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और जो गर्दन उसके सामने झुक जाती है उसे वह काट देता है….मगर वे बेख़बर थे….उन्हें जहन्नम में महान ईश्वर के प्रकोप का सामना होगा!

 

पार्सटुडेः ईरानी सेना के सर्वोच्च कमांडर का कहना है कि फ़िलिस्तीन और ग़ाज़ा के मुजाहेदीन ने ज़ायोनी सरकार और वर्चस्ववादी व्यवस्था के घृणित चेहरे को एक पारदर्शी दर्पण की भांति दिखा दिया।

ईरानी सेना के सर्वोच्च कमांडर मेजर जनरल सैय्यद अब्दुर्रहीम मूसवी ने कहा कि भौतिक सोच व दिमाग़ रखने वाले और अल्लाह को न मानने वाले साम्राज्यवादी और ज़ायोनियों ने यह सोचा था कि इस आइने को तोड़कर उसके उद्देश्यों को मिटा देंगे परंतु वे इस बात से बेख़बर थे कि आइना अगर हज़ार टुकड़े भी हो जाये तब भी वह आइना है और तब भी हक़ के नूर को और बातिल के कालेपन को प्रतिबिंबित करता रहेगा।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार मेजर जनरल सैय्यद मूसवी ने इस संबंध में कहा कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध ने चकित करने वाला प्रतिरोध करके विश्व जनमत के समक्ष नया मोर्चा खोल दिया है और अपराधियों, झूठों और पाखंडियों के वास्तविक चेहरों को विश्व जनमत और इतिहास के साथ पेश कर दिया है।

ईरानी सेना के सर्वोच्च कमांडर ने कहा कि अगर प्रतिरोध चाहता तो प्रचलित तरीक़े से अपनी मज़लूमियत और हक़ की आवाज़ को विश्ववासियों तक पहुंचा सकता था पर वह बहुत अधिक धन ख़र्च करके और काफ़ी समय व्यतीत हो जाने के बावजूद भी वह ऐसा न कर पाता मगर आज दुनिया में फ़िलिस्तीन का नाम और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध की आकांक्षा की आवाज़ दुनिया के समस्त हक़ प्रेमियों के कानों तक पहुंच गयी है।

मेजर जनरल मूसवी के अनुसार हम इतिहास की प्रक्रिया में कभी देखते हैं कि कुछ समाज या देश विदित में प्रतिरोध का समर्थन करने से हाथ पीछे खींच लेते हैं और इतिहास से हमें सीख मिलती है कि सिर झुका देने से प्रतिरोध करने की क़ीमत बहुत कम होती है और वर्चस्ववादी व अहंकारी व्यवस्था की प्रवृत्ति दूसरों की हत्या करना है और जल्लाद उस गर्दन को काट देता है जो उसके सामने झुक जाती है।

ईरान की सशस्त्र सेना के सर्वोच्च कमांडर ने कहा कि पश्चिम का साम्राज्यवादी संचार माध्यम स्वयं को विजयी दिखाकर प्रतिरोध को प्रभावित करना चाहता है परंतु यह संभव है कि प्रतिरोध घायल हो जाये मगर वह धौंस- धमकी में नहीं आयेगा। प्रतिरोध दुनिया में गौरवान्वित है वह सफ़लता या शहादत हासिल करता है और वह परलोक में महान ईश्वर का सामिप्य प्राप्त करता है और उन लोगों को डरना चाहिये जो दुनिया में घृणित हैं और वे बद्दुआ और बर्बादी व तबाही के पात्र हैं और इसी प्रकार उन्हें जहन्नम में महान ईश्वर के प्रकोप का सामना होगा। उन्होंने कहा कि प्रतिरोध की सिंचाई शहीदों के ख़ून से हुई है और वह पहले से अधिक मज़बूती के साथ आगे बढ़ेगा और अंततः वह साम्राज्य और ज़ायोनी सरकार का अंत व दमन उनकी इसी विदित शक्ति के साथ करेगा।

अल्लाह ज़ालिम और उससे बदला लेगा जो मज़लूम की मदद न करे

अल्लाह ज़ालिम और उससे बदला लेगा जो मज़लूम की मदद न करे (चुनिन्दा आठ हदीसें)

पार्सटुडे- पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं” मज़लूम की बद्दुआ से डरो यद्यपि वह काफ़िर ही क्यों न हो, क्योंकि मज़लूम की बद्दुआ के सामने कोई रुकावट नहीं है।

ज़ुल्म का अर्थ अत्याचार है यानी अपने आप पर या दूसरे के अधिकारों पर ज़ुल्म करना। जो बुरा व ग़लत काम करता है वह अपने आप पर ज़ुल्म व अत्याचार करता है क्योंकि परिपूर्णता तक पहुंचने के मार्ग में उसने अपने अधिकारों की उपेक्षा की है। पवित्र क़ुरआन में कहान ईश्वर कहता है तुममें से जो भी ज़ुल्म करेगा हम उसे कड़े दंड का मज़ा चखायेंगे। (सूरे फ़ुरक़ान आयत संख्या 19)

इसी प्रकार महान ईश्वर का समतुल्य क़रार देने को भी बहुत बड़ा गुनाह व अत्याचार कहा गया है।

पवित्र क़ुरआन में आया है कि जब लुक़मान ने अपने बेटे से कहा कि हे बेटे अल्लाह का शरीक व समतुल्य क़रार न देना बेशक शिर्क बहुत बड़ा अत्याचार व ज़ुल्म है।

पवित्र क़ुरआन कहता है कि न ज़ुल्म करो और न ज़ुल्म सहो।

रिवायतों में कहा गया है कि ज़ुल्म तीन प्रकार का होता है।

एक वह ज़ुल्म है जिसे अल्लाह माफ़ नहीं करेगा और एक वह ज़ुल्म है जिसे अल्लाह माफ़ कर देगा और एक वह ज़ुल्म है जिसे अल्लाह नहीं छोड़ेगा। तो वह ज़ुल्म जिसे अल्लाह माफ़ नहीं करेगा वह शिर्क है और वह ज़ुल्म जिसे अल्लाह माफ़ कर देगा वह बंदों का अपने आप पर ज़ुल्म है और वह ज़ुल्म जो उनके और उनके पालनहार के बीच है और वह ज़ुल्म जिसे अल्लाह माफ़ नहीं करेगा वह बंदों का एक दूसरे पर ज़ुल्म है।

 

मज़लूम की बद्दुआ की ताक़त व शक्ति

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं कि मज़लूम की बद्दुआ से डरो अगर बद्दुआ करने वाला काफ़िर ही क्यों न हो बेशक मज़लूम की बद्दुआ के रास्ते में कोई रुकावट व पर्दा नहीं है।

ज़ुल्म से मुक़ाबला करने वाला स्वर्ग में पैग़म्बरे इस्लाम के साथ होगा

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं कि जिसने ज़ालिम से मज़लूम का हक़ लिया वह जन्नत में मेरे साथ रहेगा। (बेहारुल अनवार)

ज़ुल्म के मुक़ाबले में चुप रहना ग़लत है

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं कि जब लोग ज़ालिम को देखें और उसे ज़ुल्म करने से मना न करें तो अपेक्षा इस बात की है कि सबको अल्लाह के अज़ाब का सामना हो। (नहजुल फ़साहत)

अल्लाह अत्याचारी और मज़लूम की मदद न करने वाले से प्रतिशोध लेगा

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं अल्लाह कहता है कि मेरी इज़्ज़त व जलाल की क़सम कि लोक- परलोक में मैं ज़ालिम से प्रतिशोध लूंगा और उससे भी प्रतिशोध लूंगा जो मज़लूम को देखे और वह उसकी मदद कर सकता हो पर मदद न करे।

न ज़ुल्म करो न ज़ुल्म सहो

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं कि अल्लाह की शरण लो…इस बात से कि तुम ज़ुल्म करो और ज़ुल्म सहो।

मज़लूम की मदद बेहतरीन न्याय है

हज़रत अली फ़रमाते हैं कि बेहतरीन न्याय और अदालत मज़लूम की मदद है

विश्व में इमाम महदी का आंदोलन ज़ुल्म व अन्याय के ख़िलाफ़ होगा

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं कि महदी हमारी उम्मत में से है और वह दुनिया को उस तरह अदालत से भर देगा जिस तरह वह ज़ुल्म व अत्याचार से भरी होगी।

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