साहित्य

तो आज ही कदम उठाएं और अपने अकेलेपन को अलविदा कहें!

Sksaini
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क्या आप अकेलेपन से परेशान हैं?
यह महिलाओ के लिए है
जीवन की भागदौड़ और व्यस्तता में कई बार ऐसा होता है कि हमारे पास अपनी भावनाएं साझा करने के लिए कोई नहीं होता। अकेलापन मन और दिल पर गहरा असर डाल सकता है। अगर आप भी अपने अकेलेपन से परेशान हैं और एक सच्चे साथी या दोस्त की तलाश में हैं, तो अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।
हम यहां हैं, आपकी भावनाओं को समझने और आपका साथ देने के लिए।
आपकी जरूरतों को समझते हुए:
हम आपको एक ऐसा साथी ढूंढने में मदद करेंगे, जो आपकी सोच और भावनाओं को समझ सके।
संपर्क पूरी तरह गोपनीय रहेगा:
आपकी पहचान और बातचीत को गोपनीय रखा जाएगा, ताकि आप निश्चिंत होकर अपने दिल की बात कह सकें।
सच्चा साथ:
हमारा उद्देश्य केवल एक दोस्ती या रिश्ता बनाना नहीं है, बल्कि आपको ऐसा साथी देना है जो आपके अकेलेपन को दूर कर सके।
चाहे आप किसी से अपने मन की बात करना चाहते हों, या सिर्फ किसी का साथ चाहते हों, हम आपकी हर जरूरत का ख्याल रखेंगे। तो आज ही कदम उठाएं और अपने अकेलेपन को अलविदा कहें।
हमसे संपर्क करें और एक नए रिश्ते की शुरुआत करें।
आपका सुखद और सुकूनभरा जीवन हमारा लक्ष्य है।

Harish Yadav
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पुरुष का मौन क्यों पहाड़ सा खड़ा रहता है, उसके जन्म पर खुशियाँ मनाई जाती है, थाली बजाई जाती है, लड्डू बांटे जाते हैं क्योंकि वो एक दुधारू गाय है, जिसे हर कोई दुहता है, उसके मन में सुख है या दुख इसकी थाह कोई नहीं पाता है….!

वह हर पल अपनों के लिए जीता है, जीवन का एक एक पल दूसरों के लिए समर्पित करता है, बचपन से जवानी तक माँ बाप के सपनों को साकार करने के लिए दिन रात संघर्ष करता है, तो कभी पितृहीन होकर परिवार की बागडोर मुखिया के रुप में संभालता है….!

कभी छोटे भाई बहनों के लिए अपने सपनों की बलि देता है तो कभी परिवार की परम्परा के लिए अपने प्यार की तिलांजलि देता है और परिवार की खुशी के लिए अनचाही शादी करता है….!

पत्नी कैसी भी हो उसे निभाता है, पत्नी सुन्दर सुशील हो तो अपनी किस्मत को सराहता है और बदसूरत…बददिमाग हो तो ताउम्र नरक की सजा भुगतता है, पिता बन कर संतानों की परवरिश करने में अपना तन मन धन सब कुछ समर्पित करता है….

अपनी हर लड़ाई में रहता है वह मौन, अपना संघर्ष किसी को नहीं बता पाता है, एक एक तिनका इकट्ठा करके अपने सपनों का आशियाना बनाने की कोशिश करता है, ताउम्र एक एक पैसे का हिसाब रखता है, जिम्मेदारियों के पहाड़ के नीचे दबा उफ तक नहीं कर पाता है….

इस सफर में आदमी जीतता है या हारता लेकिन अंतत: अपने मन में अपनी इच्छाओं की कब्र में अकेला ही रहता है, हर कोई उससे मांगता ही मांगता है, उसे देने कोई नहीं आता है…..!

और एक दिन चुपचाप चल देता है अनजान सफर पर जहाँ जाकर कोई वापस आता नहीं…
आदमी का दर्द हमेशा मौन ही रहता है …
इसलिये पुरुष स्त्री से प्रेम करे, और थोड़ा स्त्री हो जाए, दुःखदायी है एक पुरुष का, ताउम्र पुरुष रह जाना….😔

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