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BREAKING : #Israel ने अपने ही 13 सैनिक मार गिराये : आज हमास ने 11 और इस्राईली सैनिकों को मार गिराया : रिपोर्ट @misra_amaresh

@Misra_Amaresh
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#Israel ने अपने 13 #IDF सैनिक मार गिराये!
युद्ध मे friendly fire होता है। लेकिन जो कारण #Israel ने दिये हैं, वो खतरनाक हैं। सबसे पहले, इन्हे ‘आतंकवादी’ कह कर मारा गया! मतलब ‘#Hamas आतंकवादी है’ यह इतनी बार कहा गया है, कि #Israeli बीमार मानसिकता का शिकार हो गये हैं। उनको अपने लोग, अपने घरवाले, अपने नागरिक सब आतंकवादी दिखाई देते हैं। #WestBank मे जब #Hamas ने एक हमला किया, तो एक इजराइली सुरक्षाकर्मी ने ऐसे इजराइली नागरिक को गोली मार दी जिसने Hamas पर गोली चलाई थी! वो नागरिक सुरक्षाकर्मीयों के आगे गिड़गिड़ाता रहा कि मुझे मत मारो, मैने तुम्हारी मदद की, हमास को मारा, मुझे मत मारो! पर सुरक्षाकर्मी Hamas के हमले से इतना सकते मे थे कि उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। और वहीं, सबके सामने, दिनदहाड़े अपने ही बिलखते नागरिक, जो इजराइली नजरिये से ‘हीरो’ होना चाहिए, उसको आतंकवादी कह कर गोली मार दी! यही होता है जब सत्ता इतनी नफरत भर देती है, इजराइलीयों को #GazaGenocide को celebrate करने के लिये कहती है, कि इंसान जिससे यह सब कहा जाता है, उसके सामने पागल होने के सिवाय, कोई चारा नही है! इजराइली समाज इतना बीमार हो गया है कि इसका नष्ट होना जरुरी है!

@Misra_Amaresh
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#WestBank मे #Palestinian resistance के #IDF पर बड़े हमले के कुछ घंटे पहले ही #Netanyahu ने कहा था कि उसका विश्वास Oslo Peace Accords मे भी नही है। मतलब #Israel जो थोड़ी-बहुत Palestinian Authority को चलने देता था, उस नीति मे बदलाव आ सकता है। ये बहुत बड़ी बात है! मतलब #Israeli सरकार UNO, अंतर्राष्ट्रीय जनमत और यहां तक की #America के खिलाफ जा कर, Oslo Accords भंग कर देगा? एक तरह से अच्छा है! उदारवाद का भ्रम तो टूटा! अब सशस्त्र संघर्ष, #Hamas का रास्ता, ही सही है!

@Misra_Amaresh
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BREAKING! #Palestinian RESISTANCE BLASTS #IDF IN #WestBank!

#Gaza के अलावा West Bank, प्रतिरोध का गढ़ बनता जा रहा है! आज #Jenin मे एक बड़ी IDF Unit को घात लगाकर resistance ने मारा है–ऐसा आधुनिक #Palestine के इतिहास मे नही हुआ!

@Misra_Amaresh
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BREAKING! #Hamas KILLS MORE #IDF SOLDIERS!

Khan Yunis, #Gaza के पूर्व में, Al Qassam लड़ाकों ने 10 #Israeli
सैनिकों के पैदल सेना बल के खिलाफ दो Radia Television विस्फोट devices चला दिये। इससे कई IDF soldiers मारे गये और कई घायल हैं!

@Misra_Amaresh
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BREAKING! #Hamas KILLS 11 #IDF
SOLDIERS!
आज Shujaiyya, #Gaza मे Al Qassam योद्धाओं ने Anti tank shells से 7 #Israeli सैन्य वाहनों, जिसमें एक “किंग – लीडर” टैंक और 3 सैनिकों के साथ एक पैदल सेना वाहक शामिल था, को नष्ट कर दिया! फिर एक Israeli Baz 3 टैंक पर हमला किया। उस टैंक की मदद को आये बचाव दल के सैनिकों से योद्धा भिड़ गए और कईयों को मार गिराया। इसके अतिरिक्त, RPG से एक स्नाइपर को निशाना बनाया और करीब से कई क्षेत्रों में दुश्मन पैदल सेना बलों के साथ भीषण लड़ाई में लगे रहे। उन्होंने सीधे तौर पर 11 ज़ायोनी सैनिकों को मारने और कुछ मृत सैनिकों के उपकरण और सामान जब्त करने के साथ-साथ और सैनिको के भी मारे जाने की पुष्टि की!

https://twitter.com/i/status/1734537586411032935

@Misra_Amaresh
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12-12-2023!
#Hamas, #Palestinian resistance की #Gaza, Shiek Radwan के उत्तर-पश्चिम में #IDF से भीषण झड़पें हुईं, जिसमें #Israeli हताहत और घायल हुए।
#KhanYunis मे घात लगा कर, IDF unit पर हमला किया, जिससे मोतें हुईं।
Gaza से #Israel के अंदर Sofa मे Mortar Shells बरसाये!

https://twitter.com/i/status/1734532060268929295

अम्मी कहाँ हैं, दादी अम्मा कहाँ हैं?

”अम्मी कहाँ हैं? दादी अम्मा कहाँ हैं? सब कहाँ हैं?”

नाज़ुक से शरीर पर बमबारी के ज़ख़्म लिए चार साल का बच्चा उमर ये सवाल ग़ज़ा के एक अस्पताल में पूछता है.

इस सवाल को सुनकर उमर के इकलौते ज़िंदा रिश्तेदार मोइन अबु रेज़क कहते हैं, ”जब उसने अपने परिवार के बारे में पूछा तो मैं जवाब नहीं दे पाया. मैंने गहरी सांस ली और बच्चों की तरह किसी दूसरे बारे में ही बात करके सवाल टालने की कोशिश की.”

ग़ज़ा के अल-अक़्सा अस्पताल में भर्ती उमर की हालत नाज़ुक है.

डॉक्टरों को उमर के बाएं हाथ को काटना पड़ा. उमर के दाएं पैर में अब भी ज़ख़्म है.

सीने और चेहरे पर भी ज़ख़्म हैं. उमर का जबड़ा चोटिल है और छोटे से शरीर पर काफ़ी सारी पट्टियां बंधी हुई हैं.

ये चोटें उस इसराइली हमले के बाद उमर को लगी हैं, जिसमें उमर के परिवार के 35 लोगों की जान चली गई. मरने वालों में उमर की मां, पिता और दादी भी शामिल हैं.

उमर को है घरवालों का इंतज़ार

उमर के रिश्तेदार मोईन ने तय किया है कि इस बच्चे को इन मौतों के बारे में ना बताया जाए ताकि उसकी हालत कहीं और ना बिगड़ जाए.

फ़िलहाल उमर को मिस्र के रास्ते ग़ज़ा से बाहर निकालने की कोशिश हो रही है.

ऐसी पहल यूएई सरकार और रेड क्रिसेंट सोसाइटी की ओर से शुरू की गई है.

मोईन ने बीबीसी अरबी को बताया, ”उमर को घरवालों की मौत की बात ऐसे बतानी होगी ताकि उसे सदमा ना पहुँचे. या वो किसी ऐसी स्थिति में ना पहुँच जाए, जिस पर मैं काबू नहीं पा सकता.”

बीबीसी अरबी को भेजे कई वॉइस नोट के ज़रिए मोईन ये बातें बताते हैं.

वो कहते हैं- उमर जानता है कि उसने अपने घरवालों को नहीं देखा है और वो पूछता है- अम्मी कहाँ हैं, दादी कहाँ हैं, ये लोग कहाँ गए?

मोईन को उमर के लिए मेडिकल मदद मिलने की उम्मीद है लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि उमर को एंबुलेंस से मिस्र के बॉर्डर तक ले जाया जाएगा. ऐसा इसलिए भी क्योंकि सेंट्रल ग़ज़ा में काफ़ी बमबारी हो रही है.

इसराइली सेना ने ग़ज़ा को दो टुकड़ों में बाँट दिया है.

टैंक और सैनिक अब दक्षिणी शहर ख़ान युनूस की तरफ़ बढ़ रहे हैं.

दीर अल-बालाह के मुख्य हाईवे को युद्ध का मैदान घोषित कर दिया गया. इस कारण यहां फँसे लोगों के पास बाहर निकलने के रास्ते कम ही हैं.

उत्तरी ग़ज़ा का हाल
उत्तरी ग़ज़ा में रह रहे काफ़ी फ़लस्तीनियों ने मिडिल एरिया में शरण मांगी है. इसराइली सेना ने इन लोगों को ये इलाक़ा ख़ाली करने को कहा था और दक्षिण की ओर बढ़ने के लिए बोला था.

ये आदेश युद्ध की शुरुआत में आया था.

ये युद्ध सात अक्तूबर को इसराइल पर हमास के किए हमले के बाद शुरू हुआ है. हमास के हमले में क़रीब 1200 लोगों की जान गई है. वहीं 240 लोगों को बंधक बनाया गया था.

इसके जवाब में इसराइल के किए हमलों में अब तक 18 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. चार साल का उमर उन 49 हज़ार लोगों में से एक है, जो इसराइली हमलों में घायल हुए हैं.

इसराइल का कहना है कि उसकी सेना हमास के चरमपंथियों को निशाना बना रही है. इनमें चरमपंथियों के ठिकाने भी शामिल हैं.

इसराइल के मुताबिक़, युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 22 हज़ार से ज़्यादा लक्ष्यों को निशाना बनाया गया है.

जब उमर के परिवार पर हुआ हमला
बीबीसी अरबी से मोईन ने बताया कि उमर और उसका परिवार दीर अल-बालाह से उत्तर में नुसरत कैंप में दादी के घर गया हुआ था.

जब उमर का परिवार यहाँ मौजूद था, तब बिना किसी चेतावनी के इसराइल ने हमला किया और लोग मारे गए.

मोईन कहते हैं, ”हमने इस तरह की कोई मिसाइल कभी नहीं देखी थी. मिसाइल गिरी और पूरे इलाक़े को तबाह कर दिया. किस्मत से घर का एक हिस्सा खुला हुआ था, जिससे उमर नीचे गिरा. लेकिन उसका बांया हाथ इस कदर चोटिल हुआ कि उसे फौरन काटना पड़ा.”

वो बताते हैं, ”शनिवार को उमर का तीन यूनिट ख़ून बह गया था. उसका हिमोग्लोबिन भी 7.4 पर आ गया. ख़ून चढ़ाने के लिए उमर की सर्जरी की गई.”

मोईन बताते हैं कि अस्पताल में हालत काफ़ी ख़राब थी, उमर की हालत इतनी नाज़ुक होने के बाद भी उन्हें उसके लिए बेड नहीं मिल पा रहा था. इस वजह से अस्पताल के गलियारे में ही डॉक्टर्स और नर्सों ने उमर का इलाज किया.

वो कहते हैं, ”इलाज में लगने वाले ज़रूरी सामान सीमित हैं. अस्पतालों में पेन किलर नहीं हैं तो चुटकुले सुनाकर हँसाने की कोशिश की जाती है ताकि दर्द से ध्यान हटाया जा सके.”

मोईन बोले- ये तरीका कुछ ही बार काम करता है लेकिन हमारे पास कोई और तरीका नहीं है.

मोईन को उम्मीद है कि उमर को अलग गुरुवार तक रफाह बॉर्डर के पास ले जाया जा सकेगा, जहां से वो मिस्र के अस्पताल में इलाज के लिए जा सकेगा.

एक बुरा सपना…
इसराइल की बमबारी में बचने वालों में लीना शाकोरा, उनके पति और तीन बच्चे भी शामिल हैं.

वो कहती हैं- हम अब भी एक बुरा सपना जी रहे हैं.

लीना ग़ज़ा शहर के शेख रादवान से भागकर दीर अल-बालाह के कृषि इलाके के एक घर में रह रही हैं.

लीना बीबीसी अरबी से कहती हैं- हम हर सुबह उठकर ये याद रखते हैं कि हम युद्ध में हैं. लोग भूखों मर रहे हैं. आपको आपके घर से निकाल देना प्रताड़ना है. पेट भरने के लिए खाना तक नहीं है.

वो कहती हैं, ”मेरा परिवार और 40 दूसरे लोग एक कमरे में हैं. इस कमरे की खिड़कियां धमाके में टूट गई हैं. एक तरह से मानिए कि हम खुले में बैठे हैं. बहुत सर्द है और लोग परेशान हैं.”

लीना कहती हैं कि उनके बेटों की पीठ में दर्द है क्योंकि वो पानी के गैलन को ढोकर थक गए हैं. ये पानी तक गंदा है क्योंकि तेल की कमी से वॉटर प्लांट काम नहीं कर रहे हैं. परिवार घटिया खाना खाने को मजबूर है.

वो बताती हैं- हमारी सबसे बड़ी उम्मीद है कि हमें आटा मिल जाए ताकि हम कुछ बना सकें, अपना पेट भर सकें.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वो रफाह के बाहर सामग्री मुहैया करवा पाने में असमर्थ हैं.

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डेविड ग्रिटेन
पदनाम,बीबीसी न्यूज़

फ़िलिस्तीन का समर्थन करने पर पड़ी मार

कनाडा में फ़िलिस्तीन का समर्थन करने वालों पर पुलिस ने हमला कर दिया।

टोरंटो नगर में फ़िलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाने वाले प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने हमला करके उनको तितर-बितर कर दिया।

हमारे संवाददाता के अनुसार कनाडा के टोरंटो नगर में जब बहुत से लोग फ़िलिस्तीनियों का समर्थन कर रहे थे तो उनपर पुलिस की ओर से हमला किया गया। कुछ प्रदर्शनकारियों की पुलिस ने पिटाई भी की। यह प्रदर्शनकारी ग़ज़्ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम की मांग कर रहे थे जिनको पुलिस की हिंसा का सामना करना पड़ा।

फिलहाल न केवल कनाडा बल्कि दुनिया के बहुत से देशों में भी इस्राईल के विरोध और फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में प्रदर्शन किये जा रहे हैं। कुछ देशों में फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में प्रदर्शन करने पर रोक लगी हुई किंतु इसके बावजूद वहां पर लोग सड़कों पर निकलकर रैलियां कर रहे हैं। हालांकि इनको कई स्थानों पर सरकारी तंत्र के विरोध का सामना करना पड़ रहा है किंतु वे इस काम को रोक नहीं रहे हैं।

ज्ञात रहे कि हमास की ओर से आरंभ किये गए अलअक़सा तूफ़ान नामक आपरेशन को अब 70 दिन होने को आ रहे हैं लेकिन फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में प्रदर्शनों और रैलियों का सिलसिला कम होने का नाम नहीं ले रहा है।

कुछ देशों में तो इस काम पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है और एसा करने वालों के लिए दंड निर्धारित किया गया है।

नेतनयाहू को अपने पद से हटना होगाः लापीद

अवैध ज़ायोनी शासन की संसद में विपक्ष के नेता ने कहा है कि नेतनयाहू को फौरन इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।

याईर लापीद ने क्नेसेट में इस बात के लिए नेतनयाहू की कड़ी आलोचना की है कि वह अपनी पराजय को स्वीकार नहीं कर रहा है।इसीलिए वे नेतनयाहू के त्यागपत्र की मांग कर रहे हैं।

उनक कहना था कि नेतनयाहू युद्ध कर रहा है और हमको हर दिन अपने सैनिकों का सोग मनाना पड़ रहा है। ज़ायोनी शासन के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि नेतनयाहू की निरंकुशता अब सहन योग्य नहीं रही है।

लापीद के अनुसार हम तो इस समय युद्ध में व्यस्त हैं जबकि नेतनयाहू, एक दुष्ट राजनीतिक अभियान चला रहा है जिसके अन्तर्गत स्वयं को बचाना और दूसरों को इस आरोप में फंसाना है।

अवैध ज़ायोनी शासन की संसद में विपक्ष के नेता द्वारा नेतनयाहू से फौरन इस्तीफ़े की मांग के साथ ही यह बात भी सामने आई है कि वहां के 72 प्रतिशत लोग भी यही चाहते हैं।

ज़ायोनी शासन में कराए गए ताज़ा सर्वेक्षणों के अनुसार वहां के अधिकांश लोग नेतनयाहू के त्यागपत्र के इच्छुक हैं। तसनीम समाचार एजेन्सी के अनुसार ज़ायोनी शासन के चैनेल-13 ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वहां के 72 से अधिक लोग किसी भी सूरत में नेतनयाहू को अपने प्रधानमंत्री के रूप में देखना नहीं चाहते हैं।

इस सर्वेक्षण के अनुसार 31 प्रतिशत लोगों का तो यह कहना है कि नेतनयाहू को तत्काल अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।