लोकप्रिय रूप से “बिहारी बाबू” कहे जाने वाले अभिनेता-राजनेता ने 2019 के आम चुनाव में अपनी पटना साहिब सीट से टिकट से वंचित होने के बाद भाजपा को अलविदा कह दिया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 के आम चुनाव में देश में मोदी राज को खत्म करने के लिए ममता बनर्जी और अन्य नेताओं के साथ विपक्षी खेमे की अग्रिम पंक्ति में आ खड़े हुए हैं। पूर्व भाजपा नेता और अब तृणमूल कांग्रेस के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने बुधवार को ये बात कही। सिन्हा ने कहा कि नीतीश ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में विपक्षी दलों की सरकारों को उखाड़ फेंकने वाली भाजपा को अपनी दवा का स्वाद चखाया है। अगले लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार और ममता बनर्जी में से कौन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी चेहरे के रूप में उभर सकता है, अभिनेता-राजनेता ने कहा कि देश के लोग और विपक्षी दलों के नेता इसे उचित समय पर तय करेंगे।
सिन्हा ने 2019 में भाजपा को अलविदा कहा था
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सिन्हा हाल ही में बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से पश्चिम बंगाल के आसनसोल से लोकसभा सदस्य बने हैं। लोकप्रिय रूप से “बिहारी बाबू” कहे जाने वाले अभिनेता-राजनेता ने 2019 के आम चुनाव में अपनी पटना साहिब सीट से टिकट से वंचित होने के बाद भाजपा को अलविदा कह दिया था। भाजपा से अलग होने से पहले सिन्हा ने कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा था और उनके खिलाफ ‘एक आदमी की पार्टी और दो आदमी की सेना’ का इस्तेमाल किया था।
ममता ने सुप्रियो की खाली सीट से बनाया सांसद
कांग्रेस में लो प्रोफाइल रहने के बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का रुख किया और ममता बनर्जी ने उन्हें बाबुल सुप्रियो द्वारा खाली की गई आसनसोल लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए चुना। सिन्हा ने आरोप लगाया कि देर से देर से ही सही नीतीश कुमार ने भाजपा को अपनी दवा का स्वाद चखाया है जो उन्होंने मध्य प्रदेश और अब महाराष्ट्र में अपनी धन शक्ति का उपयोग करके हासिल किया है। जिस दिन नीतीश कुमार ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली उस दिन सिन्हा अपने पैतृक शहर पटना में थे। उन्होंने कहा कि अपने साहसिक फैसले के कारण नीतीश कुमार आज अगले संसदीय चुनाव में ‘मोदी राज’ के पतन का नेतृत्व करने के लिए ममता बनर्जी और अन्य लोगों के साथ विपक्षी खेमे में अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं।
विपक्षी दलों ने दावा किया है कि जद (यू) का भाजपा के साथ संबंध तोड़ना और राजद, कांग्रेस और अन्य के साथ हाथ मिलाना भारतीय राजनीति में बदलाव का संकेत है। 2013 में संबंध तोड़ने और 2017 में सुलह करने के बाद नीतीश ने दूसरी बार भाजपा को छोड़ दिया है। राजनीतिक गलियारों में उन्हें 2024 में मोदी के खिलाफ संभावित विपक्षी चेहरे के रूप स्थापित करने की बात की जा रही है, लेकिन कई लोग अभी भी जद (यू) नेता को उनके यू-टर्न को लेकर संदेह की नजर से देखते हैं। इसके अलावा ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी जैसे कई अन्य विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षाओं का संकेत दिया है।