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भारत, शेख़ हसीना को बांग्लादेश भेजे ताकि उनपर लगे आरोपों के अपराधों के मुकदमे शुरू हो सकें : बाग्लादेश

बांग्लादेश ने भारत से कहा है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को न्यायिक प्रक्रिया के लिए वापस लाना चाहता है. इसी साल अगस्त में शेख हसीना भागकर भारत आ गई थीं.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने 23 दिसंबर को यह मांग रखी. उन्होंने कहा कि सरकार न्यायिक प्रक्रिया के लिए हसीना को बांग्लादेश लाना चाहती है. कारोबार और सांस्कृतिक रूप से मजबूत संबंधों वाले भारत-बांग्लादेश के रिश्ते शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद कुछ तनावपूर्ण स्थिति में हैं.

हिंसक प्रदर्शनों के बाद अगस्त में शेख हसीना की सरकार गिर गई थी और वह भागकर भारत आ गईं. हालांकि, भारत ने उन्हें अब तक आधिकारिक तौर पर शरण नहीं दिया है. बांग्लादेश की तरफ से शेख हसीना को भेजने की मांग भारतीय विदेश सचिव के बांग्लादेश दौरे के दो हफ्ते बाद आई है. इस दौरे में दोनों देशों ने उम्मीद जताई थी कि गलतफहमियां दूर होंगी और संबंध रचनात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगे.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस

भारत ने पुष्टि की
दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद का ब्यौरा देते हुए ढाका में तौहीद हुसैन ने पत्रकारों से कहा, “हमने भारत सरकार को इस बारे में नोट भेजा है कि बांग्लादेश सरकार उन्हें (शेख हसीना) न्यायिक प्रक्रिया के लिए भारत लाना चाहती है.” हुसैन ने न्यायिक प्रक्रिया के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी.

भारतीय विदेश मंत्रालय और शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस मामले में तुरंत प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है, “हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमें बांग्लादेश उच्चायोग से आज प्रत्यर्पण की मांग के बारे में नोट मिला है. फिलहाल इस मामले में हम कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते.”

बाग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने मांग रखी है कि भारत, शेख हसीना को बांग्लादेश भेज दे ताकि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हुए अपराधों और पिछले 15 साल के शासन में हुए अपराधों के लिए उनपर लगे आरोपों के मुकदमे शुरू हो सकें.

ढाका में भारत और बांग्लादेश के विदेश सचिव
यूनुस प्रशासन की आलोचना
यूनुस प्रशासन में बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों पर कई हमले हुए हैं. उनके घरों, दुकानों और मंदिरों को भी निशाना बनाया गया है. शेख हसीना ने दिल्ली में रहते हुए यूनुस प्रशासन की आलोचना की थी, और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में नाकाम रहने का आरोप लगाया था. इस वजह से भी यूनुस उनसे नाराज बताए जाते हैं.

शेख हसीना पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं. इनमें मानवता के खिलाफ अपराध, नरसंहार और हत्या के आरोप भी शामिल हैं. शेख हसीना ने इन आरोपों से इनकार किया है.

ढाका के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्राइब्यूनल ने पहले ही हसीना और उनके करीबी सहयोगियों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है. अंतरिम सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन इंटरपोल से उनकी गिरफ्तारी में मदद मांगी है.
यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने वादा किया है कि वो हसीना और दूसरे लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाएंगे. इनमें उनके खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा का मामला भी है. बांग्लादेश ने संयुक्त राष्ट्र को भी देश में हुई हत्याओं की जांच में मदद के लिए बुलाया है.

उधर शेख हसीना ने भी जांच की मांग कहते हुए हत्याओं पर सवाल उठाया है. उनका कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों के अलावा दूसरे लोग भी बहुत सी मौतों में शामिल हुए होंगे. अधिकारियों का कहना है कि शेख हसीना के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में 750 से ज्यादा लोगों की जान गई और हजारों लोग घायल हुए.
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसी महीने ढाका का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत, ढाका के साथ एक रचनात्मक संबंध चाहता है. भारत का यह भी कहना है कि शेख हसीना “सुरक्षा कारणों” से बहुत जल्दबाजी में यहां आई थीं और अभी भी यहीं रह रही हैं. भाारत सरकार ने शेख हसीना के भारत में रहने के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है.

एनआर/एसएम (रॉयटर्स)

Jaiky Yadav
@JaikyYadav16
टीवी चैनल वो दिखाते थे जो शेख हसीना कहती थीं।
जज वो फैसला सुनाते थे जो शेख हसीना कहती थीं

चुनाव आयोग वो नियम बनाता था जो शेख हसीना कहती थीं।
जांच एजेंसियां उसकी जांच करती थीं जो शेख हसीना कहती थीं।

यानि आप कह सकते हो कि बांग्लादेश में सब कुछ शेख हसीना के हाथों से ही कंट्रोल होता था लेकिन

हर तानशाही की एक सीमा होती है और आज वह सीमा समाप्त हो गई थी।

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