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BREAKING : इसराइल ने जंगबंदी समझौते में फिर अड़ंगा लगाया : इसराइली सेना ने लाखों फ़लस्तीनियों को रफ़ाह छोड़ने का आदेश दिया : रिपोर्ट

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जॉर्डन की राजधानी क़ाहिरा में रुकावटों के बाद एक बार फिर से ग़ज़ा में जंगबंदी को लेकर वार्ता शुरू हुई थी, समझौते से पहले इसराइल ने अपनी सेना ग़ज़ा से बाहर निकालने से मुकर गया जिसके बाद एक बार फिर से ये समझौता अधर ही में लटक गया है, हमास की तरफ से इस बार काफ़ी लचीला रुख इख्तियार किया गया था, बता दें कि समझौते का पूरा मसौदा अमेरिका की रज़ामंदी से तैय्यार किया गया था, अमेरिका हर हाल में जंग बंदी करवाना चाहता है, एक वहां ऑक्टूबर में चुनाव हैं दूसरे अमेरिका की 100 से ज़्यादा यूनिवर्सिटिज़ में ग़ज़ा के पक्ष में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं

इसराइली सेना ने ग़ज़ा में पूर्वी रफ़ाह के अलग-अलग इलाक़ों में रहने वाले क़रीब एक लाख लोगों को अपना घर छोड़ने का आदेश दिया है.

सेना ने इसराइली सीमा के नज़दीक पूर्वी इलाकों में रह लोगों से ख़ान यूनिस और अल-मवासी जाने के लिए कहा है.

इसराइल दक्षिणी ग़ज़ा पर सुनियोजित हमला करने जा रहा है, जिसे देखते हुए यह चेतावनी दी गई है.

इसराइली सेना टेक्स्ट मैसेज, फ्लाइयर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को इलाक़ा छोड़ने के लिए चेतावनी देने की कोशिश कर रही है.

हमला कब होगा? फिलहाल इसे लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन इस चेतावनी के बाद लोगों ने अपने इलाकों को छोड़ना शुरू कर दिया है.

इसराइली सेना के मुताबिक़, पूर्वी रफाह से लोगों को चरणबद्ध तरीके से निकाला जाएगा. हालांकि रफाह में क़रीब 10 लाख से ज्यादा लोगों ने शरण ले रखी है.

कई महीनों से इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि जब तक रफाह में हमास के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर ऑपरेशन नहीं चलाया जाएगा, तब तक युद्ध में जीत हासिल नहीं की जा सकती.

इसराइल का आरोप है कि हमास के हज़ारों लड़ाके रफाह में छिपे हुए हैं और वे वहां से इसराइली सेना पर हमले कर रहे हैं.

कई मानवाधिकार संगठन इसराइल से रफ़ाह पर हमला नहीं करने की अपील कर चुके हैं.

मानवाधिकार संगठनों ने आशंका जताई है कि अगर इसराइल रफ़ाह पर हमला करता है तो हज़ारों लोगों की जान जा सकती है.


रफाह में ऑपरेशन से बंधकों की जान को खतरा
7 अक्टूबर को इसराइल पर हुए हमास के हमले में क़रीब 1200 लोग मारे गए थे, वहीं 250 से ज्यादा लोगों को हमास बंधक बनाकर ग़ज़ा ले गया था.

कुछ बंधकों को हमास ने रिहा किया है लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में इसराइली नागरिक हमास के क़ब्ज़े में हैं.

रफाह पर इसराइली ऑपरेशन को लेकर इन बंधकों के परिवार ने चिंता व्यक्त की है.

परिवार वालों का कहना है कि इस नए हमले से हमास के क़ब्ज़े में रह रहे उनके लोगों को नुकसान पहुंच सकता है.

7 अक्टूबर के हमले में गिल डिकमैन के कई रिश्तेदार मारे गए, जबकि उनके दो चचेरे भाइयों को हमास बंधक बनाकर ले गया था. हमास ने दो भाइयों में से एक को तो रिहा कर दिया है, लेकिन दूसरा अभी भी उनके कब्जे में है.

गिल डिकमैन ने कहा, “हमें डर है कि रफाह में इसराइली सेना के प्रवेश से न सिर्फ निर्दोष लोगों और सैनिकों की जान को खतरा हो सकता है, बल्कि हमास ने जिन लोगों को बंधक बना रखा है, उनकी जान भी खतरे में पड़ सकती है.”

ग़ज़ा सीमा पर हमास के मिसाइल हमले
इसराइल ने दावा किया है कि रविवार को केरेम शेलोम चौकी पर हुए रॉकेट हमले में तीन इसराइली जवानों की मौत हो गई है और कई अन्य जवान घायल हुए हैं.

इसराइल ने आरोप लगाया कि ये रॉकेट हमास की ओर से छोड़े गए थे.

इस घटना के बाद इसराइल ने केरेम शेलोम चौकी को बंद कर दिया है.

केरोम शेलोम चौकी उन चंद रास्तों में से है जिसके ज़रिए ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाई जा रही है.

वहीं हमास की अल कासिम ब्रिगेड ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. उसका कहना है कि केरोम शेलोम चौकी पर कम दूरी के रॉकेटों से हमला किया गया था.

इसराइल का दावा है कि चौकी पर हमास ने एक शेल्टर होम के पास से 10 मिसाइलें दागी थीं. सेना का दावा है कि उसने जवाबी कार्रवाई की है, जिसमें 12 लोग मारे गए.

इसराइल-हमास वार्ता खत्म

काहिरा में संघर्ष विराम को लेकर चल रही वार्ता भी रविवार को समाप्त हो गई है. दो दिन तक चली वार्ता में कोई सहमति नहीं बन पाई है.

हमास ने कहा है, ”रविवार को वार्ता खत्म हो गई. अब हमारा प्रतिनिधिमंडल शीर्ष नेतृत्व से बात करने के लिए काहिरा से कतर जाएगा.”

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, वार्ता में शामिल रहे सीआईए चीफ विलियम बर्न्स मिस्र की राजधानी से दोहा के लिए रवाना हो गए हैं.

इसराइल ने बंधकों की रिहाई के बदले 40 दिन तक संघर्ष विराम का प्रस्ताव दिया था.

हालांकि हमास स्थाई संघर्ष विराम की मांग कर रहा है. उसका कहना है कि वार्ता की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि संघर्ष विराम का समझौता स्थायी है या नहीं.

वह इस बात पर ज़ोर दे रहा है कि बातचीत में कोई ऐसा समझौता हो जिसमें इसराइल युद्ध खत्म करने की घोषणा करे, लेकिन इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव को खारिज़ कर दिया है.

उनका कहना है कि हमास की मांगें इसराइल को स्वीकार नहीं हैं.

नेतन्याहू का कहना है, “हम ऐसी स्थिति को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं, जिसमें हमास के लड़ाके अपने बंकरों से बाहर आकर ग़ज़ा को अपने नियंत्रण में ले लें और अपने सैन्य इंफ्रास्क्ट्रचर को फिर से बनाने लगें.”

उन्होंने कहा कि अगर हमने ऐसा किया तो यह इसराइल की एक भयानक हार मानी जाएगी.