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भारत के जानेमाने तबला वादक और ग्रैमी अवॉर्ड विजेता उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का निधन हो गया!

भारत के जानेमाने तबला वादक और ग्रैमी अवॉर्ड विजेता उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का निधन हो गया है. वे 73 साल के थे और अमेरिका में रह रहे थे.

उन्हें तबीयत बिगड़ने के बाद सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

सोमवार सुबह एक्स पर पीटीआई ने लिखा – परिवार ने पुष्टि की है कि 73 वर्षीय ज़ाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में निधन हो गया है.

समाचार एजेंसी एएनआई ने परिवार की ओर जारी बयान साझा किया है.

अमेरिका के पब्लिक ब्रॉडकास्टर नेशनल पब्लिक रेडियो (एनपीआर) ने ज़ाकिर हुसैन के परिवार का बयान छापा है.

उस बयान में लिखा है, “एक शिक्षक के रूप में उनके काम ने अनगिनत संगीतकारों पर एक अमिट छाप छोड़ी है. उन्होंने अगली पीढ़ी को, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. वह एक सांस्कृतिक राजदूत और महानतम संगीतकारों में से एक के रूप में एक अद्वितीय विरासत छोड़ गए हैं.”

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन के निधन पर शास्त्रीय संगीतकार उस्ताद वसिफ़ुद्दीन डागर ने पीटीआई को बताया, “ज़ाकिर भाई हम सब के लिए प्रेरणास्रोत थे. परवरदिगार ने उन्हें बहुत अच्छे हाथ दिए थे. ये एक अपूर्णीय क्षति है. अपने हुनर से उन्होंने करोड़ों लोगों के दिल जीते.”

संगीत की दुनिया में ज़ाकिर हुसैन भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक जाना-माना नाम था.

संगीत के ऑस्कर समझे जाने वाले ग्रैमी अवॉर्ड्स के लिए उन्हें सात बार नॉमिनेशन मिला था. उन्होंने कुल चार बार इस अवॉर्ड को जीता भी है.

साल 2009 में उन्होंने पहली बार ये पुरस्कार जीता था. उस वक्त उन्हें ये पुरस्कार ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट’ के लिए दिया गया था. हुसैन ने इसके लिए मिकी हार्ट और जियोवानी हिडाल्गो के साथ मिलकर काम किया था. ये अवार्ड उन्हें बेस्ट कंटेम्पररी वर्ल्ड म्यूज़िक एल्बम कैटेगरी में दिया गया था.

इसके बाद उन्होंने साल 2024 में हुए 66वें ग्रैमी अवॉर्ड में तीन ग्रैमी अवॉर्ड मिले.

उन्हें बेस्ट कंटेम्पररी इन्स्ट्रूमेंटल एल्बम कैटेगरी में ‘एज़ वी स्पीक’ के लिए, बेस्ट ग्लोबल म्यूज़िक एल्बम कैटेगरी में ‘दिस मूमेंट’ के लिए और बेस्ट ग्लोबल म्यूज़िक परफॉर्मेंस कैटेगरी में ‘पश्तो’ के लिए ये अवॉर्ड्स मिले.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पर ज़ाकिर हुसैन को याद करते हुए पोस्ट किया है.

पीएम मोदी ने लिखा है कि ज़ाकिर हुसैन को भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति लाने के लिए याद किया जाता रहेगा.

हुसैन को जीनियस बताते हुए पीएम मोदी ने लिखा, “वे तबले को ग्लोबल स्टेज तक ले गए. उन्होंने भारत की शास्त्रीय परंपराओं को ग्लोबल म्यूज़िक से मिलाया और इसलिए वो सांस्कृतिक एकता के आइकन बन गए.”

जावेद अख़्तर ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि संगीत की दुनिया ने एक ‘ताल’ खो दिया है.

जावेद अख़्तर ने लिखा है, “एक महान संगीतकार, एक महान इंसान, एक अच्छे मित्र ज़ाकिर हुसैन साहब हमें छोड़कर चले गए.”

मशहूर तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का निधन अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में हुआ है.

वो 73 साल के थे. उनके निधन पर दुनियाभर के संगीत प्रेमियों के अलावा, कला, राजनीति और फ़िल्मी जगत के लोग शोक जता रहे हैं.

बाद में परिवार ने मीडिया को बताया कि ज़ाकिर हुसैन की हालत गंभीर है और वे आईसीयू में भर्ती हैं.

2009 में ज़ाकिर हुसैन को ग्रैमी अवॉर्ड मिलने के बाद बीबीसी के पूर्व संपादक संजीव श्रीवास्तव ने बीबीसी हिंदी सेवा के विशेष कार्यक्रम ‘एक मुलाक़ात’ के तहत ज़ाकिर हुसैन से बात की थी.