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BREAKING : इज़रायल-हमास युद्ध को लेकर पहली बार तत्काल युद्धविराम का प्रस्ताव हुआ पास, इसराइल पूरी दुनियां में अकेला रह गया : रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को पांच महीने से अधिक समय से चल रहे इजरायल-हमास युद्ध को लेकर पहली बार तत्काल युद्धविराम की मांग की है. इस दौरान पिछले मसौदे पर वीटो करने वाले इजरायल के सहयोगी संयुक्त राज्य अमेरिका ने इसमें भाग नहीं लिया. रमजान के चल रहे इस्लामी पवित्र महीने के लिए तत्काल युद्धविराम की मांग की गई. इसमें सुरक्षा परिषद की सभी 14 अन्य सदस्यों ने उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया

पहली बार ये प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ है, अमेरिका ने वोट नहीं किया बल्कि वो ग़ैरहाज़िर रहा, रूस ने कोशिश की थी कि प्रस्ताव में परमानेंट युद्ध विराम शब्द को शामिल करे लेकिन ऐसा नहीं हो सका, प्रस्ताव पास होने पर अगर इसराइल इसका पालन नहीं करता है तो और भी अन्य प्रस्ताव लाये जा सकते हैं साथ ही इसराइल को मिलने वाली मदद को रोका जा सकता है,

आज के प्रस्ताव को तमाम मुस्लिम देशों की सहमति हासिल थी, साथ ही चीन और रूस ने ीा प्रस्ताव का मुकम्मल समर्थन का पहले ही एलान कर दिया था , प्रस्ताव को अरब देशों दुवारा पेश किया गया था, इसराइल इस प्रस्ताव को लेकर दिनभर धमिकयां देता रहा था, ये पहला मौका है जब इसराइल के खिलाफ सर्वसम्मति से कोई प्रस्ताव पास हुआ है, आज इसराइल पूरी दुनियां में अकेला रह गया है

इस समय मुस्लिमों के लिए बेहद पवित्र माना जाने वाला रमजान माह चल रहा है। इस माह में मुस्लिम रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं। इस बार यह महीना गाजा के मुस्लिमों के लिए खुशी लेकर आया है। आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गाजा और इस्राइल के बीच तत्काल युद्धविराम का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया।

इस प्रस्ताव में सात अक्तूबर को हमास द्वारा अचानक से इस्राइस पर हमले के दौरान बंधक बनाए गए सभी लोगों की रिहाई की भी मांग की गई है। अमेरिका इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहा। अमेरिका के इस रुख को लेकर इस्राइल ने नाराजगी भी जताई है। इतना ही नहीं, इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने दो शीर्ष सलाहकारों की अमेरिका की प्रस्तावित यात्रा भी रद्द कर दी है।

यूएनएससी में आज पेश किए गए प्रस्ताव पर 15 में से 14 सदस्यों ने सहमति की मुहर लगाई थी। इसे सुरक्षा परिषद के 10 सदस्यों ने संयुक्त रूप से पेश किया था। इसमें मांग की गई थी कि 10 मार्च से शुरू हुए रमजान के महीने में तत्काल रूप से संघर्ष विराम किया जाए। इसके अलावा, प्रस्ताव में बंधकों की रिहाई की भी शर्त रखी गई है।

हालांकि अभी भी ये बड़ा सवाल है कि इस प्रस्ताव को इस्राइल मानेगा भी या नहीं। क्योंकि उसके पीएम नेतन्याहू पहले ही कह चुके हैं कि वह हमास के आखिरी गुर्गे को भी मार देंगे। वहीं, अमेरिका ने इस बीच चेतावनी दी है कि यह स्वीकृत प्रस्ताव शत्रुता को रोकने की अमेरिका, मिस्र और कतर की वार्ता को नुकसान पहुंचा सकता है।