं शताब्दी में हिमालय की पहाड़ियों पर बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ। बौद्ध दार्शनिक शिक्षक गुरू नागार्जुन और द्वितीय बुद्ध माने जाने वाले गुरु पद्मसंभव ने तिब्बत में इसका प्रचार कराया। गुरु पद्मसंभव ने आध्यात्मिक विश्वास और अध्ययन चिहनों की बुनियाद रखी। तिब्बत से होकर बौद्ध धर्म ने पुनः भारत में प्रवेश किया। अरूणाचल की पहाड़ियों और कामेंग जिले के विस्तृत इलाकों में मोनपा और शेरडुकपेन समुदाय पनपने लगा। इसलिए आज भी दोनों समुदायों के लोग प्रकृति के साथ साथ बौद्ध धर्म को भी मानते हैं। यही वजह है कि ये लोग अपने त्यौहारों के अलावा नए वर्ष का उत्सव-लोसर और बुद्ध पूर्णिमा पारंपरिक तरीके से पूर्ण आस्था के साथ मनाते हंै।


सदियों से शेरडुकपेन समुदाय के लोग बोमडिला के निचले इलाके खासकर रूपा घाटी में और मोनपा समुदाय के लोग बोमडिला के ऊंचाई वाले इलाकों में रहते आए हैं। गुरु पद्मसंभव ने जिस बौद्ध धर्म का प्रवर्तन किया, उसेे हिमालय बौद्धत्व की चार संप्रदायों में सबसे पुराना माना जाता है। बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में प्रतीकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जैसे बौद्ध मठों में दीवारों और गेट पर बौद्ध धर्म के आठ शुभ चिह्नों कलश, चक्र, मंत्र, छत्र, विजय, ध्वज, मत्स्य और कमल की आकृतियां उकेरी जाती हैं। प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल की वजह से इनकी सुंदरता और ताजगी आज भी नई जैसी ही लगती है। इन सब चीजों के इर्द गिर्द से गुजरते हुए यही लगता है कि बौद्ध के अनुयायी जानते हैं कि कला को कैसे जाग्रत और संस्कृति को कैसे जीवंत रखा जाता है।

साल 2019 में मैं लोकसभा टेलीविजन के वीकली डाक्यूमेंट्री ‘उभरता पूर्वोत्तर’ की शूटिंग के लिए कैमरामैन विनोद कुमार जी के साथ 17 दिनों के टूर पर अरुणाचल गई थी। उस दौरान पश्चिम कामेंग जिले में स्थित ऐतिहासिक विरासत गांव थेमबांग (thembang) जाने पर अवसर मिला। है। करीब डेढ़ हजार साल पुराना यह गांव, हिमालय क्षेत्र का एकमात्र किलाबंद गांव होने के साथ ही सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बैली ट्रैल रूट के आधार शिविर भी है। यहां बसने वाले मोनपा जनजातीय लोगों में बौद्ध धर्म के प्रति आस्था देखते ही बनती है। थेम्बांग के सफर में गांव के शिक्षित युवा और वर्ल्ड वाइड फंड यानी डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के सदस्य पेमा वान्गे हमारे मार्गदर्शक बने

क्या आपको पता है अरुणाचल के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. दोरजी खांडू और उनके सुपुत्र एवं अरुणाचल के मौजूदा मुख्यमंत्री पेमा खांडू (pema khandu) भी मोनपा समुदाय से ही हैं। कार्यक्रम में मध्य में उनसे भी मुलाकात हुई और उनसे कई मुद्दों पर बातचीत हुई। उन्होंने अरुणाचल को समझने में मेरा काफी मार्गदर्शन भी किया जिसके लिए मैं उनकी आभारी रहूंगी।
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