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दिन में तीन बार शारीरिक संबंध बनाने का नतीजा

Aubrey Velasquez
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दिन में तीन बार शारीरिक संबंध बनाने का नतीजा
रवि ने अपनी पत्नी साक्षी को भी इसके लिए प्रेरित किया। साक्षी शुरुआत में हंसते हुए कहती, “इतनी बार… तुम्हें सच में इतनी ताकत कहां से मिलती है?” लेकिन धीरे-धीरे, इस जरूरत ने रवि को अपनी और साक्षी की स्वास्थ्य सीमा से बाहर जाने पर मजबूर कर दिया। हर दिन, सुबह उठते ही, दोपहर के खाने के बाद और रात को सोने से पहले, यह सिलसिला जारी रहा।
नतीजा हुआ ऐसा की… 😔

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कुछ ही हफ्तों में, साक्षी ने महसूस किया कि उसका शरीर थकने लगा है। वह निरंतर थकावट और कमजोरी महसूस करने लगी। उसकी नींद में खलल होने लगा, और उसकी दिनचर्या बिगड़ गई। यहाँ तक कि रवि भी धीरे-धीरे अस्वस्थ महसूस करने लगा। उसे कमर और पैरों में दर्द महसूस होने लगा, लेकिन अपने जुनून के चलते वह इसे नज़रअंदाज़ कर रहा था।
जब डॉक्टर ने दी चेतावनी! 🚑

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आखिरकार, साक्षी ने रवि को समझाया कि उन्हें एक डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर ने उनकी स्थिति सुनी और उन्हें बताया कि उनकी सेहत पर इस आदत का गलत असर पड़ सकता है। उन्होंने रवि को संयम बरतने की सलाह दी और कुछ घरेलू उपाय भी सुझाए जो न केवल उनके स्वास्थ्य को सुधार सकते थे, बल्कि रिश्ते को एक स्वस्थ दिशा में ले जाने में भी सहायक हो सकते थे। डॉक्टर ने बताया कि रिश्ते में प्यार और शारीरिक संबंध दोनों का संतुलन जरूरी है और अधिकता से तनाव और स्वास्थ्य समस्याएं आ सकती हैं।
अब रवि और साक्षी ने सीखा 🤝

रवि ने अपनी गलती मानी और साक्षी से माफी मांगी। दोनों ने अब अपने रिश्ते में प्यार और संतुलन को महत्व देना शुरू किया।

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Aubrey Velasquez
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पति को संभोग सुख दो तो वो तुम्हे दुनिया के सारे सुख देगा, अपनी सहेलियों मां और चाची से ये बात हमेशा सुनती आरही थी, लेकिन असल में कमी कुछ और थी, मेरा विवाह 35 साल की उम्र में हुआ, और मेरे पति की उम्र 37 साल थी। उस समय परिवार और समाज का दबाव था कि मैं शादी कर लूं। मेरी मां को भी मेरे भविष्य की चिंता सताने लगी थी, क्योंकि पापा का देहांत पहले ही हो चुका था। मैं जानती थी कि मेरे पति की आय सीमित है, लेकिन सहेलियों और परिवार के दबाव में आकर मैंने शादी कर ली।\

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शादी के शुरुआती दिनों में मैंने देखा कि मेरे पति बेहद सादगी और ईमानदारी से जीने वाले इंसान हैं। उन्होंने खुद कहा, “मेरी आय कम है, लेकिन मैं तुम्हें जितना हो सके उतना अच्छा जीवन देने की कोशिश करूंगा।” उनकी यह बात सुनकर मुझे लगा कि शायद समय के साथ चीजें बेहतर हो जाएंगी।

हालांकि, धीरे-धीरे हमारी आर्थिक स्थिति को लेकर विवाद शुरू हो गया। मैं चाहती थी कि वे ज्यादा कमाएं, लेकिन वे समझाने की कोशिश करते रहे कि वर्तमान में सीमित आय में ही हमें संतोष करना चाहिए। महीने के अंत में जब उन्होंने अपनी तनख्वाह में से ज्यादातर पैसा मुझे सौंपा, तो मैं प्रभावित जरूर हुई, लेकिन खर्चे पूरे नहीं हो पा रहे थे।

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हमारे झगड़े बढ़ने लगे, और एक दिन मैंने गुस्से में उन्हें कह दिया कि जब तुम बेहतर कमाने लगो, तभी मुझे लेने आना। इस बात ने उन्हें आहत किया। वे वापस तो गए, लेकिन फिर लौटकर नहीं आए। बाद में, तलाक की प्रक्रिया शुरू हुई। अदालत में उन्होंने जज से कहा, “मैं इन्हें खुश नहीं रख पा रहा हूं, इसलिए इन्हें आजादी मिलनी चाहिए।” जज ने हमें समझाने की कोशिश की, लेकिन मेरे अहंकार ने मुझे कुछ भी सुनने नहीं दिया।

तलाक के बाद मैंने नौकरी करनी शुरू की। अब मुझे एहसास हुआ कि कम आय के बावजूद पति ने हर संभव कोशिश की थी कि मैं आराम से रहूं। 15,000 रुपये की तनख्वाह में मैंने जाना कि नौकरी करना और रोजाना संघर्ष करना कितना कठिन है।

आज, मेरे पूर्व पति की आय 86,000 रुपये है, और मैं सोचती हूं कि अगर मैंने थोड़ा धैर्य और समझदारी दिखाई होती, तो आज हमारी जिंदगी कितनी अलग होती।

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इस अनुभव ने मुझे सिखाया कि शादी केवल पैसे पर आधारित नहीं होनी चाहिए। रिश्ते आपसी समझ, समर्थन और विश्वास पर चलते हैं। अगर मैंने उस समय रिश्ते को बेहतर ढंग से संभाला होता, तो शायद आज हमारा परिवार साथ होता।

**संदेश:**
शादी जैसे पवित्र बंधन को टिकाने के लिए प्यार, समर्पण और सामंजस्य जरूरी है। पैसे की अहमियत जरूर है, लेकिन रिश्तों में उसका स्थान प्राथमिक नहीं होना चाहिए। हर किसी को अपनी इच्छाओं और अपेक्षाओं को संतुलित करने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि रिश्ते मजबूत और लंबे समय तक टिक सकें।