देवी सिंह तोमर
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*4 दिसम्बर पुण्य-तिथि..,*
*_निषाद वंश की एक शाखा भील टंट्या मामा_*
वीर बलिदानी *महानायक* भारत के *रॉबिनहुड* पहले महान क्रांतिकारी *भगवान टंट्या भील की पुण्य तिथि पर उन्हें शत शत नमन।*
*आदिवासियों के लिए देवता है एवम् आजादी के सेनानी टंट्या भील*
देश में आजादी की पहली लड़ाई यानी 1857 के विद्रोह में जिन *अनेक देशभक्तों ने कुर्बानियां दी थी, उन्हीं में से एक मुख्य नाम है आदिवासी टंट्या मामा।*
आजादी के इतिहास में उनका जिक्र भले ही ज्यादा न हो *मगर वह मध्य प्रदेश में मालवा और निमाड़* अंचल के आदिवासियों के लिए *आज भी किसी देवता से कम नहीं हैं।*
ब्रिटिश काल में देश के अन्य हिस्सों की ही तरह *मध्य प्रदेश में भी दमन चक्र जारी था।* उस दौर में मालवा-निमाड़ इलाके में जन्मे *आदिवासी टंट्या भील ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंक दिया।*
धीरे-धीरे टंट्या मामा का *जलगांव, सतपुड़ा की पहाड़ियों से लेकर मालवा और बैतूल तक दबदबा कायम हो गया।* वह आदिवासियों के सुख-दुख के साथी बन गए *और उनके सम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष करने में पीछे नहीं रहे।*
वक्त गुजरने के साथ टंट्या भील आदिवासियों के लिए *‘इंडियन रॉबिनहुड’ बन गए और उन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया।* वह अंग्रेजों का धन-सम्पत्ति लूटकर गरीब आदिवासियों में बांट दिया करते थे।
इंदौर से लगभग 45 किलोमीटर दूर *पातालपानी-कालाकुंड* रेलवे स्टेशन के *लाइनमैन राम अवतार बताते हैं कि आदिवासियों के बीच मान्यता है कि टंट्या मामा के पास कई रहस्यमय शक्तियां थीं।*

इलाके के आदिवासियों के बीच टंट्या मामा आजादी के सेनानी ही नहीं, *बल्कि देवता के रूप में पूजे जाते हैं।* पातालपानी में उनका मंदिर बना है *जंहा लोग उनकी पूजा कर उनसे मनौती मांगते हैं।*
मान्यता है कि वहां मांगी गई उनकी मुराद पूरी भी होती है।
इतना ही नहीं, इस रेल मार्ग से गुजरने वाली *हर ट्रेन भी यहां टंट्या के सम्मान में रुकती है और ट्रेन का चालक टंट्या की प्रतिमा के आगे नारियल और अगरबत्ती अर्पित कर ही ट्रेन को आगे बढ़ाता है।*
*टंट्या मामा की जय।।।*
ऐसा माना जाता है कि 1824-27 के आस-पास टंटया का जन्म हुआ। *टंटया वास्तव में डाका डालने वाला डकैत नहीं था वरन् एक बागी था* जिसने संकल्प लिया था कि विदेशी सत्ता के पांव उखाड़ना है। *वह युवाओं के लिए एक जननायक का काम कर रहा था।* तात्या टोपे ने टंटया भील को शिक्षा दी थी कि हमशक्ल रखना कितना फायदेमंद होता है।
इतिहास गवाह है कि *हमशक्ल रखने से* कितनी तत्परता से अपने मकसद में कामयाब हुआ जा सकता है। *टंटया भी अपने दल में हमशक्ल रखता था।* पुलिस को परेशान करने के लिये टंटया एक साथ पांच-छह विपरीत दिशाओं में डाके डलवाता था। उस समय भील विद्रोहियों में जो टंटया के साथ थे *उनमें से महादेव शैली, काल बाबा, भीमा नायक आदि थे।*
इनके पास बड़ी-बड़ी टोलियां थीं। *बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, बैतूल, धार में टंटया को भीलों का प्रमुख दर्जा था।* लूटमार करके वह होलकर रियासत राज्य में जाकर सुरक्षित हो जाता था।

अपनी वीरता और अदम्य साहस की बदौलत *तात्या टोपे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने टंटया को गुरिल्ला युद्ध में पारंगत बनाया।*
*इसी वजह से वह पकड़ा नहीं जा सका। पुलिस खोजती रहती पर उसे पकड़ने में असमर्थ रहती।*
लोग उसे डाकू कहते थे पर *क्रांतिकारी बनकर* जो कुछ भी वह लूटता उसे वह *अंग्रेजों के विरुद्ध ही उपयोग में लाता था।*
वह निमाड़ का पहला विद्रोही भील युवक था। *वह बड़ा ही बलशाली युवक था।* उसमें चमत्कारिक बुद्धि शक्ति थी। *उसे अवतारी व्यक्ति तक कहा जाने लगा।* वह किसी स्त्री की लाज लुटते नहीं देख सकता था। टंटया के बारे में कहते हैं-
*तांत्या बायो, टण्टया खड माटवो।*
*घाटया खड धान, भूख्या खडं बाटयो॥*
MP Congress
@INCMP
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Dec 4
महान स्वतंत्रता सेनानी, आदिवासी जननायक एवं वीर योद्धा टंट्या भील (टंट्या मामा) जी के बलिदान दिवस पर श्री राहुल गांधी जी व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने उनके चित्र के समक्ष श्रद्धा सुमन अर्पित किए।